
मुंबई के बुजुर्ग से ठगी का मामला, साइबर अपराधी ने खुद को बैंक कर्मचारी बताकर हासिल की जानकारी, OTP से अकाउंट खाली
मुंबई, महाराष्ट्र में एक बार फिर से साइबर ठगी ने बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुंबई के एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ हैरान कर देने वाली ठगी की घटना सामने आई है, जिसमें एक जालसाज ने उनके नाम की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को तोड़कर उनके बैंक खाते से करीब 14 लाख रुपये निकाल लिए। यह घटना न केवल पीड़ित के लिए एक सदमा बन गई, बल्कि बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा करने वाले करोड़ों ग्राहकों के लिए भी चिंता का विषय है।
घटना का विवरण:
घटना मुंबई के एक प्रमुख इलाके की है जहां एक 70 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी जीवन भर की कमाई एक सुरक्षित फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में रखी थी। पीड़ित ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें एक कॉल आया, जिसमें फोन करने वाला व्यक्ति खुद को बैंक कर्मचारी बताकर FD संबंधित जानकारी अपडेट करने के लिए कह रहा था।
ठग ने बेहद पेशेवर अंदाज में बात करते हुए बुजुर्ग का विश्वास जीत लिया। फिर उसने कहा कि FD को अपडेट करने के लिए मोबाइल पर भेजे गए OTP की आवश्यकता है। बुजुर्ग ने बिना किसी शक के OTP साझा कर दिया, जिसके बाद उनके बैंक खाते से 14 लाख रुपये निकल गए।
कैसे की गई यह ठगी?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले में ठग ने बेहद सुनियोजित तरीके से काम किया। पहले उसने पीड़ित की व्यक्तिगत जानकारी जुटाई। फिर फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए बैंक में FD तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की। OTP सिस्टम के जरिए उसने ट्रांजैक्शन को अधिकृत कर दिया और पूरी रकम अपने फर्जी खाते में ट्रांसफर कर ली।
विशेषज्ञों का मानना है कि बुजुर्ग और तकनीक से अनभिज्ञ लोगों को ऐसे फर्जी कॉल्स का सबसे ज्यादा शिकार बनाया जाता है। इस मामले में भी आरोपी ने बैंकिंग टर्म्स और प्रक्रिया की अच्छी जानकारी का फायदा उठाया।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने पीड़ित की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने इंटरनेट कॉलिंग और फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर कॉल किया था, जिससे उसका पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, जांच में कुछ अहम सुराग मिले हैं और जल्द ही गिरफ्तारी की उम्मीद जताई जा रही है।
बैंकिंग सिस्टम पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से बैंकों की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं। FD जैसी सुरक्षित समझी जाने वाली योजना में सेंध लगाना यह दर्शाता है कि बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
बुजुर्गों और तकनीक से दूर रहने वाले वर्गों के लिए सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाना अब बेहद जरूरी हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल तकनीकी सुरक्षा से काम नहीं चलेगा, लोगों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की राय
साइबर अपराध विशेषज्ञ अनिल पाटिल का कहना है,
“इस तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन अब ठग पहले से ज्यादा टेक्नोलॉजी-सेवी हो गए हैं। वे बैंक के इंटरनल प्रोसेस की नकल कर यूज़र को भ्रमित करते हैं। लोग यदि कभी भी किसी को OTP या पासवर्ड बताएं, तो यह सीधा साइबर अपराधियों को आमंत्रण देना है।”
उन्होंने आगे कहा कि
“FD को तोड़ने जैसी प्रक्रिया में बैंक को अतिरिक्त वेरिफिकेशन लागू करने चाहिए, खासकर जब ग्राहक सीनियर सिटीजन हो। OTP आधारित सिस्टम को बायोमेट्रिक अथवा वीडियो KYC जैसी दोहरी सुरक्षा प्रणाली से जोड़ा जाना चाहिए।”
पीड़ित का बयान
पीड़ित बुजुर्ग ने मीडिया को बताया,
“मुझे लगा था कि बैंक से ही कॉल आया है, उन्होंने मेरा नाम, FD नंबर, और बाकी विवरण बताए, इसलिए मुझे कोई शक नहीं हुआ। मुझे नहीं पता था कि कोई इतनी आसानी से सारी रकम निकाल सकता है। ये मेरी पूरी जिंदगी की कमाई थी।”
उन्होंने सरकार और बैंकों से अपील की कि बुजुर्गों के लिए सुरक्षित और समझदारी से तैयार की गई बैंकिंग सेवाएं शुरू की जाएं ताकि वे ऐसी ठगी से बच सकें।
जागरूकता की जरूरत
इस घटना के बाद साइबर सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस विभाग ने आम लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल पर अपनी बैंकिंग डिटेल्स या OTP शेयर न करें। यदि कोई खुद को बैंक कर्मी बताता है, तो बैंक की नजदीकी शाखा में जाकर जानकारी सत्यापित करें।
मुंबई में हुई यह घटना न केवल एक गंभीर साइबर अपराध है, बल्कि यह पूरे समाज को एक चेतावनी है कि डिजिटल युग में व्यक्तिगत सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। जब तक आम नागरिक जागरूक नहीं होंगे, तब तक ऐसे अपराधियों को पकड़ना और रोकना मुश्किल होता रहेगा।