
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोरों पर है और Mahagathbandhan (महागठबंधन) के अंदर सीट बाँट-वाट के मसले ने एक नया विवाद जन्म दे दिया है। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने खुलकर कहा है कि उन्होंने शुरुआत में 60 सीटों की मांग की थी, उसे बाद में घटाकर 40 की, और अब सिर्फ 14 सीट पर समझौता किया है। साथ ही, उन्होंने दावा किया है कि यदि गठबंधन सरकार बनी, तो उन्हें डिप्टी मुख्यमंत्री पद दिया जाए। यह बयान महागठबंधन के अन्य दलों, खासकर RJD और कांग्रेस, के बीच तनाव बढ़ा रहा है।
महागठबंधन — जिसमें RJD, कांग्रेस, वाम दल आदि शामिल हैं — बिहार में विरोधी मोर्चा के रूप में चुनावी तैयारियों में जुटा है। सीट बाँट (seat-sharing) की प्रक्रिया महागठबंधन के अंदर खींचतान का विषय बनी हुई है।
मुकेश सहनी, जो पहले NDA की ओर झुकने की अटकलों में थे, अब महागठबंधन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
सहनी की मांग और दबाव
सहनी ने मीडिया में बयान दिया कि “मैंने शुरुआत में 60 सीट मांगी थी, फिर 40 पर आए, और अब 14 पर सहमत हुआ हूँ। इतना ही नहीं, यदि गठबंधन सरकार बनी तो मैं डिप्टी सीएम रहूँगा।”
उन्होंने यह भी दावा किया है कि महागठबंधन के अंदर सीट-बंटवारे की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और सभी दल इस समझौते के पक्ष में हैं।
VIP पार्टी का यह रुख कांग्रेस और RJD को चिंतित कर रहा है, क्योंकि कांग्रेस ने भी गठबंधन में पर्याप्त सीट मांग रखी है।
कांग्रेस एवं RJD की प्रतिक्रिया
कॉंग्रेस पहले 60–65 सीटों की मांग कर रहा था, लेकिन गठबंधन के दबाव में इसे घटाने पर विचार कर रहा है।
RJD की ओर से यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस को ज़्यादा सीट देना संभव नहीं है क्योंकि अन्य दलों की मांगों को भी न्याय करना है।
KPI (Left / वाम दल) भी महागठबंधन में हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं। CPI(ML) ने 35–40 सीटों की मांग रखी है।
इन सभी दावों और मांगों के बीच, सहनी की डिप्टी सीएम की मांग सबसे विवादित रही है क्योंकि कांग्रेस स्पष्ट रूप से उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं दिख रही है।
समय की पाबंदी
चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं — मतदान के लिए पहले चरण की तारीख 6 नवम्बर 2025 और दूसरे चरण की 11 नवम्बर 2025 निर्धारित है। परिणाम 14 नवम्बर को आएँगे।
इस सीमित समय में महागठबंधन को सीट बाँट, पद बाँट और दायित्वों का संतुलन साधना होगा — और वह बहुआयामी दबाव का सामना कर रहा है।
विश्लेषण: सहनी की रणनीति क्या है?
मुकेश सहनी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और दबाव बनाने की रणनीति के तहत दावेदारी कर रहे हैं।
उन्होंने यह संकेत दिया है कि यदि उन्हें पद न मिला, तब भी वह गठबंधन छोड़ने की धमकी दे सकते हैं।
उनका पोर्टफोलियो कमजोर दलों का समर्थन जुटाना है — विशेषकर मल्लाह और मछुआरा समुदायों में उनका आधार माना जाता है।
सहनी इस तरह की दावेदारी करके यह संदेश देना चाहते हैं कि उनका दल महागठबंधन के अंदर एक निर्णायक तत्व है, न कि मात्र उपधारक।
लेकिन इस रणनीति के जोखिम भी हैं — यदि कांग्रेस या RJD उनके दावे को स्वीकार नहीं करते, तो गठबंधन टूटने की संभावना एवं अंदरूनी संघर्ष बढ़ने की आशंका बन सकती है।
संभावित परिणाम और चुनौतियाँ
यदि महागठबंधन ने सहनी को डिप्टी सीएम पद देने का निर्णय किया, तो कांग्रेस एवं अन्य दल नाराज हो सकते हैं।
यदि सहनी का दावा खारिज हो गया, तो VIP दल कहीं अलग विकल्प तलाश सकते हैं, जिससे गठबंधन की मजबूती प्रभावित हो सकती है।
कांग्रेस और RJD को यह संतुलन करना होगा कि वे अन्य सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक हिस्सेदारी दें, जिससे गठबंधन मजबूत बना रहे।
अंततः, चुनावी रणनीति और जनता की सोच ही तय करेगी कि इन दावों का कितना असर होगा।
बिहार 2025 चुनाव के पहले से ही महागठबंधन के अंदर सीट बाँट-वाट और पद दावेदारी के झंझावत उभरकर सामने आ चुके हैं। मुकेश सहनी की डिप्टी मुख्यमंत्री दावेदारी ने इस विवाद को और तीखा बना दिया है। समय की कमी, गठबंधन की जटिलता और महत्वाकांक्षाओं की टकराहट इस पूरे सियासी ड्रामे को और नाटकीय बना रही है।
विधानसभा चुनाव परिणाम तक यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन किसका साथ करता है, किन दावों को मंजूरी मिलती है, और आखिरकार गठबंधन का चेहरा कैसा बनता है।