पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने शुक्रवार को चुनाव आयोग को एक विस्तृत पत्र भेजकर SIR (Summary Inquiry Report) प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से रोकने की मांग की। ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को “अव्यवस्थित, खतरनाक, बिना तैयारी के शुरू किया गया और जमीनी हकीकत से पूरी तरह कटा हुआ” बताया है। उनके इस पत्र ने राज्य की राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि SIR प्रक्रिया न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा रही है, बल्कि इसे लागू करने का तरीका भी बेहद असंगठित है। उनका कहना है कि प्रशासनिक ढांचे को पूरी जानकारी दिए बिना, प्रशिक्षण के अभाव में और डिजिटल सिस्टम की अनियमितताओं के बीच इसे लागू करना अधिकारियों और आम जनता दोनों के लिए नुकसानदेह है।
क्या है ममता बनर्जी का आरोप?
अपने पत्र में ममता बनर्जी ने SIR प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि—
यह प्रक्रिया बिना किसी पूर्व तैयारी के लागू कर दी गई है।
प्रशासनिक स्तर पर कोई उचित प्रशिक्षण नहीं दिया गया।
डिजिटल सिस्टम बार-बार फेल हो रहा है, जिससे कर्मचारियों पर दोगुना दबाव पड़ रहा है।
मैदान में काम कर रहे अफसरों को बिना सुरक्षा, बिना उचित व्यवस्था और बिना दिशा-निर्देश के भेजा जा रहा है।
कई क्षेत्रों में इससे अफरा-तफरी की स्थिति बन गई है।
ममता ने लिखा कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को किसी भी नई प्रक्रिया के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। मगर SIR प्रक्रिया में न तो सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन हुआ और न ही तकनीकी प्रणाली को मजबूत किया गया।
‘अव्यवस्थित और खतरनाक’ — ममता बनर्जी का बड़ा आरोप
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इस पूरी प्रणाली को “अव्यवस्थित और खतरनाक” करार दिया। उन्होंने कहा कि कई जिलों से कर्मचारियों के चोटिल होने, भीड़ द्वारा घेर लिए जाने और लगातार काम के दबाव से बीमार पड़ने की खबरें सामने आ रही हैं।
उन्होंने दावा किया कि अगर इस प्रक्रिया को तत्काल नहीं रोका गया तो यह कर्मचारियों की जान जोखिम में डाल सकता है और राज्य में प्रशासनिक संकट पैदा कर सकता है।
राज्य सरकार को क्यों है आपत्ति?
पश्चिम बंगाल सरकार लंबे समय से केंद्र की एजेंसियों और चुनाव आयोग द्वारा राज्य में की जा रही प्रक्रियाओं पर सवाल उठाती रही है। इस बार भी ममता बनर्जी का कहना है कि SIR प्रक्रिया को राज्य सरकार से सलाह लिए बिना लागू कर दिया गया।
उनका आरोप है कि—
जमीनी हालात को समझे बिना ऐसा अभियान शुरू करना गलत है।
कई क्षेत्रों में भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और प्रबंधन को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई।
कर्मचारियों को 10–12 घंटे लगातार काम करना पड़ रहा है, वह भी तकनीकी दिक्कतों के साथ।
अस्पताल में भर्ती होने की घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
हाल ही में कई जिलों से खबरें आई थीं कि लगातार फील्ड वर्क, डेटा अपलोडिंग और नेटवर्क दिक्कतों की वजह से कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ रही है। कुछ मामलों में स्ट्रोक और बेहोशी जैसी स्थिति भी सामने आई।
इन्हीं घटनाओं का जिक्र करते हुए ममता ने चुनाव आयोग को लिखा कि SIR प्रक्रिया कर्मचारियों की कार्य क्षमता के अनुरूप नहीं है और इसे लागू करने का मौजूदा तरीका बेहद जोखिमपूर्ण है।
चुनाव आयोग से क्या चाहती हैं ममता?
अपने पत्र में उन्होंने चुनाव आयोग से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं—
1. SIR प्रक्रिया को तत्काल रोक दिया जाए।
2. किसी भी नई प्रक्रिया से पहले सभी जिलों के अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए।
3. प्रशासनिक, तकनीकी और सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत किए बिना कोई फील्ड एक्टिविटी शुरू न की जाए।
ममता ने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार किसी भी प्रक्रिया का विरोध नहीं करती, मगर ऐसी प्रणाली को लागू करना जिसे नीति-स्तर पर समझा ही नहीं गया हो, कर्मचारियों के लिए संकट खड़ा करता है।
राजनीतिक हलचल भी तेज
ममता बनर्जी के इस पत्र के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है।
तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।
वहीं भाजपा का कहना है कि ममता बनर्जी हर प्रशासनिक सुधार का विरोध करती हैं और इस बार भी वह प्रक्रियाओं को राजनीतिक रंग दे रही हैं।
हालांकि, राज्य के कर्मचारी संगठनों का बड़ा वर्ग मुख्यमंत्री की बात से सहमत दिखाई दिया है। उनका कहना है कि उन्हें बिना पर्याप्त संसाधनों और बिना उचित तकनीकी सहायता के फील्ड में भेजा जा रहा है।
आगे क्या?
ममता बनर्जी के पत्र के बाद अब चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
सूत्रों के अनुसार आयोग SIR प्रक्रिया पर समीक्षा करने की संभावना पर विचार कर रहा है। मगर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है, क्योंकि यह कर्मचारियों की सुरक्षा, तकनीकी कमियों और प्रशासनिक विवेक से सीधे जुड़ा मसला है।
ममता बनर्जी के पत्र ने न सिर्फ प्रशासनिक प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि SIR प्रक्रिया की वास्तविक जरूरत और तैयारी को लेकर भी बहस शुरू कर दी है। राज्य सरकार, चुनाव आयोग और केंद्र के बीच इस मुद्दे पर तकरार आगे और बढ़ सकती है।
फिलहाल सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनाव आयोग ममता बनर्जी की मांगों को गंभीरता से लेते हुए क्या कदम उठाता है।
