कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी एक बार फिर सड़क पर उतर आई हैं। इस बार उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों और “राज्य के अधिकारों में दखल” के खिलाफ विशाल विरोध रैली निकाली। ममता बनर्जी के साथ हजारों समर्थक हाथों में तख्तियां, झंडे और नारे लिखे बैनर लेकर सड़कों पर उमड़ पड़े। यह प्रदर्शन कोलकाता के धर्मतल्ला इलाके से लेकर हावड़ा ब्रिज तक लगभग 5 किलोमीटर लंबे रूट पर हुआ।
केंद्र की नीतियों पर बरसीं ममता
ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा,
“दिल्ली में बैठे लोग संविधान की मर्यादा भूल चुके हैं। वे हर राज्य पर नियंत्रण चाहते हैं, लेकिन बंगाल झुकेगा नहीं।”
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र सरकार “राज्य के फंड रोककर और एजेंसियों का दुरुपयोग कर” लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो तृणमूल कांग्रेस देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगी।
‘लोकतंत्र बचाओ यात्रा’ का आगाज़
यह विरोध रैली तृणमूल कांग्रेस की नई पहल ‘लोकतंत्र बचाओ यात्रा’ का हिस्सा थी। ममता बनर्जी ने इसकी शुरुआत कोलकाता से करते हुए कहा कि आने वाले महीनों में यह यात्रा देश के कई हिस्सों में जाएगी। उनका मकसद है—
केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध
राज्यों के अधिकारों की रक्षा
संविधान के मूल्यों की पुनर्स्थापना
इस दौरान मंच से उन्होंने विपक्षी दलों से भी एकजुटता की अपील की। उन्होंने कहा कि “यह लड़ाई सिर्फ बंगाल की नहीं, पूरे देश की है। अब हर राज्य को आवाज उठानी होगी।”
जनता की भारी भागीदारी
कोलकाता की सड़कों पर सोमवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। ममता बनर्जी के समर्थक बांग्ला और हिंदी दोनों में नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे —
“दीदी तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं!”
महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी इस रैली की सबसे खास बात रही। कई जगहों पर तृणमूल महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने सांस्कृतिक झांकी और लोकनृत्य के जरिए विरोध दर्ज किया।

विपक्षी दलों पर निशाना
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के साथ-साथ बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “जो लोग लोकतंत्र का नाम लेकर सत्ता में आए थे, वही आज उसे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा कि “दिल्ली की कुर्सी पर बैठे लोग अब जनता की नहीं, अपनी पार्टी की सुनते हैं।”
उन्होंने विपक्षी गठबंधन INDIA Bloc को मजबूत करने का भी संकेत दिया और कहा कि “हम सबको मिलकर इस तानाशाही मानसिकता के खिलाफ लड़ना होगा।”
पुलिस और प्रशासन की सतर्कता
इस विशाल रैली को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। कोलकाता पुलिस ने लगभग 3,000 जवानों को तैनात किया। ड्रोन कैमरों से निगरानी की गई और यातायात को कुछ घंटों के लिए डायवर्ट किया गया। बावजूद इसके, भीड़ ने शांतिपूर्ण ढंग से मार्च पूरा किया।
टीएमसी का दावा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
टीएमसी नेताओं का कहना है कि इस रैली में लगभग दो लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए।
वहीं, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने इस विरोध प्रदर्शन को “राजनीतिक स्टंट” बताया।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि “ममता बनर्जी जनता को भ्रमित कर रही हैं। केंद्र सरकार ने बंगाल को सबसे ज्यादा फंड दिया है।”
इस पर जवाब देते हुए टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि “अगर फंड दिया गया है, तो वह जनता तक क्यों नहीं पहुंचा? केंद्र केवल झूठे आंकड़े पेश कर रहा है।”
2026 विधानसभा की तैयारी का संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रैली सिर्फ केंद्र के खिलाफ विरोध नहीं, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा है।
ममता बनर्जी चाहती हैं कि तृणमूल कांग्रेस एक बार फिर बंगाल की जनता के बीच “संघर्षशील दीदी” की छवि के साथ उतरे।
उनके इस कदम से पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नया उत्साह देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें
ममता बनर्जी की सड़क पर उतरने की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए हैं। ट्विटर (X) पर हैशटैग #MamataOnStreets ट्रेंड कर रहा है।
कई यूज़र्स ने ममता को “जनता की नेता” बताया, तो कुछ ने उनकी रैली को “राजनीतिक नाटक” कहा।
अंत में
ममता बनर्जी का यह आंदोलन आने वाले दिनों में बंगाल की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।
उनकी यह कोशिश है कि केंद्र के खिलाफ उनकी आवाज़ सिर्फ कोलकाता तक सीमित न रहे, बल्कि देशभर में गूंजे।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी ‘लोकतंत्र बचाओ यात्रा’ विपक्षी एकता का नया अध्याय लिख पाती है या नहीं।
