
झारखंड सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल की है। इस बार राज्य के 35 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में होने वाली अभिभावक-शिक्षक बैठक (PTM) को विशेष रूप से आयोजित किया जाएगा। खास बात यह है कि इन PTM में मंत्री, सांसद और विधायक भी शामिल होंगे। यह कदम न केवल शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी से शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी
सरकारी स्कूलों में पहली बार इस स्तर की भागीदारी
झारखंड में पहली बार ऐसा हो रहा है कि एक साथ इतने बड़े पैमाने पर जनप्रतिनिधियों को PTM में शामिल करने की योजना बनाई गई है। अब तक अभिभावक-शिक्षक बैठक केवल शिक्षकों और माता-पिता तक ही सीमित रहती थी। लेकिन इस बार मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की मौजूदगी में अभिभावक खुलकर अपनी बात रख सकेंगे।
मुख्य उद्देश्य क्या है?
1. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
शिक्षकों और अभिभावकों के बीच संवाद बढ़ाना।
बच्चों की पढ़ाई, उपस्थिति और प्रदर्शन पर विस्तृत चर्चा।
2. स्कूलों की वास्तविक स्थिति को समझना
जनप्रतिनिधि जमीनी हकीकत देख सकेंगे।
बुनियादी सुविधाओं जैसे शौचालय, पेयजल, पुस्तकालय, खेलकूद की व्यवस्था का जायजा लिया जाएगा।
3. अभिभावकों को जोड़ना
स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विश्वास बढ़ाना।
माता-पिता को बच्चों की शिक्षा में सक्रिय भागीदार बनाना।
कब और कैसे होगा आयोजन?
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार, यह PTM अगले माह राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में आयोजित होगी। इसके लिए एक विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया गया है।
तारीख: आगामी माह के पहले सप्ताह में।
स्थान: राज्य के 35,000 सरकारी स्कूल।
मुख्य अतिथि: मंत्री, सांसद, विधायक और जिला स्तर के अधिकारी।
शिक्षकों की क्या भूमिका होगी?
शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक बच्चे की प्रगति रिपोर्ट तैयार करें और PTM में अभिभावकों को विस्तार से समझाएं। साथ ही, शिक्षा के नए तरीकों और डिजिटल लर्निंग के महत्व को भी उजागर किया जाएगा।
अभिभावकों को मिलेगा यह अवसर
बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी समस्याएं साझा करने का मौका।
स्कूल प्रबंधन से सीधा संवाद।
बेहतर सुविधाओं और योजनाओं की जानकारी।
जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति क्यों महत्वपूर्ण?
झारखंड के ग्रामीण और शहरी इलाकों में शिक्षा की स्थिति में असमानता लंबे समय से बनी हुई है। मंत्री, सांसद और विधायक PTM में शामिल होकर:
सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन देखेंगे।
शिक्षा बजट और विकास कार्यों पर फीडबैक लेंगे।
अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी निभाते हुए शिक्षा को बढ़ावा देंगे।
शिक्षा विभाग की पहल पर क्या बोले अधिकारी?
राज्य शिक्षा परियोजना के निदेशक ने कहा,
“यह पहली बार है जब इस स्तर पर PTM का आयोजन किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से न केवल स्कूलों की दशा सुधरेगी बल्कि बच्चों के भविष्य को भी नई दिशा मिलेगी।”
पिछले वर्षों में PTM की स्थिति
अधिकांश सरकारी स्कूलों में PTM औपचारिकता बनकर रह गई थी।
अभिभावकों की उपस्थिति कम होती थी।
बच्चों के भविष्य पर अपेक्षित चर्चा नहीं हो पाती थी।
इस पहल से संभावित लाभ
1. बच्चों के पढ़ाई के प्रति अभिभावकों की जागरूकता बढ़ेगी।
2. स्कूलों में सुविधाओं के विकास की संभावना बढ़ेगी।
3. सरकारी शिक्षा पर लोगों का विश्वास मजबूत होगा।
4. राजनीतिक नेतृत्व का शिक्षा में सीधा योगदान दिखेगा।
भविष्य में ऐसे और कार्यक्रम होंगे?
सरकार का मानना है कि यह पहल सिर्फ एक शुरुआत है। भविष्य में:
त्रैमासिक PTM का आयोजन।
डिजिटल फीडबैक सिस्टम।
स्कूलों के लिए जनप्रतिनिधियों का मेंटर प्रोग्राम।