
सरायकेला: झारखंड के सरायकेला जिले में स्थित कोहिनूर पावर प्लांट पर 241.9 करोड़ रुपये हड़पने का गंभीर आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि इस पावर प्लांट ने पांच अलग-अलग बैंकों से भारी-भरकम लोन लिया था। फिलहाल यह मामला जांच के घेरे में है और इससे जुड़े दस्तावेज, बैंकिंग लेनदेन व वित्तीय गतिविधियों की गहन पड़ताल चल रही है।
क्या है पूरा मामला?
कोहिनूर पावर प्लांट ने बिजली उत्पादन के लिए 5 प्रमुख बैंकों से लोन लिया था। आरोप है कि लोन की राशि का सही उपयोग न कर, इसे अन्य गतिविधियों में लगाया गया। बैंकों ने इस मामले में अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई और इसके बाद जांच एजेंसियों ने मामले की पड़ताल शुरू की।
कौन-कौन से बैंक शामिल?
सूत्रों के मुताबिक, इस प्रकरण में जिन बैंकों से लोन लिया गया था, उनमें राष्ट्रीयकृत और निजी दोनों तरह के बैंक शामिल हैं। फिलहाल बैंकों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं क्योंकि जांच जारी है।
241.9 करोड़ रुपये कहां गए?
जांच एजेंसियां इस बात की तहकीकात कर रही हैं कि इतनी बड़ी रकम आखिर कहां और किस उद्देश्य से खर्च की गई। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि कुछ राशि का इस्तेमाल बिजली उत्पादन के बजाय अन्य क्षेत्रों में किया गया, जिससे बैंकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
जांच एजेंसियों की भूमिका
जांच एजेंसियों ने संबंधित बैंक अधिकारियों, कंपनी प्रबंधन और अन्य संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ शुरू कर दी है। आरोप सिद्ध होने पर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
स्थानीय प्रशासन की चिंता
सरायकेला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच एजेंसियों को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है। प्रशासन का कहना है कि इस घोटाले से न केवल बैंकों को नुकसान हुआ है, बल्कि स्थानीय विकास और रोजगार पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोग इस घटना से नाराज हैं। उनका कहना है कि इस पावर प्लांट के शुरू होने पर रोजगार और आर्थिक विकास की उम्मीदें बंधी थीं, लेकिन वित्तीय अनियमितताओं ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
सरकार का रुख
झारखंड सरकार ने मामले की गहन जांच कराने का आदेश दिया है। वित्तीय अनियमितता और बैंक धोखाधड़ी के मामलों पर सरकार सख्त रुख अपनाने के मूड में है।
आगे क्या होगा?
जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि लोन की रकम वापस ली जा सकती है या नहीं। यदि रकम हड़पने के आरोप सिद्ध होते हैं, तो कंपनी प्रबंधन पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई तय है।
कोहिनूर पावर प्लांट पर 241.9 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप झारखंड के औद्योगिक क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता कितनी जरूरी है।