
बाबा नगरी में सेवा की मिसाल बना क्षत्रिय समाज, कांवरियों के बीच किया फलाहार वितरण।
देवघर। सावन माह की अंतिम सोमवारी के पावन अवसर पर बाबा बैधनाथ धाम में जहां एक ओर आस्था का सैलाब उमड़ा, वहीं दूसरी ओर सेवा भावना की मिसाल पेश की अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज, देवघर ने। विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले में जलार्पण हेतु बाबा धाम पधारे लाखों कांवरियों के बीच समाज के सदस्यों द्वारा नि:शुल्क फलाहार, नींबू शरबत और शुद्ध पेयजल का वितरण किया गया।
प्राचीन परंपरा और सामाजिक सरोकार की कड़ी को जोड़ते हुए समाज के सदस्यों ने बाबा मंदिर के विभिन्न मार्गों पर अपनी सेवा शिविर लगाकर कांवरियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। समाज द्वारा यह सेवा हर वर्ष सावन माह में की जाती रही है और इस बार भी परंपरा को जीवंत रखते हुए श्रद्धा और समर्पण के साथ कार्य को अंजाम दिया गया।
ज्ञात हो कि श्रावणी मेले में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से कांवड़ यात्रा करते हुए देवघर पहुंचते हैं। ऐसे में कांवरियों की सेवा के लिए समाजसेवी संस्थाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसी क्रम में अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज, देवघर ने सेवा का बीड़ा उठाया और शिविर लगाकर कांवड़ियों के लिए नींबू शरबत, फल और पानी की उत्तम व्यवस्था की।
इस सेवा कार्य को सफल बनाने में समाज के कई वरिष्ठ सदस्य और युवा पूरी निष्ठा से जुटे रहे। कार्यक्रम की अगुवाई राजेश रंजन उर्फ श्री पुनपुन सिंह ने की, जिनके नेतृत्व में सेवा शिविर का संचालन सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न हुआ। साथ ही सोनू सिंह, शिबू सिंह, शक्ति सिंह, गुड्डन सिंह, चंदन सिंह, जीत कुमार, अभिषेक कुमार, चंदन कुमार, अजीत कुमार, प्रजा कुमार, संचय महाराणा, सौरभ कुमार, विश्वराज सिंह, दीपक सिंह, कमल सिंह, साहिल रंजन, दीपमंगल सिंह, सुधांशु सिंह, दिलीप सिंह एवं दीपक सिंह समेत अन्य सदस्य सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।
सेवा शिविर में आए श्रद्धालु कांवड़ियों ने अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि इस तरह की सेवाएं न केवल थकान मिटाने का कार्य करती हैं बल्कि देवघर की सकारात्मक और सहृदयता वाली छवि को भी देशभर में प्रस्तुत करती हैं।
इस अवसर पर समाज के सदस्यों ने यह भी संकल्प लिया कि आने वाले वर्षों में सेवा की गुणवत्ता और विस्तार को और भी बेहतर किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा कांवरियों को लाभ पहुंचाया जा सके।
अंत में समाज के सदस्यों ने बाबा बैधनाथ से विश्व कल्याण, शांति और समृद्धि की कामना करते हुए सेवा कार्य को विराम दिया।