
लातेहार। नक्सल प्रभावित लातेहार जिले में पुलिस ने माओवादी गतिविधियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए कुख्यात कमांडर मृत्युंजय भुईयां के खिलाफ न्यायालयीन इश्तिहार चस्पा किया। यह कार्रवाई नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत की गई है। पुलिस ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर मृत्युंजय भुईयां को समर्पण करने और न्यायिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए अंतिम चेतावनी दी गई है।
कौन है मृत्युंजय भुईयां?
मृत्युंजय भुईयां झारखंड के कुख्यात माओवादी कमांडरों में से एक है। उस पर पुलिस व सुरक्षा बलों पर हमले, फिरौती वसूलने, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और ग्रामीणों को डराने-धमकाने के कई मामले दर्ज हैं। सूत्रों के मुताबिक वह पिछले कई सालों से पुलिस की पकड़ से बाहर है और जंगलों में सक्रिय रहकर माओवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।
पुलिस की कार्रवाई कैसे हुई?
पुलिस टीम ने न्यायालय के आदेशानुसार भुईयां के घर और उसके आसपास के इलाकों में इश्तिहार चिपकाया। इस इश्तिहार में साफ लिखा है कि वह अदालत में पेश हो, अन्यथा उसकी संपत्ति कुर्क करने और अन्य कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह नोटिस न केवल उसके पैतृक घर बल्कि आस-पास के कई सार्वजनिक स्थानों पर भी लगाया गया ताकि ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिल सके।
स्थानीय प्रशासन का बयान
लातेहार पुलिस अधीक्षक ने कहा, “मृत्युंजय भुईयां जैसे अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के लिए हम हर संभव कदम उठा रहे हैं। न्यायालयीन इश्तिहार जारी करना इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। यदि वह आत्मसमर्पण नहीं करता है तो आगे की सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि मृत्युंजय भुईयां के कारण क्षेत्र में विकास कार्य बाधित होते हैं। लोग उसके डर से कई बार सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते। अब जब पुलिस ने उसके खिलाफ खुली कार्रवाई शुरू कर दी है तो गांव में राहत और उम्मीद का माहौल है।
नक्सल विरोधी अभियान में नई रणनीति
पिछले कुछ महीनों में लातेहार पुलिस ने नक्सल विरोधी अभियान को तेज कर दिया है। जंगलों में सर्च ऑपरेशन, मुखबिर तंत्र को मजबूत करना, ड्रोन निगरानी और माओवादी ठिकानों पर छापेमारी लगातार जारी है। हाल ही में पुलिस ने कई नक्सली समर्थकों को भी गिरफ्तार किया है।
न्यायालयीन इश्तिहार का मतलब क्या होता है?
न्यायालयीन इश्तिहार तब जारी किया जाता है जब किसी आरोपी को बार-बार बुलाने के बावजूद वह पेश नहीं होता। यह कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके बाद संपत्ति कुर्की और गिरफ्तारी वारंट की प्रक्रिया शुरू होती है।
माओवादी गतिविधियों का असर
लातेहार, पलामू और आसपास के जिले लंबे समय से माओवादी हिंसा से प्रभावित रहे हैं। सड़क निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा डालना, ठेकेदारों से वसूली करना और पुलिस पर हमला करना उनकी आम रणनीति रही है।
सरकार और पुलिस का रुख
झारखंड सरकार ने माओवाद को जड़ से खत्म करने के लिए आत्मसमर्पण नीति, पुनर्वास पैकेज और विशेष बल की तैनाती जैसे कई कदम उठाए हैं। पुलिस का कहना है कि जो लोग मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनके लिए दरवाजे खुले हैं, लेकिन हिंसा का रास्ता चुनने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।