
झारखंड में B.Ed कॉलेज के 45 शिक्षक बिना पढ़ाए वेतन लेंगे: शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
झारखंड की शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्य के B.Ed कॉलेज में 45 शिक्षकों को बिना पढ़ाए वेतन देने का मामला सामने आया है। यह खबर सामने आने के बाद छात्रों, अभिभावकों और शिक्षाविदों में आक्रोश है। सवाल उठ रहा है कि आखिर यह गलती किसकी है—शिक्षकों की, कॉलेज प्रशासन की या शिक्षा विभाग की?
मामला क्या है?
झारखंड के कई B.Ed कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति पिछले कुछ वर्षों में हुई थी। इन शिक्षकों को कॉलेज में पढ़ाने के लिए तैनात किया गया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि कॉलेजों में पर्याप्त विद्यार्थी ही नहीं हैं। बावजूद इसके, शिक्षकों को नियमित वेतन मिल रहा है। यह स्थिति न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर भी एक कड़ा प्रहार है।
बिना पढ़ाए क्यों मिल रहा वेतन?
रिपोर्ट के अनुसार, कई कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया धीमी रही है। दाखिले कम होने की वजह से कक्षाएं नियमित रूप से संचालित नहीं हो पाई हैं। वहीं, कॉलेज प्रशासन और शिक्षा विभाग के बीच समन्वय की कमी के कारण शिक्षकों को बैठकर वेतन लेने की नौबत आ गई।
छात्रों का कहना क्या है?
कई छात्रों का कहना है कि शिक्षकों की कमी नहीं है, बल्कि शिक्षण व्यवस्था और टाइम टेबल को लेकर लापरवाही है। जब कक्षाएं ही समय पर नहीं होतीं तो शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। छात्रों ने मांग की है कि सरकार और कॉलेज प्रशासन इस मामले की जांच कर कार्रवाई करे।
सरकार की भूमिका
झारखंड सरकार इस मामले को लेकर कठघरे में है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता की कमी है। करोड़ों रुपये का सरकारी फंड वेतन के रूप में दिया जा रहा है, लेकिन उसके बदले शिक्षण कार्य सही ढंग से नहीं हो रहा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल वित्तीय अनियमितता को दर्शाती हैं, बल्कि भविष्य के शिक्षकों की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती हैं। B.Ed जैसे कोर्स शिक्षक तैयार करने के लिए होते हैं और यदि यही कोर्स अधूरा रह जाए, तो स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
समाधान क्या है?
1. नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी।
2. दाखिला प्रक्रिया को समय पर पूरा करना जरूरी है।
3. कक्षाओं की मॉनिटरिंग और निरीक्षण बढ़ाना होगा।
4. शिक्षकों के वेतन को उनके कार्य प्रदर्शन से जोड़ने की व्यवस्था करनी होगी।
झारखंड में B.Ed कॉलेज के 45 शिक्षकों को बिना पढ़ाए वेतन देना केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम नहीं है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है। सरकार को चाहिए कि इस मामले में कड़ी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे और शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए।