
झारखंड सरकार ने राज्य में आगामी जनगणना (Census) की तैयारियों को तेज कर दिया है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि मार्च 2027 को आधार तिथि (Reference Date) माना जाएगा। इस घोषणा के साथ ही प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है। जनगणना न केवल जनसंख्या का आंकड़ा जुटाने का माध्यम है, बल्कि यह विकास योजनाओं, संसाधनों के बेहतर वितरण और सामाजिक न्याय की दिशा में अहम कदम साबित होती है।
जनगणना क्यों है महत्वपूर्ण?
जनगणना देश और राज्य दोनों के लिए एक बुनियादी प्रक्रिया है। इससे जुड़ी कुछ अहम बातें इस प्रकार हैं:
जनसंख्या का सही आंकड़ा: राज्य की कुल जनसंख्या कितनी है और उसकी रफ्तार कैसी है, इसका सही अनुमान।
योजना निर्माण: शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली-पानी जैसी योजनाओं के लिए सटीक डाटा।
सामाजिक न्याय: आरक्षण, कल्याणकारी योजनाओं और गरीबी उन्मूलन नीतियों में डेटा की अहम भूमिका।
आर्थिक सर्वेक्षण: रोजगार, पलायन, शहरीकरण और उद्योगों के लिए ठोस जानकारी।
झारखंड सरकार की अधिसूचना में क्या है खास?
राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि:
1. मार्च 2027 आधार वर्ष होगा। यानी इस तिथि के आधार पर जनगणना की गणना और आंकड़े दर्ज किए जाएंगे।
2. जिला प्रशासन को विशेष तैयारी करने का निर्देश दिया गया है।
3. तकनीकी साधनों (टैबलेट, मोबाइल ऐप) का इस्तेमाल कर डेटा कलेक्शन होगा।
4. डिजिटल रिकॉर्ड्स के साथ-साथ पारंपरिक कागजी रिकॉर्ड्स भी सुरक्षित रखे जाएंगे।
5. प्रशिक्षित गणनाकर्मी (Enumerators) की नियुक्ति और प्रशिक्षण जल्द शुरू होगा।
झारखंड की जनगणना से क्या उम्मीदें?
झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है। यहां की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सांस्कृतिक विविधता हमेशा जनगणना के केंद्र में रही है। नई जनगणना से अपेक्षा की जा रही है कि:
आदिवासी समुदायों की सटीक संख्या सामने आएगी।
ग्रामीण और शहरी जनसंख्या में हुए बदलाव की तस्वीर साफ होगी।
पलायन और रोजगार की वास्तविक स्थिति का अनुमान लगेगा।
महिलाओं और बच्चों की स्थिति पर ठोस डाटा मिलेगा।
राज्य की भौगोलिक और सामाजिक असमानताओं को समझने में मदद मिलेगी।
मार्च 2027 को आधार क्यों माना गया?
सरकार का मानना है कि मार्च 2027 को आधार मानने के पीछे कई कारण हैं:
कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना स्थगित हो गई थी।
जनगणना के लिए एक सुरक्षित और स्थिर समय चाहिए, जिसमें सामाजिक-आर्थिक गतिविधियां सामान्य रहें।
मार्च का महीना वित्तीय वर्ष के अंत का समय होता है, जिससे योजनाओं और बजट आवंटन में आसानी होगी।
इस अवधि तक तकनीकी संसाधनों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।
जनगणना की प्रक्रिया: कैसे होगी गणना?
जनगणना की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की जाती है:
1. हाउस लिस्टिंग (House Listing): प्रत्येक घर का ब्योरा दर्ज किया जाता है।
2. जनसंख्या गणना (Population Enumeration): प्रत्येक व्यक्ति का नाम, उम्र, लिंग, पेशा, शिक्षा, धर्म, भाषा आदि की जानकारी ली जाती है।
3. डिजिटल रिकॉर्डिंग: अबकी बार पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाएगा।
4. सत्यापन (Verification): दर्ज किए गए आंकड़ों का मिलान और सत्यापन किया जाएगा।
5. रिपोर्ट जारी (Final Report): राज्य और केंद्र सरकार की ओर से रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी।
झारखंड में पिछली जनगणना के आंकड़े
2011 की जनगणना:
कुल जनसंख्या – लगभग 3.29 करोड़
पुरुष – 1.69 करोड़
महिला – 1.60 करोड़
साक्षरता दर – 67.63%
शहरी जनसंख्या – 24%
पलायन और रोजगार: बड़ी संख्या में लोग रोज़गार की तलाश में झारखंड से बाहर गए।
आदिवासी जनसंख्या: लगभग 26% हिस्सा।
नई जनगणना से विकास योजनाओं को मिलेगी रफ्तार
जनगणना के नए आंकड़े आने के बाद झारखंड सरकार को योजनाओं को नए सिरे से लागू करने का मौका मिलेगा।
शिक्षा: नई स्कूल योजनाओं और कॉलेजों की संख्या तय होगी।
स्वास्थ्य: अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और दवाइयों का बेहतर वितरण होगा।
रोजगार: युवाओं के लिए रोजगार योजनाओं की रूपरेखा बनेगी।
बुनियादी ढांचा: सड़क, बिजली और पानी की योजनाओं में पारदर्शिता आएगी।
विपक्ष और विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों ने जनगणना को लेकर अपनी राय रखी है।
विपक्ष का आरोप: सरकार जातिगत जनगणना से बच रही है।
विशेषज्ञों का कहना: डिजिटल जनगणना से डेटा पारदर्शी होगा लेकिन प्रशिक्षण और तकनीक की बड़ी चुनौती है।
सामाजिक संगठनों की मांग: जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएं ताकि सामाजिक न्याय लागू हो सके।

चुनौतियां भी कम नहीं

चुनौतियां भी कम नहीं
झारखंड में जनगणना की राह आसान नहीं होगी।
भौगोलिक कठिनाई: पहाड़ी और दूर-दराज के इलाकों में गणनाकर्मियों की पहुंच मुश्किल होगी।
तकनीकी दिक्कतें: बिजली और नेटवर्क की समस्या डिजिटल प्रक्रिया में बाधा डाल सकती है।
भाषाई विविधता: राज्य में कई भाषाएं और बोलियां हैं, जिससे डेटा एकत्र करने में कठिनाई होगी।
जनजागरूकता की कमी: ग्रामीण इलाकों में लोगों को प्रक्रिया के महत्व के बारे में समझाना होगा।
झारखंड में मार्च 2027 को आधार मानकर होने वाली जनगणना राज्य की तस्वीर को नए सिरे से उजागर करेगी। यह न केवल आंकड़ों का खेल है बल्कि विकास की रूपरेखा तैयार करने का सबसे बड़ा माध्यम भी है। सरकार, प्रशासन और समाज की साझेदारी से यह प्रक्रिया सफल होगी। आने वाले वर्षों में झारखंड की नीतियों, योजनाओं और संसाधन आवंटन का भविष्य इन्हीं आंकड़ों पर निर्भर करेगा।