पटना/छपरा। भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई, लेकिन छपरा विधानसभा सीट से उन्हें उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। हार के बाद खेसारी लाल यादव ने लोगों के सामने एक भावुक बयान दिया और साफ कहा कि वे राजनीति में सक्रिय भूमिका नहीं निभाना चाहते और न ही कभी नेता बनने की इच्छा रखते थे। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों के साथ-साथ मनोरंजन जगत में भी चर्चा बढ़ा दी है।

खेसारी लाल यादव, जो फिल्मों, एलबम और मंचीय कार्यक्रमों के जरिए करोड़ों दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं, ने इस चुनाव में अपने प्रशंसकों के उत्साह और समर्थन के भरोसे चुनावी मैदान में कदम रखा था। छपरा सीट पर चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प रहा और माना जा रहा था कि खेसारी की स्टार छवि वोटों को प्रभावित कर सकती है। लेकिन परिणाम उम्मीद से उलट आए और खेसारी जीत हासिल नहीं कर सके।
हार के बाद स्टेटमेंट— ‘नेता बनना मेरा मकसद नहीं’
चुनावी नतीजों के बाद प्रेस से बातचीत के दौरान खेसारी ने कहा—
“मैं राजनीति करने नहीं आया था। न तो मैं नेता बनना चाहता हूं और न ही कुर्सी की चाह रखता हूं। लोगों ने प्यार दिया, आशीर्वाद दिया, मैं उसके लिए आभारी हूं। लेकिन राजनीति मेरा रास्ता नहीं है।”
उनके इस बयान से यह साफ है कि खेसारी चुनावी राजनीति से दूरी बनाकर अब अपने पुराने पेशे—फिल्म और संगीत—पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
चुनाव में उम्मीदें थीं ऊंची, लेकिन नहीं बन पाया समीकरण
छपरा सीट पर मुकाबला बेहद त्रिकोणीय था। खेसारी के मैदान में आने से सीट पर खासा उत्साह देखा गया। बूथों पर युवाओं की लंबी कतारें, उनके समर्थन में की गई सभाएं और रोड शो में जुटी भीड़ ने संकेत दिया था कि इस बार परिणाम कुछ अलग हो सकता है।
लेकिन स्थानीय सामाजिक समीकरण, जातिगत वोटों का बंटवारा और कई पुराने राजनीतिक चेहरों की पैठ ने खेसारी की संभावनाओं को सीमित कर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्टारडम चुनाव जीतने की गारंटी नहीं होता। जनता उम्मीदवार की लोकल पकड़, संगठन, और राजनीतिक अनुभव को भी उतना ही महत्व देती है। ऐसे में पहली बार चुनाव लड़ने वाले किसी भी नए उम्मीदवार के लिए शुरुआत चुनौतीपूर्ण होती है।
खेसारी ने दिखाई विनम्रता— समर्थकों का जताया आभार
हार के बावजूद खेसारी ने बेहद विनम्रता दिखाई और अपने समर्थकों को धन्यवाद देते हुए कहा—
“मैंने हमेशा लोगों का मनोरंजन किया। राजनीति में आया तो भी लोगों की सेवा के इरादे से। पर अब मुझे महसूस हुआ कि मेरी असली जगह फिल्में हैं। मैं वहीं लौटूंगा और पहले से बेहतर काम करूंगा।”
सोशल मीडिया पर खेसारी के इस बयान पर मिले-जुले प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक ओर उनके प्रशंसक चाहते हैं कि वे सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रहें, वहीं कुछ लोग मानते हैं कि खेसारी को राजनीति में मौका देना चाहिए था ताकि वे जनता के लिए काम कर सकें।
चुनाव हारने के बाद फिल्मी दुनिया में वापसी की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, खेसारी जल्द ही अपने आगामी भोजपुरी प्रोजेक्ट्स की शूटिंग शुरू करेंगे। उनकी कई फिल्में और एलबम पहले से पाइपलाइन में हैं, जिन्हें चुनाव के दौरान रोक दिया गया था। अब वे दोबारा अपने अभिनय करियर पर फोकस करने वाले हैं।
मनोरंजन इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का मानना है कि राजनीतिक ब्रेक के बाद खेसारी और भी मजबूत वापसी कर सकते हैं।
छपरा में उनकी हार के कारण— क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषक तीन प्रमुख कारण बताते हैं:
1. राजनीतिक अनुभव की कमी – जनता स्थानीय समस्याओं का हल चाहती है और अनुभवी नेता पर भरोसा करती है।
2. क्षेत्रीय समीकरण कमजोर पड़े – जमीन पर बूथ मैनेजमेंट और संगठन मजबूत नहीं रह पाया।
3. स्टार पावर सीमित साबित हुई – लोकप्रियता और वोटों का अनुपात हमेशा मेल नहीं खाता।
खेसारी पर चर्चा क्यों इतनी ज्यादा?
क्योंकि वे सिर्फ फिल्म स्टार नहीं, बल्कि एक बड़े वर्ग की उम्मीद हैं। जनता उन्हें अपने संघर्ष की कहानी से जोड़कर देखती है। यही कारण है कि उनकी हार भी एक बड़ी चर्चा का विषय बन गई है।
क्या भविष्य में फिर से राजनीति में आ सकते हैं?
अपने बयान में खेसारी ने राजनीति से दूरी की बात कही है, लेकिन राजनीति में ‘कभी नहीं’ कहना अक्सर मुश्किल होता है। कई अभिनेता पहले भी राजनीति से दूर रहने की बात कह चुके हैं, फिर बाद में सक्रिय हुए।
लेकिन फिलहाल उनकी प्राथमिकता मनोरंजन जगत ही है और वे राजनीति में वापसी की कोई योजना नहीं रखते।
