*मिर्जापुर स्टेशन पर ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस को लेकर भिड़े कांवड़िए और CRPF जवान, आरक्षित सीट पर बैठने को लेकर हुई कहासुनी

*मिर्जापुर स्टेशन पर ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस को लेकर भिड़े कांवड़िए और CRPF जवान, आरक्षित सीट पर बैठने को लेकर हुई कहासुनी

मिर्जापुर। सावन में कांवड़ यात्रा के कारण ट्रेनों पर बढ़े दबाव के बीच शुक्रवार को मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर एक अप्रिय घटना सामने आई। यहां ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस पकड़ने आए CRPF के एक जवान और हरिद्वार से लौट रहे कांवड़ियों के बीच आरक्षित सीट को लेकर कहासुनी हो गई। मामला गर्माने लगा लेकिन RPF और रेलवे कर्मचारियों की तत्परता से विवाद को जल्द शांत कर लिया गया।

* घटना ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 15955) के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से पहले की है। प्लेटफार्म नंबर-2 पर बड़ी संख्या में कांवड़िए ट्रेन का इंतज़ार कर रहे थे। इसी दौरान ड्यूटी पर जा रहे एक CRPF जवान, जो असम तैनात बताए जा रहे हैं, आरक्षित टिकट के साथ ट्रेन में चढ़े। जवान ने अपनी बर्थ पर पहले से बैठे कुछ कांवड़ियों से सीट छोड़ने का अनुरोध किया, लेकिन कांवड़ियों ने भीड़ का हवाला देते हुए सीट खाली करने से इनकार कर दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बात-बात में कहासुनी इतनी बढ़ गई कि स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जवान बार-बार अपना टिकट दिखाकर सीट खाली करने को कहते रहे जबकि कांवड़िए धार्मिक यात्रा का हवाला देते रहे। बहस के दौरान आवाजें तेज हुईं तो आसपास के यात्री भी इकट्ठा हो गए।

स्थिति बिगड़ने से पहले ही रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और GRP मौके पर पहुंची। जवानों ने दोनों पक्षों को समझाकर मामला शांत कराया। रेलवे अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि आरक्षित कोच में केवल वैध टिकटधारकों को ही बैठने की अनुमति है और अनुशासन बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है।

रेलवे प्रशासन ने बताया कि घटना केवल गलतफहमी की वजह से हुई थी, जिसे समय रहते सुलझा लिया गया। किसी तरह की मारपीट या अप्रिय स्थिति नहीं बनने दी गई। जवान को उसकी बर्थ दी गई और ट्रेन समय पर रवाना हुई।

सावन में उत्तर भारत के रेल मार्गों पर कांवड़ियों की भारी भीड़ देखी जाती है। हरिद्वार, गंगोत्री, ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों से लौटते श्रद्धालु कई बार बिना आरक्षण के भी ट्रेनों में चढ़ जाते हैं। इससे आरक्षित यात्रियों को परेशानी होती है और इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

रेलवे हर वर्ष कांवड़ यात्रा के दौरान विशेष व्यवस्थाएं करता है। इस बार भी कई विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं, लेकिन मुख्य ट्रेनों पर दबाव कम नहीं हो सका है। यात्रियों ने रेलवे से मांग की है कि कांवड़ियों के लिए अलग डिब्बों की व्यवस्था हो, जिससे आरक्षित यात्रियों को सीटें मिलने में समस्या न हो।

एक यात्री ने कहा, “जब एक वर्दीधारी जवान को टिकट दिखाकर भी सीट के लिए बहस करनी पड़ती है, तो आम आदमी का क्या होगा।” ऐसे में रेलवे से अपेक्षा की जा रही है कि वह इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए ज्यादा कड़ा नियंत्रण लागू करे।

रेलवे का कहना है कि यात्रियों को किसी भी असुविधा या विवाद की स्थिति में हेल्पलाइन नंबर 139 पर तुरंत कॉल करना चाहिए। साथ ही प्लेटफॉर्म पर मौजूद सुरक्षा बलों को जानकारी देकर तत्काल सहायता प्राप्त की जा सकती है। यात्रा के दौरान सभी स्टेशनों पर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

यह घटना यात्रियों और रेलवे प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी भी है कि धार्मिक यात्राओं के दौरान भावनाओं के साथ अनुशासन का पालन भी आवश्यक है। हर नागरिक को कानून, व्यवस्था और दूसरों की सुविधा का भी ध्यान रखना चाहिए।

“धार्मिक आस्था के साथ अनुशासन भी ज़रूरी, तभी यात्रा होगी सुरक्षित और सुखद!

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