
जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना से रखती हैं। यह व्रत पितृपक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस साल जितिया व्रत 14 सितंबर 2025, रविवार को रखा जाएगा। यह व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें पूरे दिन निर्जल उपवास रखा जाता है।
जितिया पूजा मुहूर्त 2025
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:33 से 05:19 बजे तक
प्रातः संध्या: 04:56 से 06:05 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:52 से 12:41 बजे तक
विजय मुहूर्त: 02:20 से 03:09 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: 06:27 से 06:51 बजे तक
सायाह्न संध्या: 06:27 से 07:37 बजे तक

जितिया पूजा सामग्री

जितिया पूजा सामग्री
कुश (जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाने के लिए)
गाय का गोबर (चील व सियारिन की आकृति हेतु)
अक्षत (चावल)
दूर्वा की माला, श्रृंगार सामग्री, सिंदूर
पान, सुपारी, लौंग, इलायची
मिठाई और मौसमी फल
पुष्प, पेड़ा
धूप, दीप, सरसों का तेल
गांठ का धागा, बांस के पत्ते
जितिया पूजा विधि
1. व्रती महिला प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूजा आरंभ करें।
3. मिट्टी और गोबर से चील व सियारिन की मूर्तियां बनाएं।
4. कुश से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा करें।
5. दीप, धूप, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
6. शुभ मुहूर्त में व्रत कथा सुनें और अंत में आरती करें।
7. अगले दिन व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को दान दें।
जितिया व्रत की कथा (Jitiya Vrat Katha)
जितिया व्रत की कथा में जीमूतवाहन नामक राजकुमार का उल्लेख मिलता है। वे परोपकारी और धर्मनिष्ठ थे। कथा के अनुसार, एक बार उन्होंने देखा कि नागवंश की माताएं दुखी हैं क्योंकि प्रतिदिन गरुड़ देव उनके एक पुत्र को भोजन स्वरूप ले जाते थे। जीमूतवाहन ने नागमाताओं से वचन लिया कि वे उनकी संतान को बचाएंगे।
अगले दिन जब गरुड़ देव नागपुत्र को लेने आए तो जीमूतवाहन स्वयं शिला पर लेट गए और गरुड़ देव से कहा कि वे उन्हें खा लें। उनकी निःस्वार्थ भावना से गरुड़ देव अत्यंत प्रसन्न हुए और वचन दिया कि अब वे किसी नागपुत्र का वध नहीं करेंगे।
इसी प्रकार एक अन्य कथा में चील और सियारिन का उल्लेख है। दोनों ने जितिया व्रत रखा। व्रत की प्रभाव से सियारिन की संतानें सुरक्षित रहीं, जबकि चील की संतानें समय से पहले मृत्यु को प्राप्त हुईं। तभी से यह व्रत संतान रक्षा का महत्त्वपूर्ण पर्व माना जाता है।
पीरियड में जितिया व्रत कैसे रखें
यदि महिला पहले से व्रत रखती आई है तो पीरियड में भी व्रत को नहीं छोड़ना चाहिए। इस स्थिति में पूजा किसी अन्य महिला से करवाई जा सकती है और स्वयं थोड़ी दूरी से कथा सुनी जा सकती है। लेकिन पहली बार व्रत रखने की शुरुआत पीरियड में नहीं करनी चाहिए।
जितिया व्रत मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।
जितिया व्रत आरती
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
जितिया व्रत मातृत्व, त्याग और संतान के प्रति प्रेम का प्रतीक है। इस दिन पूरी निष्ठा से पूजा करने और कथा सुनने से संतान की दीर्घायु और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। पाठकों से निवेदन है कि किसी भी व्रत या अनुष्ठान को करने से पहले योग्य पंडित या विद्वान से परामर्श अवश्य लें।