
रांची।
झारखंड में सरकारी नौकरी पाने का सपना देखने वाले लाखों युवाओं के लिए यह खबर किसी चेतावनी से कम नहीं। बीते कुछ महीनों में राज्य में हुई एक शारीरिक परीक्षा (Physical Test) के दौरान 12 युवा उम्मीदवारों की मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। यह घटना न केवल सरकारी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है, बल्कि इस बात को भी उजागर करती है कि बेरोजगारी और तैयारी के बीच कैसे युवाओं की जान दांव पर लग जाती है।
घटना कैसे घटी?
झारखंड में हाल ही में आयोजित हुई एक सरकारी भर्ती परीक्षा के शारीरिक दक्षता परीक्षण के दौरान यह दर्दनाक हादसा हुआ। यह परीक्षा पुलिस भर्ती (झारखंड कांस्टेबल/सिपाही भर्ती) के लिए आयोजित की गई थी। हजारों उम्मीदवारों को 5 से 10 किलोमीटर तक दौड़ने के लिए कहा गया था।
इस दौड़ में अत्यधिक गर्मी और उमस के कारण कई उम्मीदवार बेहोश हो गए।
पर्याप्त चिकित्सीय सुविधा और प्राथमिक उपचार न मिलने से 12 युवाओं की मौत हो गई।
बाकी उम्मीदवारों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें कई की हालत गंभीर रही।
सरकारी नौकरी के लिए इतनी होड़ क्यों?
झारखंड जैसे राज्यों में सरकारी नौकरी को सबसे सुरक्षित और स्थायी रोजगार माना जाता है।
स्थायी वेतन और पेंशन
सामाजिक प्रतिष्ठा
नौकरी की सुरक्षा
ग्रामीण और शहरी युवाओं के लिए सबसे बड़ी उम्मीद
इन कारणों से लाखों युवा हर साल प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं। लेकिन इस घटना ने दिखा दिया कि सरकारी नौकरी पाने की इस दौड़ में सिस्टम कितना नाकाम साबित हो सकता है।
हादसे के बाद सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने घटना के बाद जांच के आदेश दिए।
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की घोषणा हुई।
मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की बात कही गई।
लेकिन भर्ती प्रक्रिया अब भी पूरी नहीं हो पाई है।
कई महीनों बीतने के बावजूद चयन प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है। जिन उम्मीदवारों ने लिखित परीक्षा पास की थी, वे अब भी परिणाम और अंतिम नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
उम्मीदवारों का गुस्सा और आंदोलन
मृतक उम्मीदवारों के परिजनों और बाकी प्रतिभागियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की मांग की।
मृतकों के परिवार को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा देने की अपील की।
भविष्य में इस तरह के हादसे रोकने के लिए मेडिकल सुविधाएं और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने की मांग उठाई।
अधूरी क्यों है भर्ती प्रक्रिया?
1. जांच के कारण रोक: घटना की गंभीरता को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई।
2. नए दिशा-निर्देश लागू होने बाकी: सरकार ने कहा कि अगली बार दौड़ व अन्य शारीरिक परीक्षण में सुरक्षा प्रोटोकॉल को और कड़ा किया जाएगा।
3. राजनीतिक दखल: घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया, जिससे फैसले में देरी हो रही है।
झारखंड में बेरोजगारी की स्थिति
झारखंड का बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और कौशल विकास की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या और प्रतियोगिता की तीव्रता युवाओं को तनाव में डाल रही है।
क्या सीख मिलती है इस घटना से?
1. भर्ती प्रक्रिया में सुधार की जरूरत:
शारीरिक परीक्षा के दौरान पर्याप्त डॉक्टर और एंबुलेंस तैनात हों।
मौसम और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर शारीरिक मानदंड तय किए जाएं।
2. उम्मीदवारों की तैयारी:
बिना पर्याप्त ट्रेनिंग और स्वास्थ्य जांच के परीक्षा में शामिल न हों।
फिटनेस को प्राथमिकता दें, केवल चयन की जल्दी में स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें।
3. सरकार की जवाबदेही:
समय पर भर्ती पूरी करें।
मृतकों के परिवार को केवल मुआवजा ही नहीं, बल्कि न्याय भी मिले।