
नई दिल्ली/मुंबई।
देशभर में मौसम का मिज़ाज एक बार फिर चौंकाने वाला साबित हो रहा है। मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों में भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। वहीं, दूसरी ओर भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी राजस्थान से वक्त से पहले शुरू हो गई है। सामान्यत: मानसून की वापसी 17 सितंबर के बाद मानी जाती है, लेकिन इस साल यह 15 सितंबर से ही शुरू हो गई है। मौसम वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन और वायुमंडलीय परिस्थितियों से जोड़कर देख रहे हैं।
मुंबई में बारिश बनी आफत
मुंबई और आसपास के इलाकों में बीते 48 घंटों से लगातार बारिश हो रही है। सड़कों पर जलभराव की स्थिति ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लोकल ट्रेन सेवाएं देरी से चल रही हैं जबकि कई फ्लाइट्स को भी डायवर्ट करना पड़ा। निचले इलाकों में पानी भरने से लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो गया है।
ब्रिहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (BMC) ने लोगों से अपील की है कि वे जरूरत पड़ने पर ही घरों से निकलें। आपदा प्रबंधन टीम लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी है।
राजस्थान से मानसून की वक्त से पहले वापसी
मौसम विभाग ने बताया है कि मानसून की वापसी पश्चिमी राजस्थान से शुरू हो चुकी है। सामान्यत: यह प्रक्रिया 17 से 25 सितंबर के बीच होती है, लेकिन इस बार दो दिन पहले ही वापसी दर्ज की गई।
IMD अधिकारियों के अनुसार, राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से बारिश में कमी आई थी और तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। हवा की दिशा बदलने और नमी में कमी के कारण मानसून की विदाई प्रक्रिया समय से पहले शुरू हुई।
क्यों अलग है इस बार का मौसम ट्रेंड?
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस साल मानसून का पैटर्न पिछले कई वर्षों से अलग रहा है। जून और जुलाई में जहां कई हिस्सों में बारिश की कमी दर्ज की गई, वहीं अगस्त और सितंबर में कई जगहों पर सामान्य से ज्यादा बारिश हुई।
विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change), एल-नीनो (El Nino) और समुद्री सतह के तापमान में बदलाव से जोड़कर देख रहे हैं। समुद्री हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के कारण भी मानसून का रुख प्रभावित हुआ है।
किसानों पर असर
समय से पहले मानसून की वापसी का सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ सकता है। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खरीफ फसलों को अभी और नमी की जरूरत थी। समय से पहले बारिश रुकने से धान, कपास और बाजरे की फसलों पर असर पड़ सकता है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सितंबर के आखिरी हफ्ते में हल्की बारिश नहीं हुई तो पैदावार पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वहीं, महाराष्ट्र और मध्य भारत के हिस्सों में अतिरिक्त बारिश से सोयाबीन और मक्का की फसल खराब होने की आशंका है।
शहरी जीवन पर बारिश का असर
मुंबई, ठाणे, पुणे और कोकण क्षेत्र में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। ट्रैफिक जाम, जलभराव और बिजली कटौती की स्थिति ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कई इलाकों में स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने का फैसला किया गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा है कि निचले इलाकों में रहने वाले लोग सतर्क रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।

वैज्ञानिकों की चेतावनी

वैज्ञानिकों की चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की असामान्य बारिश और मानसून की समय से पहले वापसी जलवायु परिवर्तन की स्पष्ट निशानी है। समुद्र का बढ़ता तापमान, ग्रीनहाउस गैसों का असर और औद्योगिक गतिविधियों से वायुमंडल में हो रहे बदलाव इसके प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आने वाले सालों में मानसून और भी अनिश्चित हो सकता है। कभी ज्यादा बारिश तो कभी सूखे जैसी स्थिति देखने को मिल सकती है।
मुंबई में बारिश और राजस्थान से मानसून की समय से पहले विदाई भारत के बदलते मौसम पैटर्न की तस्वीर साफ कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
लोगों से अपील की गई है कि वे मौसम विभाग के अलर्ट पर ध्यान दें और सुरक्षित रहें। वहीं, किसानों को सलाह दी गई है कि वे फसल सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक उपायों का सहारा लें।