
भोपाल / इंदौर, 9 अक्टूबर 2025 — मध्य प्रदेश पुलिस ने एक बड़े और संवेदनशील मामले में कार्रवाई करते हुए श्रीसन (Sresan) मेडिकल्स / फार्मा के मालिक रंगनाथन को हिरासत में ले लिया है। यह गिरफ्तारी उस गंभीर कफ सिरप मामले की जांच में हुई है, जिसमें ‘कोल्ड्रिफ (Coldrif)’ नामक सिरप के सेवन से अनेक मासूमों की मौत संबंधी आरोप हैं।
मामले की पृष्ठभूमि, मुद्दे की गंभीरता, जांच-प्रक्रिया, और आने वाले कदमों पर इस रिपोर्ट में विस्तृत विवरण प्रस्तुत हैं।
पृष्ठभूमि और मामला
पिछले दिनों छिंदवाड़ा जिले से दर्ज की गई रिपोर्टों में दावा किया गया कि बच्चों को खांसी और जुकाम के इलाज के लिए दिया गया Coldrif कफ सिरप उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, इस सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक अत्यंत विषैला रसायन मान्य सीमा से हजारों गुना अधिक मात्रा में मिला था।
अन्य विशेषज्ञों के अनुसार, DEG का सेवन गुर्दे की विफलता, उल्टी, मूत्र निकासी रुकना जैसी जटिलताएँ खड़ी कर सकता है, विशेष रूप से छोटे बच्चों में।
केंद्रीय एवं राज्य स्तर पर अन्य एजेंसियों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया। भारत सरकार ने सलाह जारी की कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाएँ न दी जाएँ।
राज्यों ने इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। उदाहरण स्वरूप, पंजाब ने Coldrif की बिक्री एवं वितरण तुरंत बंद करने के आदेश दिए हैं।
गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई
मध्य प्रदेश पुलिस ने पिछले कुछ दिनों से गहन जाल बिछाया था, और तमिलनाडु के चेन्नई में रविवार देर रात रंगनाथन को गिरफ्त में लेने में सफलता पाई।
पुलिस टीम ने रंगनाथन के निवास और कंपनी के ठिकानों पर छापे मारे और महत्वपूर्ण दस्तावेजों, रिकॉर्ड्स, कच्चे माल एवं अन्य सबूत जब्त किए।
छापामारी के दौरान यह भी पता चला कि श्रीसन कंपनी की उत्पादशाला में अस्वच्छ परिस्थितियाँ, गलत भंडारण, उपकरणों में टूट-फूट, और पेस्ट नियंत्रण नहीं होना जैसी अव्यवस्थित स्थितियाँ थीं।
पुलिस ने प्रारंभ में रंगनाथन पर निम्न प्रमुख आरोप तय किए हैं:
दवा शुद्धता नियमों का उल्लंघन / मिलावट
बच्चों की जान को जोखिम में डालना
लापरवाही से हत्या (culpable homicide not amounting to murder)
अपराधी संयोग एवं व्यवसायिक अपराधों से जुड़े अन्य प्रावधान
इन आरोपों की जांच के लिए पुलिस ने मानहानि, प्रत्यारोपण, दवा नियामक विभाग (FDA / ड्रग कंट्रोल) आदि एजेंसियों से समन्वय स्थापित कर लिया है।
जांच-प्रक्रिया और आगे के कदम
1. फॉरेंसिक परीक्षण और लैब विश्लेषण
पुलिस और ड्रग कंट्रोल विभाग ने जब्त सिरप, कच्चे माल एवं कंपनी रिकॉर्डों को केंद्रीय एवं मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में भेजा है। इन परीक्षणों में DEG की मात्रा, अन्य हानिकारक तत्व, मिलावट, लेबलिंग की सच्चाई आदि जाँचे जाएंगे।
2. सप्लाई चेन की जाँच
केवल निर्माता तक ही सीमित नहीं, बल्कि कच्चा माल सप्लायर, वितरक, स्टॉकिस्ट, मेडिकल स्टोर, और क्षेत्रीय वितरक तक की आपूर्ति श्रृंखला की जांच की जाएगी। किसी भी मध्यस्थ पर मिली लापरवाही या गुनाह हो सकता है।
3. दोषी पाते जाने पर कठोर दंड
यदि न्यायालय में आरोप सिद्ध हुए, तो आरोपी को न्यायालयीन दंड, लाइसेंस रद्दीकरण, आर्थिक जुर्माना और कारावास तक की सजा हो सकती है।
4. राज्य और केंद्र स्तर पर समन्वित प्रतिक्रिया
मध्य प्रदेश सरकार ने तुरंत Coldrif सिरप की बिक्री, वितरण और भंडारण पर रोक लगाई और सभी जिलों में ड्रग निरीक्षण अभियान तेज किया है।
केंद्रीय स्तर पर ड्रग नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने अन्य दवा कंपनियों की गुणवत्ता नियंत्रण गतिविधियों की समीक्षा शुरू की है।
5. सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी एवं जवाबदेही
सरकार ने माता-पिता और चिकित्सकों को चेताया है कि बिना प्रमाण और डॉक्टर की सलाह के खांसी / जुकाम की दवाएँ बच्चों को न दी जाएँ।
भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने यह आग्रह किया है कि दोषी दायित्व उन मेडिकल पेशेवरों पर नहीं थोपे जाएँ, जिन्होंने वह दवा लिखा, यदि वे नियमानुसार कार्य कर रहे हों।
गंभीर निष्कर्ष एवं संदेश
यह मामला न सिर्फ एक अपराध जांच है, बल्कि दवा सुरक्षा प्रणाली, गुणवत्ता नियंत्रण, नियामक जवाबदेही और समाज की संवेदनशीलता की परीक्षा बन चुका है।
बच्चों की जान की कीमत पर मौद्रिक स्वार्थ से दवा में मिलावट करने की कोई स्थिति बर्दाश्त नहीं की जा सकती। यह घटना यह स्पष्ट करती है कि नियामक ढाँचे, औषध निर्माता व संबंधित संस्थाओं को हर स्तर पर शुद्धता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।
मध्य प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि राज्य और कानून की पकड़ अब कमजोर नहीं होगी। जनता के स्वास्थ्य और मासूमों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।
अगले कुछ हफ़्तों में जांच के परिणाम, आरोप तय होना, न्यायालयीन कार्रवाई और सरकार की सुधारात्मक नीतियाँ सामने आएँगी। जनता और मीडिया सदा सतर्क रहे कि इस तरह की घटनाएँ पुनरावृत्त न हों।