
उम्र के साथ शरीर के साथ-साथ दिमाग की कार्यक्षमता भी धीमी पड़ने लगती है। खासकर याददाश्त कमजोर होना, सोचने-समझने की क्षमता में कमी आना और निर्णय लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं बुजुर्गों में आम हो जाती हैं। लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यदि हम अपनी जीवनशैली में कुछ आसान और छोटे बदलाव करें, तो न सिर्फ हमारा मस्तिष्क ताउम्र तेज रह सकता है, बल्कि डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी का खतरा भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
क्या है डिमेंशिया?
डिमेंशिया एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें व्यक्ति की मेमोरी, सोचने-समझने की क्षमता, संप्रेषण और दैनिक जीवन की गतिविधियों को करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह उम्र के साथ बढ़ने वाली बीमारी है, लेकिन गलत जीवनशैली और तनाव के चलते अब यह 50 की उम्र के बाद भी दिखने लगी है।
स्टडी का निष्कर्ष क्या कहता है?
‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, यदि व्यक्ति छह प्रमुख जीवनशैली आदतों को अपनाता है तो उसका ब्रेनफंक्शन लंबे समय तक स्थिर बना रह सकता है। चीन में हुए इस स्टडी में 29,000 से ज्यादा बुजुर्गों को 10 वर्षों तक फॉलो किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने वालों में डिमेंशिया के मामले बहुत कम सामने आए।
ये हैं वो 6 लाइफस्टाइल बदलाव जो आपके मस्तिष्क को तेज बनाए रख सकते हैं:
1. हेल्दी डाइट अपनाएं:
ब्रेन हेल्थ के लिए संतुलित और पोषक आहार बेहद जरूरी है। शोध में यह पाया गया कि जो लोग हरी पत्तेदार सब्जियों, फल, ओमेगा-3 फैटी एसिड (जैसे मछली) और नट्स का सेवन करते हैं, उनकी याददाश्त लंबे समय तक बनी रहती है। जंक फूड, ज्यादा तेल या प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाए रखें।
2. नियमित एक्सरसाइज करें:
रोजाना कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी, जैसे तेज चलना, योग, साइकलिंग या हल्का कार्डियो ब्रेन को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करती है। इससे न्यूरॉन्स एक्टिव रहते हैं और ब्रेन एजींग की प्रक्रिया धीमी होती है।
3. मेंटल एक्टिविटीज में रहें व्यस्त:
ब्रेन को एक्टिव रखने के लिए किताबें पढ़ना, पजल हल करना, नई भाषा सीखना या किसी नए कौशल को अपनाना फायदेमंद होता है। इससे ब्रेन में नए कनेक्शन बनते हैं और याददाश्त मजबूत होती है।
4. सोशल इंटरैक्शन बनाए रखें:
अकेलापन और सामाजिक दूरी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती है। इसलिए परिवार, दोस्तों और कम्युनिटी से जुड़ाव बनाए रखें। बातचीत और सामाजिक मेलजोल से ब्रेन एक्टिव रहता है।
5. नशे से दूरी बनाएं:
शराब, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थ न सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि ब्रेन की कोशिकाओं को भी क्षति पहुंचाते हैं। रिसर्च में पाया गया कि नशे से दूर रहने वालों में डिमेंशिया की संभावना बेहद कम पाई गई।
6. नींद पूरी लें और तनाव को नियंत्रित करें:
नींद की कमी या लगातार तनाव से ब्रेन की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। एक वयस्क को रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूरी है। साथ ही ध्यान, मेडिटेशन या मनपसंद हॉबी के जरिए तनाव को मैनेज करें।
बढ़ती उम्र में भी तेज दिमाग संभव है
यह मान्यता अब बदल रही है कि उम्र के साथ दिमाग की ताकत जरूर घटेगी। यदि समय रहते कुछ आसान बदलावों को अपनाया जाए, तो 60, 70 या 80 की उम्र में भी व्यक्ति उतनी ही कुशलता से सोच सकता है जैसे युवावस्था में करता था। मस्तिष्क की लचीलापन (ब्रेन प्लास्टिसिटी) ऐसी विशेषता है, जिसे सही आदतों से बनाए रखा जा सकता है।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?
भारत में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और डिमेंशिया के मामलों में इजाफा चिंता का विषय बन चुका है। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 80 लाख लोग किसी न किसी रूप में डिमेंशिया से ग्रसित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी की पहचान और इलाज की व्यवस्था भी सीमित है। ऐसे में जागरूकता और लाइफस्टाइल बदलाव ही सबसे सुलभ उपाय बन जाते हैं।
सरकार और समाज की भूमिका:
स्वास्थ्य मंत्रालय और समाजसेवी संस्थाओं को मिलकर बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभियान चलाने चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में भी मानसिक स्वास्थ्य पर शिक्षा दी जाए ताकि युवा अवस्था से ही लोग सजग हो सकें।
दिमाग को ताउम्र तेज और सक्रिय बनाए रखने के लिए बड़े बदलाव की नहीं, बल्कि छोटे और स्थायी प्रयासों की जरूरत है। हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम, मानसिक सक्रियता और अच्छी नींद जैसी बुनियादी आदतें न सिर्फ याददाश्त को मजबूत बनाती हैं, बल्कि बुजुर्ग अवस्था में भी आत्मनिर्भर जीवन जीने में मदद करती हैं। अब वक्त है कि हम अपने और अपने परिजनों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और इन सुझावों को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।