
Kodrema: कोडरमा में जंगली हाथियों का आतंक चरम पर: एक और ग्रामीण की मौत, दहशत में जी रहे लोग, वन विभाग पर उठे सवाल।
कोडरमा। झारखंड के कोडरमा जिले में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। खासकर जयनगर प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में हाथियों का झुंड लगातार तबाही मचा रहा है। शुक्रवार सुबह खिरियोडीह पंचायत के पिसपिरो गांव में 55 वर्षीय ग्रामीण रविंद्र यादव उर्फ ननकू यादव की हाथी के हमले में दर्दनाक मौत हो गई। वे शौच के लिए घर से बाहर निकले थे तभी अचानक एक जंगली हाथी ने उन्हें कुचल दिया।
इस घटना के बाद गांव में दहशत और शोक का माहौल है। सूचना मिलने पर वन विभाग के अधिकारी के.डी. प्रसाद, अनिल कुमार साव और जयनगर थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली।
पीड़ित परिवार को मिला 25,000 रुपये का मुआवजा
वन विभाग ने मृतक के परिजनों को तत्काल सहायता के रूप में ₹25,000 की मुआवजा राशि दी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया है। हालांकि पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने वन विभाग से समुचित मुआवजा देने और हाथियों के झुंड को जल्द रिहायशी इलाकों से हटाने की मांग की है।
एक साल में आधा दर्जन से अधिक मौतें, डर और नुकसान बढ़ा
कोडरमा में जंगली हाथियों का कहर अब जानलेवा रूप ले चुका है। बीते एक वर्ष में मरकच्चों, डोमचांच और अन्य क्षेत्रों में हाथियों के हमले से कई लोगों की जान जा चुकी है।
मई महीने में, जयनगर थाना क्षेत्र में दो महिलाओं की सुबह टहलने के दौरान हाथी के हमले से मौत हो गई थी।
सतडीह गांव में एक बुजुर्ग को भी शादी समारोह से लौटते वक्त हाथियों ने कुचलकर मार डाला था।
हाथियों का यह झुंड लंबे समय से इलाके में डेरा डाले हुए है और यह स्थानीय निवासियों के जीवन और आजीविका दोनों के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।
फसलों को भी हो रहा भारी नुकसान, किसान बेहाल
हाथियों के उत्पात से सिर्फ जान का खतरा नहीं है, बल्कि खेतों में खड़ी फसलें भी पूरी तरह से बर्बाद हो रही हैं। किसानों ने बताया कि वे अब खेतों में जाने से डरते हैं। कई बार हाथियों ने रात में खेतों में घुसकर धान, मक्का, सब्जियां और फल-फूल की खेती तबाह कर दी है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वन विभाग की निष्क्रियता पर भड़का ग्रामीणों का गुस्सा
घटना के बाद ग्रामीणों में वन विभाग के प्रति जबरदस्त नाराजगी देखी गई। लोगों का कहना है कि वन विभाग हाथियों को रिहायशी इलाकों से हटाने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है। न तो गश्त होती है और न ही कोई कारगर कदम उठाए जाते हैं।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि विभाग ने शीघ्र कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वे प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि अब रोजमर्रा की जिंदगी खतरे में पड़ गई है। लोग न सुबह खेत जा पा रहे हैं, न ही शाम को घर से बाहर निकल पा रहे हैं।
समाधान कब?
जंगलों से भटककर गांवों में पहुंचे हाथियों को वापस जंगल में भेजने के लिए वन विभाग को विशेष अभियान चलाना चाहिए। इसके साथ ही ग्रामीणों को जागरूक करने, सहायता देने और क्षतिपूर्ति की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट मानव-वन्यजीव संघर्ष की एक भयावह तस्वीर बनकर उभरेगा।
कोडरमा में हाथियों का आतंक सिर्फ एक वन्यजीव समस्या नहीं, बल्कि मानवीय संकट बन चुका है। यह समय है जब प्रशासन, वन विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मिलकर कार्रवाई करनी होगी, वरना हर दिन एक नई जानलेवा घटना सामने आती रहेगी।