दो बच्चों की मां और घर की ज़िम्मेदारियों के साथ JPSC में रच दिया इतिहास ।

 

चाईबासा, झारखंड।
कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत में सच्चाई हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। इस बात को सच कर दिखाया है चाईबासा की सीमा कुमारी ने, जिन्होंने दो बच्चों की देखभाल, घर की ज़िम्मेदारियाँ और सीमित संसाधनों के बावजूद झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) में 142वीं रैंक हासिल की है। यह सीमा का दूसरा प्रयास था, और इस बार उन्होंने वह कर दिखाया जो कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गया।

घर और बच्चों के साथ पढ़ाई की चुनौती

सीमा की सफलता की सबसे खास बात यह है कि उन्होंने यह मुकाम एक मां और गृहिणी की भूमिका निभाते हुए हासिल किया। दो छोटे बच्चों की देखभाल करना, घर के कामकाज संभालना और फिर देर रात तक बैठकर JPSC की पढ़ाई करना, यह किसी जंग से कम नहीं था। लेकिन सीमा ने हार नहीं मानी।

सीमा बताती हैं, “मुझे पढ़ाई का समय दिन में कम ही मिल पाता था। बच्चे सोते थे, तभी किताबें खोलती थी। कई बार थक जाती थी, पर हर दिन खुद को याद दिलाती थी कि मैं क्या बनना चाहती हूं।”

दूसरे प्रयास में मिली सफलता

सीमा ने JPSC की परीक्षा पहली बार 2021 में दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। उस समय उन्होंने सिर्फ 5 महीने की तैयारी की थी और परीक्षा का अनुभव लिया। लेकिन इस बार, उन्होंने 2023 में परीक्षा दी और मेहनत रंग लाई। सीमित समय और संसाधनों में उन्होंने अपने लक्ष्य को साध लिया और 142वीं रैंक प्राप्त कर JPSC में चयनित हुईं।

सपोर्ट सिस्टम बना परिवार

सीमा की इस सफलता में उनके परिवार का भी बड़ा योगदान रहा। उनके पति ने न सिर्फ मानसिक समर्थन दिया बल्कि बच्चों की देखभाल में भी मदद की, ताकि सीमा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें। सास-ससुर और अन्य परिजनों ने भी सीमा को निरंतर प्रेरित किया।

सीमा बताती हैं, “मेरे पति ने मुझसे कहा था कि तुम सिर्फ पढ़ाई करो, बाकी सब मैं देख लूंगा। बस उसी भरोसे पर मैंने खुद को झोंक दिया।”

कोचिंग नहीं, ऑनलाइन साधनों से की तैयारी

सीमा ने किसी बड़े कोचिंग संस्थान का सहारा नहीं लिया। उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, यूट्यूब वीडियो और मुफ्त मटेरियल की मदद से तैयारी की। विषयों को खुद समझा, नोट्स बनाए और खुद को हर दिन बेहतर किया।

उनका कहना है, “अब संसाधनों की कमी बहाना नहीं है। आज सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। बस सही दिशा और अनुशासन चाहिए।”

महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा

सीमा की यह कहानी न सिर्फ JPSC की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए, बल्कि हर उस महिला के लिए एक मिसाल है जो घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों के बीच खुद के सपनों को कहीं भूल बैठती हैं। सीमा ने यह साबित कर दिया कि मां और अफसर दोनों भूमिकाएं एक साथ निभाई जा सकती हैं, बस ज़रूरत है आत्मविश्वास और लगन की।

उनका संदेश है, “हर महिला के भीतर एक ताकत होती है। बस उस पर यकीन करना शुरू कर दो, फिर कोई भी मंज़िल दूर नहीं।”

JPSC की परीक्षा और चयन प्रक्रिया

झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की परीक्षा राज्य की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। इसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू की प्रक्रिया होती है। हर साल हजारों उम्मीदवार इस परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन सीमित सीटों के कारण चयन बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होता है।

सीमा ने मुख्य रूप से इतिहास और झारखंड से जुड़े विषयों पर अधिक ध्यान दिया और करेंट अफेयर्स को रोजाना पढ़ना अपनी आदत बना लिया। इंटरव्यू में उन्होंने अपने पारिवारिक बैकग्राउंड और जीवन अनुभवों को आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत किया।

संघर्ष ही है असली ताकत

सीमा की सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर आपके पास सपना, समर्पण और साहस है, तो मंज़िल ज़रूर मिलेगी। चाईबासा की सीमा ने न सिर्फ JPSC क्लियर किया, बल्कि उन्होंने हजारों महिलाओं और मांओं को यह संदेश भी दिया कि अपने सपनों को टालो मत, उन्हें जीओ—क्योंकि आप कर सकती है ।

 

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