
लखनऊ: राजधानी लखनऊ में एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण धमाका होने से हड़कंप मच गया। इस हादसे में पति-पत्नी समेत चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। धमाका इतना जोरदार था कि पूरी बिल्डिंग ध्वस्त हो गई और आसपास के घरों में भी दरारें पड़ गईं। राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर जुटी हुई हैं।
कैसे हुआ धमाका?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह घटना सुबह करीब 10:30 बजे की है। फैक्ट्री में पटाखों का निर्माण और भंडारण चल रहा था। अचानक जोरदार धमाका हुआ जिससे पूरी इमारत ध्वस्त हो गई। धमाके के कारण आसपास के इलाके में धुआं फैल गया और लोगों में अफरा-तफरी मच गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, धमाका इतना तेज था कि 1 किलोमीटर दूर तक कंपन महसूस किया गया। आसपास के घरों की खिड़कियां और दरवाजे भी चटक गए।
मृतकों और घायलों की पहचान
पुलिस और प्रशासन ने मृतकों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक चार लोगों के शव मलबे से निकाले जा चुके हैं। इनमें फैक्ट्री मालिक और उनकी पत्नी भी शामिल हैं। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
धमाके के बाद प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
एनडीआरएफ की टीम मौके पर तैनात
फायर ब्रिगेड की गाड़ियां लगातार आग बुझाने और मलबा हटाने में जुटी
पुलिस ने पूरे इलाके को सील किया और लोगों को सुरक्षित स्थान पर हटाया
जिला प्रशासन ने आसपास के मकानों को भी खाली करवाया है ताकि किसी अन्य हादसे से बचा जा सके।
पटाखा फैक्ट्री के लाइसेंस पर सवाल
हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या यह पटाखा फैक्ट्री लाइसेंसधारी थी? सूत्रों के मुताबिक, फैक्ट्री के पास उचित लाइसेंस नहीं था और यह रिहायशी इलाके में चल रही थी। यह नियमों के खिलाफ है क्योंकि पटाखा फैक्ट्रियां आमतौर पर आबादी से दूर बनाई जाती हैं।
प्रशासन ने इस पर जांच शुरू कर दी है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
स्थानीय लोगों का गुस्सा
हादसे के बाद इलाके में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस फैक्ट्री के खिलाफ शिकायत की थी लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनका आरोप है कि फैक्ट्री मालिक ने राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर नियमों की अनदेखी की।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हादसे पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये मुआवजा और घायलों को निःशुल्क उपचार देने की घोषणा की है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसे हादसे न हों इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
ऐसे हादसे पहले भी हो चुके हैं
पटाखा फैक्ट्रियों में विस्फोट की घटनाएं नई नहीं हैं।
पिछले साल कानपुर में हुए एक ऐसे ही हादसे में 9 लोगों की मौत हुई थी।
बाराबंकी में भी 2023 में पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ था जिसमें कई लोग झुलस गए थे।
हर बार जांच के बाद सख्ती के दावे किए जाते हैं लेकिन हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे।
क्या कहता है कानून?
पटाखा फैक्ट्री चलाने के लिए विस्फोटक अधिनियम के तहत लाइसेंस लेना अनिवार्य है। इसके लिए कई सुरक्षा मानक तय किए गए हैं जैसे कि:
फैक्ट्री आबादी से दूर होनी चाहिए
फायर सेफ्टी उपकरण अनिवार्य हैं
कामगारों को सुरक्षा गियर पहनना जरूरी है
लेकिन लखनऊ के इस मामले में शुरुआती जांच में कई नियमों की अनदेखी सामने आई है।
लोगों को सतर्क रहने की जरूरत
इस तरह के हादसे रोकने के लिए प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ आम लोगों को भी सतर्क रहना होगा। अगर किसी रिहायशी इलाके में विस्फोटक या पटाखा भंडारण हो रहा हो तो तुरंत इसकी सूचना प्रशासन को देनी चाहिए।
लखनऊ का यह हादसा एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और नियमों की अनदेखी की ओर इशारा करता है। चार निर्दोष लोगों की मौत के बाद अब यह देखना होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और क्या दोषियों को सजा मिल पाती है।