
भोपाल: मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ (Coldrif) कफ सिरप पीने से 11 मासूम बच्चों की मौत के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है। इस मामले में सरकार ने कड़ा एक्शन लेते हुए सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स (Shrison Pharmaceuticals) के सभी उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, सिरप लिखने वाले एक डॉक्टर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
यह घटना प्रदेश के शिवपुरी और ग्वालियर जिलों में सामने आई, जहां पिछले कुछ दिनों में बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उनकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि सभी बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया गया था। जांच में पाया गया कि सिरप की गुणवत्ता संदिग्ध थी और उसमें हानिकारक तत्वों की अधिक मात्रा पाई गई।
मौतों के बाद सरकार का सख्त रुख
मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से सभी अस्पतालों और दवा दुकानों को निर्देश दिया है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप सहित श्रीसन कंपनी के सभी प्रोडक्ट्स की बिक्री और वितरण बंद करें।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हम किसी भी कीमत पर बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।”
स्वास्थ्य विभाग ने फार्मास्यूटिकल कंपनी के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं और सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट में सिरप में रासायनिक असंतुलन की पुष्टि हुई है, जिससे किडनी फेल्योर और लीवर डैमेज जैसे प्रभाव सामने आए।
डॉक्टर की गिरफ्तारी और जांच की दिशा
शिवपुरी पुलिस ने बताया कि जिस डॉक्टर ने यह सिरप बच्चों को प्रिस्क्राइब किया था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। डॉक्टर पर लापरवाही और जान से खिलवाड़ करने का मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के मुताबिक, डॉक्टर ने बिना किसी सैंपल टेस्टिंग रिपोर्ट के सिरप को दवा के रूप में सुझाया था। सूत्रों के अनुसार, सिरप के बैच नंबर और मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स की भी जांच की जा रही है।
एसपी शिवपुरी ने बताया, “जांच में सामने आया है कि सिरप की सप्लाई भोपाल और इंदौर स्थित कुछ थोक विक्रेताओं के जरिए की जा रही थी। हम सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स और फार्मेसी संचालकों से पूछताछ कर रहे हैं।”
कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज
सरकार के आदेश पर श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के डायरेक्टर और तकनीकी टीम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। खाद्य एवं औषधि विभाग (FDA) ने बताया कि कंपनी के प्लांट में निरीक्षण किया गया, जहां मैन्युफैक्चरिंग मानकों में गंभीर लापरवाही पाई गई।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “कंपनी के प्लांट में इस्तेमाल होने वाले रसायनों की गुणवत्ता रिपोर्ट फर्जी निकली है। कई बैचों में निर्धारित रासायनिक अनुपात का पालन नहीं किया गया था।”
स्वास्थ्य विभाग की टीम सक्रिय
राज्यभर में Coldrif कफ सिरप के सैंपल जब्त किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने एक विशेष टीम गठित की है जो सभी जिलों में जाकर दवाओं के नमूने जांच रही है।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा, “सभी अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि कोई भी प्रतिबंधित सिरप मरीजों को न दिया जाए। जिन दवा दुकानों में यह सिरप पाया जाएगा, उनका लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाएगा।”
WHO और केंद्र सरकार भी अलर्ट
यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का कारण बना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार का औषधि नियंत्रण विभाग (DCGI) इस मामले की रिपोर्ट मांग चुके हैं। केंद्र ने राज्य सरकार से कहा है कि सभी प्रभावित जिलों की रिपोर्ट 48 घंटे में भेजी जाए।
DCGI के अधिकारियों का कहना है कि सिरप के सैंपल दिल्ली और पुणे की लैब में भी भेजे गए हैं ताकि जांच दोबारा की जा सके।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
मृतक बच्चों के परिवारों और स्थानीय नागरिकों में गहरा आक्रोश है। लोगों ने आरोप लगाया कि अगर पहले ही सिरप की गुणवत्ता जांच ली जाती, तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती।
ग्वालियर जिले के एक परिजन ने कहा, “हमने सोचा साधारण कफ सिरप है, लेकिन वह जहर बन गया। अब हमें सिर्फ न्याय चाहिए।”
सरकार ने सभी मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता और न्यायिक जांच का आश्वासन दिया है।
स्वास्थ्य जागरूकता की जरूरत
इस घटना के बाद विशेषज्ञों ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी दवा को डॉक्टर की सलाह और प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। बच्चों के लिए दी जाने वाली दवाओं में अत्यधिक सतर्कता जरूरी है क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने कहा कि इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में फार्मा इंडस्ट्री की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से हुई 11 बच्चों की मौत ने सरकार, डॉक्टरों और दवा कंपनियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार ने त्वरित एक्शन लेते हुए डॉक्टर की गिरफ्तारी, कंपनी पर बैन और जांच शुरू कर दी है। अब यह देखना होगा कि आगे जांच में कौन-कौन जिम्मेदार साबित होते हैं और क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।