झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की ओर से आयोजित की जाने वाली कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL) परीक्षा पेपर लीक विवाद में झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। यह फैसला उन हजारों अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो लंबे समय से भर्ती प्रक्रिया के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सही और पारदर्शिता के आधार पर आयोजित परीक्षा को निरस्त करने का कोई आधार नहीं मिलता, इसलिए सरकार और JSSC नियुक्ति प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाएं और समयसीमा के भीतर पूरा करें।

कोर्ट का स्पष्ट रुख: परीक्षा रद्द करने के हालात नहीं
पिछले कुछ महीनों से CGL पेपर लीक के आरोपों पर सोशल मीडिया—खासतौर पर X और Facebook—पर जमकर चर्चाएँ चल रही थीं। कई संगठनों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि परीक्षा में गड़बड़ी हुई है और पेपर लीक का मामला व्यापक रूप से फैला हुआ है।
हाईकोर्ट ने सभी पहलुओं की विस्तृत सुनवाई करने के बाद कहा कि—
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में किसी संगठित पेपर लीक गिरोह का प्रमाणिक खुलासा नहीं हुआ।
परीक्षा केंद्रों की निगरानी, CCTV रिकॉर्ड और तकनीकी ऑडिट में किसी बड़े पैमाने पर अनियमितता नहीं मिली।
कुछ isolated घटनाओं को आधार बनाकर पूरी परीक्षा रद्द करना हज़ारों मेहनती अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा।
न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी परीक्षा को रद्द करने के लिए ठोस और प्रमाणित सबूतों की जरूरत होती है, न कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली पोस्टों या अपुष्ट आरोपों की।
JSSC का पक्ष कोर्ट में मजबूत
JSSC ने कोर्ट में अपने पक्ष का मजबूती से बचाव किया। आयोग ने बताया—
परीक्षा मल्टी-लेयर सिक्योरिटी सिस्टम के तहत आयोजित की गई थी।
प्रश्नपत्र इंटरनेट आधारित सिक्योर सर्वर से नियंत्रित रहे।
किसी भी केंद्र से डेटा-लीक या नेटवर्क ब्रेकिंग का प्रमाण नहीं मिला।
कुछ व्यक्तियों के संदिग्ध गतिविधियों को पुलिस ने पकड़ा है, लेकिन उससे पूरे पेपर लीक का दावा सिद्ध नहीं होता।
JSSC ने साफ कहा कि परीक्षा पारदर्शी और तकनीकी सुरक्षा व्यवस्था के साथ हुई है, इसलिए इसे रद्द करने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। कोर्ट ने इस स्थिति को स्वीकार किया।
राज्य सरकार ने भी दिया समर्थन
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि भर्ती प्रक्रिया को रोक देने से—
विभागों में लंबे समय से खाली पड़े पदों पर कामकाज प्रभावित हो रहा है
बेरोजगार युवाओं के भविष्य को अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है
राज्य में प्रशासनिक ढांचा कमजोर हो रहा है
सरकार ने कोर्ट से अनुरोध किया कि पारदर्शी परीक्षा को रद्द करने की अनुमति न दी जाए और भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के तर्कों को भी स्वीकार किया।
अदालत का बड़ा निर्देश: जल्द पूरी की जाए नियुक्ति प्रक्रिया
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि
CGL परीक्षा वैध मानी जाएगी
JSSC बिना देरी किए अगली मेरिट लिस्ट और नियुक्ति संबंधित कार्य शुरू करे
चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए आयोग समय-समय पर अद्यतन रिपोर्ट देगा
कोर्ट ने आयोग को यह भी कहा कि भविष्य की परीक्षाओं में सुरक्षा और कड़े निर्देशों को और मजबूत बनाया जाए ताकि किसी भी प्रकार की शंका की गुंजाइश न रहे।
अभ्यर्थियों में खुशी की लहर
हाईकोर्ट के फैसले के बाद भारी संख्या में अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कई उम्मीदवारों ने कहा कि वे महीनों से भर्ती के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे और उन पर मानसिक व आर्थिक तनाव बढ़ता जा रहा था।
फैसले के बाद कई छात्र संगठनों ने भी कहा कि यह निर्णय उन अभ्यर्थियों के पक्ष में है जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी की और भाग लिया।
विपक्ष और संगठनों की प्रतिक्रिया
कुछ सामाजिक संगठनों ने यह मांग दोहराई कि सरकार को पेपर लीक से जुड़े मामलों की जांच को जारी रखना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों। हालांकि, उन्होंने भी यह माना कि जिन परीक्षाओं में कोई ठोस गड़बड़ी नहीं मिली, उन्हें रद्द नहीं किया जाना चाहिए।
विपक्षी दलों ने यह मुद्दा विधान सभा में उठाने की बात कही है, लेकिन कोर्ट का यह फैसला फिलहाल विवाद को एक स्पष्ट दिशा देता है।
भविष्य के लिए आयोग को मिली चेतावनी
हालांकि फैसला JSSC के पक्ष में गया है, लेकिन कोर्ट ने आयोग को यह चेतावनी भी दी
परीक्षा सुरक्षा के प्रोटोकॉल को अपग्रेड किया जाए
प्रश्नपत्र निर्माण व वितरण प्रणाली को और मजबूत किया जाए
गड़बड़ी होने पर त्वरित कार्रवाई हो
यह निर्देश आगामी भर्ती परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
क्या आगे होगा?
फैसले के बाद अब JSSC जल्द ही
फाइनल रिजल्ट जारी कर सकता है
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन शुरू करेगा
नियुक्ति पत्र वितरित करेगा
हजारों युवाओं की नौकरी की उम्मीदें इस फैसले के बाद एक बार फिर जगी हैं।
