
रांची: झारखंड में इस बार मानसून ने अपना असली रंग दिखा दिया है। पिछले तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश ने राज्य में पिछले 10 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, झारखंड में सामान्य से 292 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इस अप्रत्याशित बारिश ने जहां तापमान में गिरावट लाई है, वहीं कई जिलों में जलभराव, नदियों का उफान और फसलों को नुकसान जैसी समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं।
10 सालों में सबसे अधिक बारिश
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के शुरुआती तीन दिनों तक कुल मिलाकर 292% अधिक बारिश हुई है। सामान्य स्थिति में इस अवधि में राज्य में औसतन 20.4 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 79.7 मिमी तक पहुंच गया।
यह वृद्धि पिछले दशक में सबसे अधिक मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी से उठे निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) और मानसूनी ट्रफ की सक्रियता के कारण यह भारी बारिश हुई है।
रांची, हजारीबाग, धनबाद और गिरिडीह सबसे प्रभावित जिले
झारखंड के कई जिलों में बारिश का कहर देखने को मिला है।
रांची: लगातार बारिश से राजधानी की कई सड़कों पर जलभराव, यातायात ठप।
हजारीबाग: निचले इलाकों में पानी भरने से घरों में घुसा पानी।
धनबाद: कोयला खदान क्षेत्रों में जलभराव से उत्पादन प्रभावित।
गिरिडीह: ग्रामीण इलाकों में नदियों का जलस्तर बढ़ा, पुलों पर खतरा मंडरा रहा है।
राज्य के पूर्वी हिस्सों में भी भारी वर्षा से नदी-नालों में उफान है। झरिया, बोकारो और रामगढ़ में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
मौसम विभाग ने फिर जारी किया अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग (IMD) रांची केंद्र ने बताया है कि आने वाले 48 घंटों तक बारिश की स्थिति बनी रह सकती है। विभाग ने रांची, चतरा, पलामू, लातेहार, देवघर, गोड्डा और साहिबगंज जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक अभय कुमार सिन्हा ने बताया —
“बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र अभी भी सक्रिय है। इससे अगले दो दिनों तक झारखंड के कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी। कुछ स्थानों पर भारी वर्षा भी हो सकती है।”
किसानों की बढ़ी चिंता, धान की फसल को नुकसान
इस बारिश से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं राज्य के किसान। अक्टूबर की शुरुआत में झारखंड के कई इलाकों में धान की फसल पकने के कगार पर थी, लेकिन अचानक हुई भारी बारिश से खेतों में पानी भर गया है। इससे फसल गलने का खतरा बढ़ गया है।
हजारीबाग जिले के किसान मनोज महतो कहते हैं —
> “हमने सोचा था कि इस हफ्ते धान की कटाई शुरू करेंगे, लेकिन अब खेतों में इतना पानी भर गया है कि फसल काटना मुश्किल हो गया है।”
कृषि विभाग ने भी किसानों को सलाह दी है कि वे फसलों की सुरक्षा के लिए अस्थायी जलनिकासी की व्यवस्था करें और मौसम अपडेट पर नजर रखें।
शहरी क्षेत्रों में जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त
रांची, धनबाद, जमशेदपुर और बोकारो जैसे बड़े शहरों में जलभराव और जाम ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित है।
रांची नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया —
> “शहर की नालियों की सफाई अभियान मानसून से पहले किया गया था, लेकिन लगातार बारिश के कारण कई जगहों पर जल निकासी रुक गई है। प्रशासन की टीमें स्थिति सुधारने में लगी हैं।”
स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क
लगातार बारिश और जलभराव से डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने जिलों को एडवाइजरी जारी की है कि जलजमाव वाले क्षेत्रों में फॉगिंग और क्लोरीन छिड़काव सुनिश्चित किया जाए।
रांची सिविल सर्जन ने कहा —
> “बारिश के बाद मच्छरों का प्रकोप बढ़ सकता है। लोग अपने घरों के आसपास पानी जमा न होने दें और पूरी बाजू के कपड़े पहनें।”
यातायात और स्कूलों पर असर
बारिश के कारण NH-33 और NH-75 पर जगह-जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है। कई जिलों में स्कूल प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूलों को दो दिनों के लिए बंद करने का निर्णय लिया है।
सड़क निर्माण विभाग ने भी पुलों और डैम की निगरानी बढ़ा दी है। गिरिडीह और लातेहार में दो छोटे पुलों पर पानी चढ़ जाने से आवाजाही अस्थायी रूप से रोकी गई है।
मौसम विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर के शुरुआती दिनों में इतनी भारी बारिश सामान्य नहीं है। इसका असर उत्तर भारत के मौसम पैटर्न पर भी पड़ सकता है। आने वाले हफ्ते में झारखंड समेत बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी छिटपुट वर्षा बनी रह सकती है।
क्लाइमेट एनालिस्ट डॉ. विवेक तिवारी का कहना है —
> “मॉनसून की यह देरी और तीव्रता जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का संकेत है। झारखंड को भविष्य में इससे निपटने के लिए बेहतर जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन योजना पर काम करना होगा।”
झारखंड में हुई इस भारी बारिश ने राज्य के प्रशासन और आम लोगों दोनों को सतर्क कर दिया है। एक तरफ जहां तापमान में गिरावट से मौसम सुहाना हो गया है, वहीं दूसरी ओर फसलों, सड़कों और शहरी बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने लोगों को सावधानी बरतने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है।