कोननगर: कोननगर नगरपालिका क्षेत्र में बुधवार को उस समय हड़कंप मच गया जब SIR फॉर्म बांटने के दौरान 60 वर्षीय महिला कर्मचारी तपति बिस्वास अचानक जमीन पर गिर पड़ीं। चिकित्सकीय जांच में पता चला कि उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। घटना के तुरंत बाद सहयोगियों ने उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनका इलाज जारी है।

तपति बिस्वास पिछले कई वर्षों से नगरपालिका कार्यों से जुड़ी थीं और लोकल स्तर पर सरकारी योजनाओं से संबंधित दस्तावेज़ वितरण व डेटा एंट्री जैसे कार्यों में सहयोग करती थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह लगभग 11 बजे वह नियमित रूप से घर–घर जाकर SIR फॉर्म वितरित कर रही थीं। तभी अचानक उन्होंने चक्कर आने की शिकायत की और कुछ ही सेकंड में बेहोश होकर गिर पड़ीं।
परिवार ने लगाया गंभीर आरोप
तपति बिस्वास की बेटी और परिवार के अन्य सदस्यों का कहना है कि पिछले कई दिनों से उन पर काम का भारी दबाव था। परिवार ने आरोप लगाया कि—
लगातार ऑनलाइन अपलोडिंग का दबाव
नेटवर्क की समस्या के कारण कार्य में बार–बार रुकावट
डेडलाइन पूरी करने के लिए अतिरिक्त घंटों तक काम
इन सभी कारणों ने उनकी तबीयत को बेहद खराब कर दिया था।
परिवार का कहना है कि तपति बिस्वास ने कई बार अधिकारियों को काम के बोझ के बारे में अवगत भी कराया था, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। उनका आरोप है कि ऑनलाइन पोर्टल पर डेटा अपलोडिंग में लगातार दिक्कतें होने के बावजूद उनसे समय पर काम पूरा करने के लिए दबाव बनाया जाता था।
नगरपालिका कर्मचारियों में आक्रोश
घटना के बाद नगरपालिका कर्मचारियों और स्थानीय स्वयंसेवकों में नाराज़गी देखी जा रही है। कई लोगों का कहना है कि—
ऑनलाइन प्रक्रियाओं के कारण कार्यभार तेजी से बढ़ गया है
फील्ड कर्मचारियों को बिना पर्याप्त प्रशिक्षण और संसाधनों के काम करना पड़ रहा है
कई बार नेटवर्क की समस्याओं के कारण घंटों इंतजार करना पड़ता है
काम के दबाव से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
कर्मचारियों ने यह भी कहा कि सरकार और प्रशासन को फील्ड वर्करों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। लगातार बढ़ते डिजिटल वर्कलोड के बीच उन्हें उचित तकनीकी सहायता, हेल्पलाइन और समय–समय पर मेडिकल चेकअप मुहैया कराना बेहद जरूरी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक तनाव, ज्यादा चलना–फिरना, लगातार मोबाइल/टैबलेट पर काम करना और मानसिक दबाव ऐसी परिस्थितियों में ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा देता है, खासकर बुजुर्गों में।
एक न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए फील्ड लेवल का ज्यादा भारी काम स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है। डिजिटल काम का दबाव और समय सीमा का तनाव शरीर और मन पर बुरा असर डाल सकता है।
अस्पताल की स्थिति
अस्पताल सूत्रों के अनुसार तपति बिस्वास की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। उन्हें ICU में रखा गया है और विशेषज्ञों की टीम लगातार निगरानी कर रही है। डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के बाद शुरुआती 72 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं।
परिवार ने अस्पताल प्रशासन से बेहतर उपचार की मांग की है और मामले की जांच की भी अपील की है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थानीय प्रशासन ने घटना को संज्ञान में लेते हुए प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि वे—
घटना के सभी पहलुओं की जांच करेंगे
तपति बिस्वास पर पड़ा कार्यभार कितना था, इसकी समीक्षा करेंगे
भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए समाधान खोजेंगे
नगरपालिका के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें घटना से दुख है और कर्मचारी के स्वास्थ्य की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की भी है।
स्थानीय लोगों में चिंता
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में भी चिंता फैल गई है। कई लोगों का मानना है कि सरकारी फॉर्म, ऑनलाइन डेटा अपलोडिंग और सर्वे जैसी प्रक्रियाएं जितनी डिजिटल हो रही हैं, उतना ही फील्ड कर्मचारियों पर बोझ बढ़ रहा है। नेटवर्क समस्याएं और तकनीकी दिक्कतें स्थिति को और खराब कर देती हैं।
घटना ने उठाए महत्वपूर्ण सवाल
यह घटना प्रशासन और सरकार के सामने कई अहम सवाल खड़े करती है—
क्या 60+ आयु वर्ग के कर्मचारियों को फील्ड वर्क दिया जाना चाहिए?
क्या डिजिटल वर्कलोड के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं?
क्या फील्ड कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा को गंभीरता से लिया जा रहा है?
काम का बोझ कम करने के लिए क्या कोई नीति बनाई जाएगी?
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि फील्ड कर्मचारियों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, काम की सीमा तय करना और डिजिटल वर्क के लिए तकनीकी सहायता अनिवार्य की जाए।
कोननगर नगरपालिका क्षेत्र की यह घटना सरकारी कार्यप्रणाली में मौजूद कई चुनौतियों को सामने लाती है। तपति बिस्वास की हालत ने यह संकेत दिया है कि फील्ड कर्मचारियों के लिए बेहतर कामकाजी वातावरण, तकनीकी सुविधा और स्वास्थ्य सुरक्षा तुरंत आवश्यक है।
जब तक प्रशासन और सरकार इन मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक ऐसे जोखिम बने रहेंगे।
