पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार और एजेंसियों पर तीखा हमला बोला है। हाल ही में उन्होंने एक बयान दिया— “अगर मुझ पर हमला हुआ तो पूरा भारत हिल जाएगा”—जिसने राष्ट्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। यह बयान उन्होंने कथित रूप से SIR (Special Investigative Review) कार्रवाई और उनके करीबी नेताओं पर बढ़ते दबाव को लेकर दिया। ममता बनर्जी पहले भी केंद्र की जांच एजेंसियों पर “राजनीतिक बदले” का आरोप लगाती रही हैं, लेकिन इस बार उनका स्वर पहले से काफी अधिक आक्रामक दिखाई दिया।

SIR कार्रवाई के बाद बढ़ा तनाव
पिछले कुछ दिनों से SIR के तहत हुई पूछताछ, छापेमारी और नोटिस ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) खेमे में बेचैनी बढ़ाई है। सूत्रों के मुताबिक, SIR टीम ने बंगाल सरकार से जुड़े कुछ दस्तावेज़ और फाइलें मांगी हैं। इसी को लेकर मुख्यमंत्री नाराज दिखीं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार राज्य की लोकतांत्रिक सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।
ममता बनर्जी ने कहा,
“हमसे लड़ने के लिए चुनाव होता है। लेकिन अब एजेंसियों को भेजकर डराने की कोशिश की जा रही है। अगर मुझ पर हमला हुआ तो पूरा भारत हिल जाएगा। मैं लोकतंत्र की रक्षा के लिए पीछे नहीं हटने वाली।”
उनका यह बयान तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे।
भाजपा का पलटवार—“डरने की जरूरत क्यों?”
बंगाल भाजपा ने ममता बनर्जी के बयान को “ड्रामा” करार दिया और कहा कि यदि किसी ने कुछ गलत नहीं किया है, तो जांच से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। भाजपा नेताओं का कहना है कि SIR देशभर में कई राज्यों में काम कर रही है और इसे राजनीतिक रूप से जोड़ना गलत है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा—
“ममता बनर्जी जब भी जांच होती है, तब राजनीतिक उत्पीड़न का आरोप लगाने लगती हैं। कानून अपना काम कर रहा है। यदि किसी ने भ्रष्टाचार किया है, तो वह जांच से बच नहीं सकता।”
इसके बाद यह विवाद और तेज हो गया।
टीएमसी का पलटवार—“हमारी आवाज़ दबाने की कोशिश”
टीएमसी नेताओं का आरोप है कि बंगाल सरकार ने कई बार केंद्र से SIR या अन्य केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग पर सवाल उठाए हैं। पार्टी का कहना है कि केंद्र बंगाल में विपक्ष को मजबूत करने के लिए राजनीतिक दबाव बना रहा है।
टीएमसी सांसदों ने कहा—
“हमारी मुख्यमंत्री की आवाज़ दबाने की कोशिश की जा रही है। उनकी लोकप्रियता और जनसमर्थन को भाजपा बर्दाश्त नहीं कर पा रही है, इसलिए एजेंसियों का सहारा लिया जा रहा है।”
ममता का आक्रामक रुख—2024 और 2026 चुनावों की तैयारी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी का यह बयान केवल SIR कार्रवाई को लेकर नहीं है, बल्कि इससे आगे एक बड़ी राजनीतिक रणनीति भी जुड़ी है। बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन में भी टीएमसी अपनी भूमिका मजबूत करना चाहती है।
ममता बनर्जी का यह बयान उनके समर्थकों को एकजुट करने और केंद्र के खिलाफ अपनी लड़ाई को और धार देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। टीएमसी के लिए यह बयान न केवल राजनीतिक संदेश है, बल्कि एक भावनात्मक अपील भी है जिससे कि बंगाल के लोगों में “राज्य बनाम केंद्र” की भावना मजबूत हो।
क्यों बढ़ रहा है केंद्र–राज्य टकराव?
पिछले एक दशक में बंगाल की राजनीति में केंद्र और राज्य सरकार के बीच लगातार खींचतान देखी गई है। सीबीआई, ईडी, एनआईए और अब SIR की बढ़ती गतिविधियों को लेकर राज्य सरकार में नाराजगी है। वहीं केंद्र का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई करना उनका संवैधानिक कर्तव्य है।
ममता बनर्जी का कहना है कि भाजपा लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा इसे “कानून और व्यवस्था” का मामला बताती है। यह टकराव दोनों खेमों के बीच राजनीतिक लड़ाई को और तेज करता है।
‘भारत हिल जाएगा’ बयान—राजनीतिक संदेश या चेतावनी?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ममता बनर्जी के बयान में दो बातें साफ झलकती हैं—
1. पहली, वह अपने समर्थकों को संदेश देना चाहती हैं कि वह लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगी।
2. दूसरी, वह केंद्र को यह संकेत दे रही हैं कि अगर उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई की गई तो उसका राष्ट्रीय प्रभाव पड़ेगा।
टीएमसी के लिए ममता बनर्जी केवल एक नेता नहीं, बल्कि आंदोलन का चेहरा हैं। इसलिए उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकती है।
सड़कों पर उतरने की तैयारी?
टीएमसी सूत्रों का दावा है कि पार्टी ममता बनर्जी के खिलाफ संभावित कार्रवाई की आशंका के बीच राज्यभर में विरोध प्रदर्शनों की तैयारी कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर केंद्र सरकार राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम उठाती है, तो बंगाल में बड़े स्तर पर आंदोलन देखने को मिल सकते हैं।
देश की राजनीति में ममता की भूमिका
ममता बनर्जी पहले भी कई बड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर खुलकर बोलती रही हैं। किसानों का आंदोलन हो, नोटबंदी, जीएसटी या फिर संघीय ढांचे पर होने वाली बहस—वह हमेशा अपनी मजबूत राय रखती आई हैं।
उनका ताजा बयान संकेत देता है कि आने वाले दिनों में वह केंद्र के खिलाफ विपक्ष की आवाज को और धार देने वाली हैं।
