
रांची। झारखंड सरकार की आज की कैबिनेट बैठक बेहद अहम मानी जा रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है। खासकर सारंडा वन्य अभयारण्य (Saranda Wildlife Sanctuary) से जुड़ी रिपोर्ट पर आज बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। इस रिपोर्ट को लेकर गठित मंत्री समूह अपनी सिफारिशें पेश करेगा, जो पर्यावरण, खनन और वन संरक्षण से जुड़े कई अहम पहलुओं को प्रभावित कर सकती हैं।
सारंडा वन्य अभयारण्य पर फोकस
सारंडा, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्थित एशिया का सबसे बड़ा साल वन क्षेत्र है। यहां की प्राकृतिक संपदा, जैव विविधता और लौह अयस्क भंडार इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं। लंबे समय से इस क्षेत्र में खनन गतिविधियों को लेकर विवाद रहा है — पर्यावरण संरक्षण बनाम औद्योगिक विकास के मुद्दे पर सरकार को संतुलन साधना चुनौतीपूर्ण रहा है।
सूत्रों के अनुसार, मंत्री समूह ने सारंडा क्षेत्र में खनन पट्टों की समीक्षा, वन्यजीव संरक्षण, स्थानीय आदिवासी समुदायों के पुनर्वास और पर्यावरणीय प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया है। अब यह रिपोर्ट आज की कैबिनेट बैठक में पेश की जाएगी।

खनन और पर्यावरण के बीच संतुलन पर चर्चा
राज्य सरकार का कहना है कि वह विकास के साथ पर्यावरण की रक्षा के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सारंडा क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से खनन पर कई तरह की बंदिशें लगी हैं। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को खनन से मिलने वाले राजस्व के साथ-साथ स्थानीय रोजगार के अवसरों पर भी विचार करना होगा।
अधिकारियों के मुताबिक, मंत्री समूह ने सुझाव दिया है कि जहां पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा, वहां सीमित खनन की अनुमति दी जा सकती है। इसके अलावा, जिन इलाकों में वन्यजीवों की आवाजाही अधिक है, वहां किसी भी तरह की खनन गतिविधि को रोकने की सिफारिश की गई है।
आदिवासी हित और पुनर्वास योजना पर जोर
सारंडा क्षेत्र न केवल जैव विविधता से भरपूर है, बल्कि यहां कई आदिवासी समुदाय सदियों से रह रहे हैं। इन समुदायों की आजीविका, संस्कृति और पारंपरिक अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार विशेष नीति तैयार कर रही है।
मंत्री समूह की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी भी औद्योगिक या खनन परियोजना के पहले प्रभावित परिवारों का पुनर्वास और रोजगार सुनिश्चित किया जाए। स्थानीय ग्राम सभाओं से परामर्श लेकर ही आगे की प्रक्रिया तय की जाए।
कैबिनेट बैठक में अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी होंगे शामिल
आज की बैठक में सिर्फ सारंडा रिपोर्ट ही नहीं, बल्कि कई अन्य प्रस्तावों पर भी निर्णय होने की संभावना है। इनमें—
विभिन्न जिलों में सरकारी अस्पतालों को उन्नत बनाने का प्रस्ताव
ग्रामीण जलापूर्ति योजना के विस्तार पर चर्चा
राज्य में नयी सड़क परियोजनाओं को मंजूरी
शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार से जुड़े प्रस्ताव
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार विकास योजनाओं को तेजी से लागू करने के पक्ष में है, लेकिन किसी भी कीमत पर पर्यावरण या आदिवासी अधिकारों से समझौता नहीं किया जाएगा।

सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर भी होगी चर्चा
सारंडा क्षेत्र माओवादी प्रभाव वाले इलाकों में शामिल रहा है। ऐसे में राज्य सरकार सुरक्षा के मोर्चे पर भी सतर्क है। बैठक में गृह विभाग की ओर से सुरक्षा पर विशेष प्रस्तुति दी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस बल की तैनाती, सड़क निर्माण और संचार नेटवर्क मजबूत करने से संबंधित प्रस्तावों पर भी चर्चा होगी।
क्या होगा आगे का रोडमैप?
कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री समूह की रिपोर्ट सार्वजनिक की जा सकती है या इसे आगे समीक्षा के लिए संबंधित विभागों को भेजा जा सकता है। रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के आधार पर राज्य सरकार “सारंडा संरक्षण एवं सतत विकास नीति” (Saranda Conservation and Sustainable Development Policy) का मसौदा तैयार कर सकती है।
इस नीति का उद्देश्य होगा —
1. पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की रक्षा।
2. स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और विकास के अवसर।
3. खनन कंपनियों की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
राजनीतिक दृष्टि से भी अहम बैठक
झारखंड में राजनीतिक माहौल इन दिनों काफी सक्रिय है। विपक्ष लगातार सरकार पर खनन नीति में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगा रहा है। ऐसे में इस कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय सरकार की छवि और राजनीतिक समीकरण दोनों पर असर डाल सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि सरकार सारंडा से जुड़ी नीति को संतुलित और पारदर्शी तरीके से लागू करती है, तो यह आने वाले विधानसभा चुनावों में उसके लिए सकारात्मक मुद्दा बन सकता है।
आज की झारखंड कैबिनेट बैठक न केवल राज्य के विकास और पर्यावरण नीति के लिए अहम है, बल्कि यह यह तय करेगी कि आने वाले वर्षों में झारखंड किस दिशा में आगे बढ़ेगा। सारंडा वन्य अभयारण्य की रिपोर्ट पर सरकार का निर्णय, राज्य के खनन, पर्यावरण और सामाजिक संतुलन की दिशा तय करेगा।
