
रांची। झारखंड की राजनीति एक बार फिर शराब घोटाले को लेकर गरमाई हुई है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बाबूलाल मरांडी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट कर आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने शराब व्यापार में बड़े पैमाने पर अनियमितता और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। उन्होंने इसे “जनता के विश्वास के साथ धोखा” करार दिया और कहा कि सरकार की मिलीभगत से शराब माफियाओं को लाभ पहुँचाने का काम किया गया है।
शराब घोटाले का आरोप
नेता प्रतिपक्ष ने अपने पोस्ट में लिखा कि झारखंड में शराब की नीतियों में पारदर्शिता का अभाव है। सरकार ने लाइसेंस आवंटन में गड़बड़ी की है, जिससे अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला है। मरांडी ने यह भी आरोप लगाया कि इसमें सरकारी अधिकारियों और कुछ बड़े व्यापारियों की मिलीभगत है। उन्होंने कहा, “जनता की जेब से पैसा निकाल कर भ्रष्टाचारियों को लाभ पहुँचाना बंद हो। झारखंड की छवि खराब हो रही है।”
उनके अनुसार, राज्य में बढ़ती शराब बिक्री ने सामाजिक संतुलन को प्रभावित किया है। बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता के बीच शराब की लत ने गरीब परिवारों को और संकट में धकेल दिया है। मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार शराब नीति के नाम पर उद्योगपतियों और राजनीतिक दलालों को फायदा पहुंचाने में व्यस्त है।
हेमंत सरकार की प्रतिक्रिया
हेमंत सोरेन सरकार ने अभी तक इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, सरकार के कुछ प्रवक्ताओं ने इसे विपक्ष का राजनीतिक एजेंडा बताया है। उनका कहना है कि शराब नीति का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना और रोजगार सृजन करना है। साथ ही, अवैध शराब पर कार्रवाई के लिए विशेष टास्क फोर्स भी बनाई गई है। फिर भी विपक्ष का आरोप है कि कार्रवाई केवल कागज़ों में है और वास्तविक रूप से अवैध कारोबार पर नकेल नहीं कसी जा रही।
जनता की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर आम जनता में भी असंतोष है। कई लोगों का मानना है कि राज्य में शराब की बिक्री बढ़ने से घरेलू हिंसा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ रही हैं। कुछ समाजसेवी संगठनों ने इसे युवाओं के भविष्य के लिए खतरा बताया है। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि सरकार शराब से होने वाले राजस्व को विकास कार्यों में उपयोग कर सकती है, बशर्ते वितरण प्रणाली पारदर्शी हो।
ग्रामीण इलाकों में महिलाएँ विशेष रूप से नाराज़ दिख रही हैं। वे कहती हैं कि शराब की बिक्री ने परिवारों की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ दिया है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करने वाले पैसे शराब पर खर्च हो रहे हैं।
राजनीतिक असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में हेमंत सरकार के खिलाफ विपक्ष का प्रमुख हथियार बन सकता है। बाबूलाल मरांडी का यह आक्रामक रुख राज्य की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। विपक्ष का लक्ष्य सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना है, जबकि सत्ता पक्ष इसे विकास के रास्ते में बाधा मान रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि शराब नीति पर पारदर्शिता और जवाबदेही का सवाल उठना स्वाभाविक है। यदि विपक्ष इसे संगठित तरीके से उठाता है तो इसका असर विधानसभा चुनाव तक दिख सकता है।
सोशल मीडिया की भूमिका
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर बाबूलाल मरांडी के पोस्ट को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है। उनके समर्थक इसे सही दिशा में उठाया गया मुद्दा बता रहे हैं, जबकि विरोधी इसे चुनावी राजनीति करार दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर हैशटैग #शराबघोटाला और #हेमंतसरकार ट्रेंड कर रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर राजनीतिक विमर्श तेज हो गया है। आम जनता, पत्रकार और राजनीतिक कार्यकर्ता इस मुद्दे पर बहस कर रहे हैं। कई यूज़र्स ने राज्य में पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार की मांग की है।
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से निम्नलिखित माँगें की हैं:
1. शराब लाइसेंस प्रक्रिया की पूरी जानकारी सार्वजनिक की जाए।
2. अवैध शराब पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
3. एक स्वतंत्र जांच समिति गठित कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
4. शराब नीति में सुधार कर सामाजिक हितों को प्राथमिकता दी जाए।
वहीं, सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह जवाबदेही तय करे और जनता को विश्वास में लेकर आगे बढ़े।
शराब घोटाले को लेकर बाबूलाल मरांडी का हेमंत सरकार पर हमला झारखंड की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक चर्चा का केंद्र यही मामला है। विपक्ष इसे भ्रष्टाचार का प्रतीक बता रहा है तो सत्ता पक्ष इसे राजनीति से प्रेरित आरोप। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस चुनौती का कैसे सामना करती है और जनता किस पक्ष के साथ खड़ी होती है।
यह मुद्दा न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी झारखंड के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।