उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा देने का वजह बीमारी है या राजनीतिक भूकंप?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा देने का वजह बीमारी है या राजनीतिक भूकंप?

संक्षिप्त परिचय:
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के दिन ही देश की राजनीति में सनसनी मचा दी। उनके अचानक पद छोड़ने के फैसले को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया गया है, लेकिन विपक्षी दल इसे किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की आहट मान रहे हैं। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या ये फैसला पूर्व नियोजित था या अचानक किसी दबाव का परिणाम?

इस्तीफे की टाइमलाइन और संदिग्ध परिस्थितियां:
धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया।
लेकिन इसके चंद घंटे पहले तक वे संसद की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे और दिन भर की कार्यवाही में पूरी तरह सक्रिय थे।

सवाल उठता है कि आखिर वो कौन से तीन घंटे थे, जिनमें ऐसा क्या घटा कि देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को तुरंत इस्तीफा देना पड़ा?

क्या केवल स्वास्थ्य कारण हैं?
सूत्रों के मुताबिक उपराष्ट्रपति धनखड़ कुछ महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।
मार्च में उन्हें दिल से जुड़ी परेशानी के चलते AIIMS में भर्ती कराया गया था और हाल ही में एक कार्यक्रम में मंच पर चक्कर खाकर गिर भी पड़े थे।
इन घटनाओं के चलते उनके इस्तीफे को स्वास्थ्य वजहों से जोड़ना कुछ हद तक तार्किक है।

परंतु, विपक्षी नेताओं का दावा है कि स्वास्थ्य केवल एक दिखावा है और इस्तीफे की असली वजह अंदरूनी राजनीतिक टकराव है।

विपक्ष के सवाल और बयान:
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि “देश को बताया जाए, आखिर ऐसी क्या परिस्थिति बन गई थी कि उपराष्ट्रपति को अचानक इस्तीफा देना पड़ा?”
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो यहां तक कह दिया कि “धनखड़ को भाजपा और RSS के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा।”

इसके अलावा झारखंड के सत्तारूढ़ गठबंधन ने भी मांग की है कि सरकार को संसद में बयान देकर पूरा स्पष्टीकरण देना चाहिए।

संभावित राजनीतिक कारण:
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो धनखड़ बीते कुछ समय से कई मामलों में सरकार से भिन्न रुख अपना रहे थे।

वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान की व्याख्या को लेकर कई बार सरकार की सोच से अलग बयान दे चुके थे।

कृषि कानूनों और किसानों से जुड़ी बहस में भी उन्होंने तटस्थता से अधिक स्पष्ट राय जाहिर की थी।

कुछ खबरों में तो यह भी कहा गया कि उन्हें कुछ अहम संसदीय कार्यों से जानबूझकर बाहर रखा गया, जिससे वे आहत थे।

इस स्थिति में ये कयास लगना स्वाभाविक है कि संविधान और सत्ता के बीच खिंचाव उनके पद छोड़ने की बड़ी वजह बना।

बिहार से जोड़कर देखी जा रही है राजनीति:
एक बड़ा राजनीतिक संकेत यह भी है कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव और जातीय समीकरणों को देखते हुए उपराष्ट्रपति पद का राजनीतिक इस्तेमाल हो सकता है।
कुछ सूत्रों का दावा है कि NDA की तरफ से नीतीश कुमार को इस पद के लिए प्रस्ताव दिया जा सकता है, ताकि उन्हें एक सम्मानजनक विदाई दी जा सके और बिहार की कमान किसी नए चेहरे को दी जा सके।

यदि ऐसा होता है, तो यह साफ संकेत होगा कि धनखड़ का इस्तीफा एक बड़ी राजनीतिक सर्जरी का हिस्सा था।

संवैधानिक प्रक्रिया क्या कहती है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों द्वारा किया जाता है।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब 15 अगस्त के बाद किसी भी समय चुनाव कार्यक्रम घोषित हो सकता है।

इस बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक उपराष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे।

आगे क्या?

BJP नेतृत्व ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

राष्ट्रपति भवन की ओर से भी सिर्फ इतना कहा गया कि “स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया गया है।”

लेकिन विपक्ष और सियासी विश्लेषकों की नजर में यह मामला अब सिर्फ एक इस्तीफा नहीं, बल्कि सत्ता के भीतर चल रही हलचलों का संकेत है।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को अगर सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से जोड़कर देखा जाए, तो ये एक सामान्य संवैधानिक प्रक्रिया लग सकती है।
लेकिन जिस तरह से यह इस्तीफा संसद के सत्र की शुरुआत, प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा, और बिजनेस कमेटी की अनदेखी के बीच सामने आया है, उससे साफ है कि पर्दे के पीछे कुछ बड़ा खेल चल रहा है।

अब देखना ये होगा कि नई नियुक्ति किसे मिलती है, और क्या विपक्ष इस मुद्दे को सत्र के दौरान जोर-शोर से उठाता है या नहीं।

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