
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में शिव गुफा के पास हुए भूस्खलन, मलबे में दबने से 2 लोगों की मौत।
भारी बारिश से रियासी में शिव गुफा के पास भूस्खलन, दो युवकों की मलबे में दबकर मौत
श्रद्धालुओं की आस्था पर टूटा कहर, रशपाल सिंह और रवि कुमार की गई जान
रियासी (जम्मू-कश्मीर)। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के माहौर क्षेत्र में स्थित पवित्र शिव गुफा के पास बुधवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया। तेज बारिश के बाद हुए अचानक भूस्खलन की चपेट में आने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई। मृतकों की पहचान रशपाल सिंह और रवि कुमार के रूप में की गई है। यह हादसा उस समय हुआ जब दोनों युवक गुफा के दर्शन के लिए जा रहे थे।
घटना सुबह करीब 9 बजे के आसपास की है, जब रियासी जिले में तेज बारिश हो रही थी। माहौर के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित यह शिव गुफा श्रद्धालुओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों और पुलिस के अनुसार, बारिश के चलते गीली हो चुकी चट्टानें अचानक खिसकने लगीं और भारी मात्रा में मलबा रास्ते पर आ गिरा। दुर्भाग्यवश, उसी समय रशपाल और रवि उस स्थान से गुजर रहे थे। दोनों मलबे में पूरी तरह दब गए।
मौके पर मची अफरा-तफरी
घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने शोर मचाया और बचाव कार्य शुरू किया। पुलिस और राहत दल को भी तुरंत सूचना दी गई। लेकिन पहाड़ी और फिसलन भरे इलाके के कारण बचाव अभियान में काफी कठिनाई आई। लगभग दो घंटे की मशक्कत के बाद दोनों युवकों को मलबे से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दोनों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी।
मृतकों की पहचान और पारिवारिक स्थिति
पुलिस ने बताया कि मृतकों में एक की पहचान रशपाल सिंह (उम्र 32 वर्ष) और दूसरे की पहचान रवि कुमार (उम्र 28 वर्ष) के रूप में हुई है। दोनों स्थानीय निवासी थे और शिवगुफा के दर्शन करने के उद्देश्य से निकले थे। रशपाल सिंह तीन बच्चों के पिता थे और गांव में खेती-बाड़ी से जीवनयापन करते थे। वहीं रवि कुमार अविवाहित थे और हाल ही में एक निजी कंपनी में काम शुरू किया था।
घटना की सूचना मिलते ही दोनों के परिजन मौके पर पहुंचे। परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल था। पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से हादसे की गंभीरता को देखते हुए मजबूत सुरक्षा उपायों और मौसम पूर्वानुमान के बाद ही धार्मिक यात्राओं की अनुमति देने की मांग की है।
प्रशासन ने जताया शोक, मुआवजे की घोषणा
रियासी जिले के उपायुक्त ओमप्रकाश चौधरी ने घटना पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि लगातार हो रही बारिश से इलाके में भूस्खलन की संभावना बनी हुई है, और प्रशासन श्रद्धालुओं से अपील करता है कि वे मौसम साफ होने तक ऐसे क्षेत्रों में न जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि मृतकों के परिजनों को आपदा राहत कोष से चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
डीसी ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुफा के रास्ते को फिलहाल बंद कर दिया जाए और विशेषज्ञों की टीम से इलाके का भौगोलिक परीक्षण कराया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
पिछले कुछ दिनों से जारी है बारिश
जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में पिछले एक सप्ताह से लगातार बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी की थी कि पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की आशंका है। रियासी, डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जैसे जिलों में कई स्थानों पर रास्ते बंद हो चुके हैं। कई छोटे पुलों और सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है।
इसी बीच माहौर क्षेत्र के लोग काफी डरे हुए हैं। शिवगुफा का मार्ग संकरा और खतरनाक है, जहां पहले भी छोटे स्तर पर पत्थर गिरने की घटनाएं होती रही हैं। लेकिन इस बार का भूस्खलन इतना भयंकर था कि दो जिंदगियां समय से पहले ही खत्म हो गईं।
शिवगुफा यात्रा पर फिलहाल रोक
प्रशासन ने इस हादसे के बाद एहतियात के तौर पर शिवगुफा यात्रा को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक मौसम सामान्य नहीं होता और मार्ग पूरी तरह सुरक्षित नहीं घोषित किया जाता, तब तक दर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी। गुफा क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और लोगों से अपील की गई है कि वे प्रशासन की चेतावनियों को नजरअंदाज न करें।
राजनैतिक और धार्मिक संगठनों ने जताया दुख
इस दर्दनाक हादसे पर कई नेताओं और सामाजिक संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। स्थानीय विधायक ने कहा कि धार्मिक स्थलों की यात्रा के2 दौरान सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से स्थायी समाधान की मांग की है, जैसे कि पक्के रास्ते और मलबा सुरक्षा दीवारों का निर्माण। वहीं, विभिन्न धार्मिक संगठनों ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं कीं और सरकार से यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया।
रियासी जिले में शिव गुफा के पास हुआ यह भूस्खलन हादसा न सिर्फ दो जिंदगियों को लील गया, बल्कि इसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धार्मिक स्थलों की ओर जाने वाले रास्ते पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं? पहाड़ी क्षेत्रों में हो रहे भूस्खलनों के बढ़ते खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रशासन और आम लोगों दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि मौसम की चेतावनियों को गंभीरता से लें और प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के सभी उपाय अपनाएं।