
झारखंड में वज्रपात का कहर: कोडरमा में पिता-पुत्री की मौत, देवघर में महिला बेहोश, साहिबगंज में जल गए इलेक्ट्रिक उपकरण।
झारखंड में मानसून पूरी तरह सक्रिय हो गया है और इसके साथ ही वज्रपात की घटनाओं में तेजी देखी जा रही है। बुधवार को राज्य के कई जिलों में भारी बारिश के साथ आकाशीय बिजली गिरी, जिससे जानमाल का नुकसान हुआ है।
कोडरमा: खेत में काम करते समय वज्रपात से पिता-पुत्री की मौत
कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड की बेहराडीह पंचायत अंतर्गत घरबरियाबर गांव में बुधवार दोपहर करीब 2 बजे वज्रपात की घटना में पिता और पुत्री की दर्दनाक मौत हो गई। मृतकों की पहचान बासुदेव साव (पिता: नारायण साव) और उनकी 16 वर्षीय पुत्री खुशी कुमारी के रूप में हुई है।
दोनों खेत में काम कर रहे थे, तभी अचानक आकाशीय बिजली गिरी और वे गंभीर रूप से झुलस गए। परिजन तुरंत उन्हें कोडरमा सदर अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
देवघर: घर के बाहर खड़ी महिला वज्रपात से मूर्छित
देवघर जिले के सारवां थाना क्षेत्र के डहुवा गांव में बुधवार शाम तेज बारिश के दौरान 25 वर्षीय महिला सुधा देवी घर के दरवाजे के पास खड़ी थीं। इसी दौरान बिजली गिरने की तेज आवाज और प्रभाव से वह बेहोश होकर गिर पड़ीं।
घटना के बाद परिजनों ने उन्हें तुरंत सारवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पहुंचाया, जहां उनका इलाज जारी है। तेज धमाके से पूरे घर में कंपन महसूस किया गया, जिससे परिजन भी घबरा गए।
साहिबगंज: वज्रपात से जले कई घरों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
वहीं साहिबगंज जिले में एक ट्रांसफॉर्मर पर वज्रपात होने के कारण कई घरों में बिजली का करंट फैल गया, जिससे वहां रखे टीवी, फ्रिज, पंखे सहित अन्य इलेक्ट्रिक उपकरण जल गए। हालांकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन लोगों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
मौसम विभाग की चेतावनी और प्रशासन की अपील
मौसम विभाग ने आगामी दिनों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश और वज्रपात की संभावना जताई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि बारिश के दौरान खुले स्थानों पर न जाएं, खेतों में काम करने से बचें और मोबाइल अलर्ट या “वज्र ऐप” जैसी सेवाओं का उपयोग करें।
झारखंड में लगातार हो रही वज्रपात की घटनाएं चिंता का विषय बनती जा रही हैं। जानकारों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित मौसम परिवर्तन की वजह से ऐसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ रही है। ऐसे में सतर्कता और समय पर चेतावनी ही इस प्राकृतिक आपदा से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है।