
प्रस्तावना
स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाने का लक्ष्य रखा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में इस अभियान की शुरुआत की और 2019 तक इसे सफल बनाने का दावा किया गया। हालांकि, झारखंड जैसे कई राज्यों में यह योजना अब भी सवालों के घेरे में है। ताजा खुलासे से पता चला है कि झारखंड सरकार को केंद्र से ODF योजना के लिए आवंटित बड़ी राशि मिली, लेकिन उसका सही इस्तेमाल नहीं किया गया। परिणामस्वरूप राज्य के कई जिलों और गांवों में आज भी लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
केंद्र का दावा और झारखंड की हकीकत
केंद्र सरकार का दावा है कि उसने झारखंड को खुले में शौच मुक्त राज्य बनाने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया। लेकिन जमीन पर तस्वीर उलट है।
कई जिलों में शौचालय निर्माण अधूरा है।
कहीं निर्माण की गुणवत्ता इतनी खराब है कि लोग उनका उपयोग नहीं कर पा रहे।
कई गांवों में शौचालय बने ही नहीं जबकि कागजों पर पूरे दिखाए गए।
झारखंड को ODF घोषित किए जाने के बावजूद स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी हकीकत पर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्र से मिली राशि और खर्च का आंकड़ा
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने झारखंड को पिछले कुछ वर्षों में ODF योजना के लिए करोड़ों रुपये दिए। लेकिन राज्य स्तर पर उन पैसों का पूरा उपयोग नहीं हुआ।
कई जिलों ने फंड को खर्च ही नहीं किया।
कुछ जिलों ने पैसा अन्य मदों में डायवर्ट कर दिया।
कुछ जगहों पर निर्माण कार्य आधे में ही छोड़ दिए गए।
इससे साफ है कि योजना की सफलता राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक पारदर्शिता पर टिकी हुई है।
ग्रामीण इलाकों की स्थिति
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी खुले में शौच की समस्या आम है।
कई घरों में शौचालय नहीं है।
जहां बने भी हैं, वहां पानी की सुविधा नहीं है।
कई ग्रामीण मानते हैं कि बनाए गए शौचालय इतने छोटे और असुविधाजनक हैं कि उनका उपयोग करना मुश्किल है।
गांव के लोगों का कहना है कि सरकार ने फोटो खींचकर काम पूरा दिखा दिया, लेकिन असल में लोग आज भी खुले में शौच जाते हैं।
विरोधी दलों के आरोप
झारखंड विधानसभा में विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार केंद्र से पैसा तो ले रही है, लेकिन उसका सही इस्तेमाल नहीं कर रही।
ODF योजना के नाम पर भ्रष्टाचार हुआ है।
कई अधिकारी और ठेकेदारों ने मिलकर फर्जी बिल बनवाए और पैसा हजम कर लिया।
बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया कि झारखंड में ODF योजना “कागजों में पूरी” और “जमीन पर अधूरी” है।
सरकार का बचाव
वहीं, झारखंड सरकार का कहना है कि केंद्र से जो राशि मिली थी, वह जिलों तक पहुंचाई गई।
सरकार का दावा है कि प्रशासनिक प्रक्रिया और मॉनिटरिंग की वजह से काम में देरी हुई।
कई क्षेत्रों में भूगोल और संसाधन की कमी से निर्माण कार्य धीमा रहा।
सरकार ने वादा किया है कि आने वाले महीनों में इस दिशा में तेजी से काम होगा।
स्वच्छ भारत मिशन: लक्ष्य और सच्चाई
लक्ष्य
हर घर में शौचालय
खुले में शौच से पूरी तरह मुक्ति
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई का बेहतर माहौल
सच्चाई
झारखंड के दर्जनों गांवों में आज भी लोग खेतों और जंगलों में खुले में शौच जाते हैं।
बच्चों और महिलाओं की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
गंदगी और प्रदूषण की समस्या बनी हुई है।
विशेषज्ञों की राय
स्वच्छता विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल शौचालय बनाना ही पर्याप्त नहीं है।
उसके लिए पानी और रख-रखाव की सुविधा जरूरी है।
लोगों को जागरूक करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
कई जगह शौचालय बने लेकिन लोग उनका उपयोग नहीं कर रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड सरकार को केवल आंकड़ों की बाजीगरी छोड़कर जमीनी स्तर पर गंभीरता से काम करना चाहिए।
जनता की प्रतिक्रिया
रांची, हजारीबाग, धनबाद और गढ़वा जैसे जिलों के लोगों ने इस योजना पर नाराजगी जताई है।
ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय तो बने ही नहीं।
कहीं बने भी तो उनमें पानी का इंतजाम नहीं हुआ।
कई लोग मजबूरी में फिर से खुले में शौच जाने लगे।
महिलाओं ने कहा कि रात के अंधेरे में खुले में शौच जाना उनकी सुरक्षा और सेहत दोनों के लिए खतरा है।
मीडिया रिपोर्ट्स और RTI से खुलासा
हाल ही में कुछ RTI और मीडिया रिपोर्ट्स में यह खुलासा हुआ कि झारखंड सरकार ने ODF योजना पर खर्च नहीं किया गया पैसा वापस कर दिया या रोक कर रखा।
इससे साफ है कि या तो सरकार गंभीर नहीं थी या फिर प्रशासनिक स्तर पर बड़ी लापरवाही हुई।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
खुले में शौच का सबसे बड़ा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है।
बच्चों में दस्त, उल्टी, पेट की बीमारियां फैलती हैं।
गंदगी से मच्छरों और कीड़ों की संख्या बढ़ती है।
महिलाओं और बच्चियों के लिए यह असुरक्षा का कारण बनता है।
WHO और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड जैसे राज्यों में खुले में शौच से हर साल हजारों बच्चे बीमार पड़ते हैं।
भविष्य की राह
विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि अगर झारखंड को वास्तव में ODF बनाना है तो:
1. फंड का सही इस्तेमाल और पारदर्शिता जरूरी है।
2. गांवों में जागरूकता अभियान चलाना होगा।
3. हर शौचालय में पानी की सुविधा सुनिश्चित करनी होगी।
4. गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा, ताकि लोग उनका उपयोग करें।
5. जिलों की मॉनिटरिंग और जिम्मेदारी तय करनी होगी।
झारखंड को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाने की योजना कागजों पर भले ही सफल दिखाई गई हो, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। केंद्र ने पैसा दिया, लेकिन राज्य सरकार ने उसका सही उपयोग नहीं किया। नतीजा यह है कि गांवों में लोग अब भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
यह सवाल सिर्फ झारखंड पर नहीं बल्कि पूरे देश की स्वच्छता नीति पर उठता है कि क्या केवल शौचालय बनाना काफी है या जागरूकता, गुणवत्ता और पारदर्शिता भी उतनी ही जरूरी है।