हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
झारखंड में पेसा कानून के लागू होने को लेकर कानूनी प्रक्रिया एक बार फिर से तेज हो गई है। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा है कि पेसा नियमावली को लागू करने की अंतिम तिथि क्या होगी। गुरुवार को चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार बताए कि पेसा नियमावली कब तक अधिसूचित की जाएगी।
संविधान की पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रों में पेसा कानून का महत्व
भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने, जनजातीय समुदायों को अधिकार देने और ग्रामसभा को केंद्र में रखने के लिए पेसा कानून बनाया गया था। झारखंड में यह कानून कई वर्षों से लंबित है और इसके नियम अभी तक अधिसूचित नहीं हुए हैं। इसी देरी को लेकर सामाजिक संगठनों ने कई बार चिंता जताई है और इसी मुद्दे पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
याचिकाकर्ता ने उठाई देरी की समस्या
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पेसा कानून लागू न होने से आदिवासी क्षेत्रों में विकास योजनाओं पर असर पड़ रहा है। ग्रामसभा के अधिकार सीमित हो रहे हैं और भूमि व संसाधनों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया बाधित हो रही है। उनका दावा है कि नियम लागू होने से स्थानीय समुदायों को जल, जंगल और जमीन पर पारदर्शी नियंत्रण मिल सकेगा।
अदालत ने पूछा—कब तक जारी होगी नियमावली?
सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि पेसा नियमावली कितने दिनों के भीतर अधिसूचित की जाएगी और क्या कोई निश्चित समय-सीमा तय की गई है। अदालत ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई से पहले सरकार हलफनामा दाखिल कर यह बताए कि नियम लागू करने की निश्चित तिथि क्या होगी।
सरकार पर बढ़ा दबाव, विपक्ष भी हमलावर
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद राज्य सरकार पर अब दबाव बढ़ गया है कि वह पेसा कानून लागू करने की समय-सीमा सार्वजनिक करे। विपक्ष ने भी इस मसले पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। जबकि आदिवासी संगठन उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द नियमावली जारी करके इस ऐतिहासिक कानून को लागू करेगी।
कब आएगा अंतिम फैसला?
अदालत की ओर से स्पष्ट निर्देश मिलने के बाद यह मामला अब निर्णायक चरण में पहुंच गया है। अगली सुनवाई में यह साफ हो सकता है कि झारखंड में पेसा कानून कब तक लागू होगा और क्या सरकार इसके लिए तैयार है। फिलहाल सरकार की ओर से कोई अंतिम तिथि सार्वजनिक नहीं की गई है।
यह समाचार उपलब्ध अदालती कार्यवाही और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। किसी भी आधिकारिक स्थिति या निर्णय के लिए राज्य सरकार की अधिसूचनाओं को प्राथमिक मानें।

