रांची। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की संयुक्त स्नातक स्तर (CGL) परीक्षा पेपर लीक मामले में आज झारखंड हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। यह मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि इस परीक्षा के जरिए हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य का सवाल जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर जांच में अब तक क्या प्रगति हुई है और किस स्तर पर कार्रवाई की गई है।
एसआईटी जांच का आदेश और उसकी स्थिति
झारखंड सरकार ने बीते महीने इस पूरे मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया था। SIT को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह पेपर लीक से जुड़े हर एंगल की जांच करे — चाहे वह परीक्षा केंद्र हो, परीक्षा से जुड़े अधिकारी हों या फिर टेक्निकल पार्टनर कंपनियां। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने बताया कि जांच टीम ने कई आरोपियों से पूछताछ की है और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल और लैपटॉप को जब्त किया गया है। टीम अब डिजिटल एविडेंस का विश्लेषण कर रही है।
पेपर लीक का खुलासा कैसे हुआ
गौरतलब है कि JSSC-CGL परीक्षा 2025 के पहले चरण के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर कुछ प्रश्नपत्र वायरल हो गए थे। अभ्यर्थियों ने सवाल उठाया कि जो प्रश्न परीक्षा के दौरान पूछे गए, वही इंटरनेट पर पहले से मौजूद थे। इस बात ने परीक्षा की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद JSSC ने शुरुआती जांच की और मामला पुलिस को सौंपा। पुलिस की जांच में कई ऐसे सबूत मिले जिनसे यह संकेत मिला कि परीक्षा से पहले ही पेपर कुछ लोगों तक पहुंच चुका था।
अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन
इस पेपर लीक कांड के बाद राजधानी रांची, बोकारो, धनबाद और हजारीबाग में हजारों अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना था कि मेहनत और संघर्ष के बावजूद कुछ लोग सिस्टम में सेंध लगाकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग की कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित किया जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।

हाईकोर्ट का सख्त रुख
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले न केवल अभ्यर्थियों के भविष्य को प्रभावित करते हैं, बल्कि सरकार की साख पर भी प्रश्नचिह्न लगाते हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि SIT जांच में अब तक क्या निष्कर्ष निकले हैं और क्या पेपर लीक के पीछे किसी संगठित गिरोह का हाथ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जांच में देरी हुई तो कोर्ट खुद इसकी मॉनिटरिंग पर विचार करेगा।
अब तक की गिरफ्तारी और कार्रवाई
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें परीक्षा केंद्रों के कर्मचारी, कोचिंग संचालक और कुछ टेक्निकल फर्म के सदस्य शामिल हैं। कुछ संदिग्धों से पूछताछ जारी है और पुलिस को शक है कि यह एक बड़ा संगठित नेटवर्क है जो सिर्फ JSSC ही नहीं, बल्कि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को भी निशाना बना चुका है।
झारखंड पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस पूरे नेटवर्क के बैंक ट्रांजेक्शन, कॉल रिकॉर्ड और डिजिटल डेटा को खंगालना शुरू किया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार परीक्षा प्रक्रिया की सुरक्षा में पूरी तरह विफल रही है। वहीं कांग्रेस और झामुमो ने कहा कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और SIT को पूरी छूट दी गई है।
अभ्यर्थियों की उम्मीदें
अब सभी की निगाहें झारखंड हाईकोर्ट और SIT की रिपोर्ट पर टिकी हैं। अभ्यर्थी चाहते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले और परीक्षा की नई तिथि घोषित की जाए ताकि उनका भविष्य अंधकार में न जाए।
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह के लिए निर्धारित की है और सरकार को कहा है कि जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए।
JSSC-CGL पेपर लीक मामला झारखंड की प्रतियोगी परीक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी चेतावनी है। न्यायालय और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है कि पारदर्शिता कायम रखी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि न्याय मिलेगा और उनकी मेहनत पर किसी भी तरह का दाग नहीं लगेगा।
