
31 जुलाई को भारत के सबसे महान गायकों में से एक, मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। रफी साहब की आवाज़ में वो जादू था जो हर दिल को छू जाता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक दौर ऐसा भी आया था जब रफी साहब का करियर डगमगाने लगा था? और फिर एक ऐसा गाना आया जिसने उन्हें दोबारा शिखर पर पहुंचा दिया। आइए जानें उस ऐतिहासिक गीत के बारे में जिसने रफी साहब को फिर से एक नई पहचान दी।
सत्तर के दशक की शुरुआत में मोहम्मद रफी के करियर में गिरावट देखने को मिली थी। किशोर कुमार के उभरते करियर और आर.डी. बर्मन के म्यूजिक स्टाइल की वजह से रफी साहब को कम गाने मिलने लगे थे। कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर्स और फिल्ममेकर्स किशोर कुमार को प्राथमिकता देने लगे थे।
लेकिन 1977 में आई फिल्म “हम किसी से कम नहीं” ने रफी साहब के करियर को नया मोड़ दिया। इस फिल्म का गाना “क्या हुआ तेरा वादा” रफी के लिए गेमचेंजर साबित हुआ। यह गाना न सिर्फ सुपरहिट हुआ, बल्कि इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (National Film Award) और फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। यह उनकी जिंदगी का वह मोड़ था जिसने यह साबित कर दिया कि रफी की आवाज़ को कोई बदल नहीं सकता।
गाने की खासियत:
“क्या हुआ तेरा वादा” गाना भावनाओं से भरा हुआ था। इस गाने में मोहब्बत, शिकायत और दर्द का बेहतरीन मेल देखने को मिला। रफी की आवाज़ ने इस गीत को अमर बना दिया। म्यूजिक डायरेक्टर राहुल देव बर्मन (आरडी बर्मन) और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी की इस जोड़ी ने जादू बिखेरा और रफी साहब ने उसे आत्मा दी।
इस गाने में रफी की गायकी ने बता दिया कि उनकी आवाज़ में वो असर आज भी है जो लोगों के दिलों को छू सके। इस गाने के बाद रफी को फिर से कई बड़े प्रोजेक्ट्स मिलने लगे और उनका करियर फिर से ऊंचाइयों पर पहुंच गया।
रफी का दौर और योगदान:
मोहम्मद रफी का करियर 1940 के दशक में शुरू हुआ था और उन्होंने 1944 से 1980 तक करीब 26 सालों में 5,000 से ज्यादा गाने गाए। वे हर तरह के गानों के लिए जाने जाते थे — चाहे वो देशभक्ति हो, रोमांस हो, दर्दभरे नगमे हों या भजन। उन्होंने नौशाद, शंकर-जयकिशन, एस.डी. बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया।
उनकी मृत्यु और विरासत:
31 जुलाई 1980 को 55 साल की उम्र में मोहम्मद रफी का निधन हो गया, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी ज़िंदा है। उनकी गायकी से आज की नई पीढ़ी भी प्रेरित होती है। उन्होंने जो संगीत की विरासत छोड़ी है, वो आने वाली सदियों तक अमर रहेगी।
“क्या हुआ तेरा वादा” केवल एक गाना नहीं था, बल्कि यह मोहम्मद रफी की वापसी की गूंज थी। यह गीत इस बात का प्रमाण है कि एक सच्चा कलाकार कभी समाप्त नहीं होता — बस वक्त का इंतजार करता है। रफी साहब की आवाज़ और उनकी कला आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस दौर में थी।