
Kajari Teej 2025: पूजा का शुभ मुहूर्त, चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय और इस व्रत का महत्व
कजरी तीज, जिसे कजली तीज भी कहा जाता है, सावन और भाद्रपद मास में आने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पति की दीर्घायु होती है। इस वर्ष कजरी तीज का पर्व 12 अगस्त 2025, मंगलवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं सुबह से निर्जला व्रत रखती हैं और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। रात को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है।
कजरी तीज 2025 का शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार, इस वर्ष कजरी तीज की पूजा का शुभ समय दोपहर से लेकर शाम तक रहेगा। इस अवधि में शिव-पार्वती की विधिवत पूजा करना शुभ फल देता है। पूजा के लिए कलश स्थापना, गंगाजल से शुद्धिकरण, रोली, अक्षत, फूल और प्रसाद का विशेष महत्व है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय
इस दिन महिलाएं रात को चंद्रमा के उदय का इंतजार करती हैं, क्योंकि चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत का समापन होता है। कजरी तीज पर चंद्रमा उदय का समय लगभग रात 8 बजे से 9 बजे के बीच रहेगा (स्थान के अनुसार समय में बदलाव संभव है)। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय दूध, जल और चावल का मिश्रण अर्पित किया जाता है, और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
कजरी तीज का महत्व और मान्यता
कजरी तीज व्रत का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है। साथ ही, यह व्रत सौभाग्य, समृद्धि और परिवार में खुशहाली लाने वाला माना जाता है। ग्रामीण इलाकों में इस पर्व को गीत, नृत्य और मेले के रूप में भी मनाया जाता है। महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और झूला झूलने की परंपरा निभाती हैं।
पूजा विधि
सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को सजाएं और कलश स्थापना करें। शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं। रोली, अक्षत, फूल, बेलपत्र और मिठाई अर्पित करें। पूरे दिन व्रत रखें और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन ग्रहण करें।