Mumbai: हास्य कलाकार गोवर्धन असरानी नहीं रहे: भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत।

Mumbai: हास्य कलाकार गोवर्धन असरानी नहीं रहे: भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत।

मुंबई। भारतीय सिनेमा के जाने-माने हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी का आज सुबह निधन हो गया। 84 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय फिल्म जगत ने न केवल एक उम्दा अभिनेता को खोया है, बल्कि एक ऐसी शख्सियत को भी खो दिया है जो दशकों तक दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरता रहा।

गोवर्धन असरानी, जिन्हें दुनिया प्यार से सिर्फ “असरानी” के नाम से जानती थी, का जन्म 1 जनवरी 1941 को सिंध (अब पाकिस्तान में) हुआ था। भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया और उन्होंने अपना फिल्मी करियर बॉम्बे (अब मुंबई) में शुरू किया। अभिनय की पढ़ाई उन्होंने पुणे के प्रतिष्ठित ‘फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ (FTII) से की।

शुरुआत थी कठिन, लेकिन प्रतिभा ने दिलाई पहचान

असरानी ने अपने करियर की शुरुआत 1960 के दशक में की थी। शुरुआती दौर में उन्होंने कई छोटे किरदार निभाए, लेकिन उनकी बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग और सहज अभिनय ने जल्द ही उन्हें एक नई पहचान दिलाई। 1970 और 1980 के दशक में असरानी हिंदी सिनेमा के हास्य किरदारों की पहली पसंद बन गए।

उन्होंने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, रेखा और जया भादुरी जैसे तमाम सुपरस्टार्स के साथ काम किया। उनके किरदार अक्सर फिल्म में हल्के-फुल्के मोड़ लेकर आते और दर्शकों को गुदगुदाकर चले जाते।

यादगार किरदार जो हमेशा रहेंगे जीवित

1975 में आई फिल्म शोले में उनका “जेलर” का किरदार आज भी लोगों की जुबान पर है। “हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं…” जैसी डायलॉग डिलीवरी और उनका अंदाज़ आज भी लोगों को हँसा देता है।

इसके अलावा चुपके चुपके, गोलमाल, पती पत्नी और वो, अंगूर, अभिमान, बावर्ची, दो और दो पांच, छोटी सी बात, और नमक हराम जैसी फिल्मों में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है।

उनकी कॉमिक टाइमिंग इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शकों को हँसाते हुए कभी-कभी फिल्म की मुख्य कहानी को भी पीछे छोड़ देते थे। वे कभी पुलिसवाले बने, कभी मुंशी, कभी नौकर और कभी मास्टरजी—हर बार उन्होंने किरदार में जान डाल दी।

गंभीर अभिनय में भी पीछे नहीं

भले ही असरानी को हास्य भूमिकाओं के लिए जाना गया, लेकिन उन्होंने गंभीर और चरित्र भूमिकाओं में भी अपनी छाप छोड़ी। आंधी, कभी कभी, और सागर जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने दर्शकों को चौंकाया और उनकी बहुआयामी प्रतिभा को साबित किया।

400 से ज़्यादा फिल्मों में अभिनय

अपने पूरे करियर में असरानी ने करीब 400 से अधिक फिल्मों में काम किया। हिंदी के अलावा उन्होंने गुजराती, पंजाबी और अन्य भारतीय भाषाओं की फिल्मों में भी अभिनय किया। 1990 और 2000 के दशक में भी वे फिल्मों में सक्रिय रहे और हेरा फेरी, हंगामा, गोलमाल जैसी नई पीढ़ी की फिल्मों में भी दिखाई दिए।

उनकी लोकप्रियता हर उम्र के दर्शकों में रही। बच्चे हों या बुज़ुर्ग, हर कोई असरानी की अदाओं और संवादों से प्रभावित था।

जीवन के आखिरी वर्षों में शांत जीवन

अपने जीवन के आखिरी वर्षों में असरानी ने फिल्मों से थोड़ी दूरी बना ली थी। हालांकि, वे कई टीवी शोज़ और थिएटर से जुड़े रहे और समय-समय पर इंटरव्यूज में अपनी राय भी रखते थे। वे फिल्मों में आई गिरावट पर चिंता जताते और नए कलाकारों को मार्गदर्शन भी देते।

वे जीवन के हर पल को सकारात्मकता के साथ जीते थे। कई बार उन्होंने कहा भी था—”हँसाना सबसे कठिन कला है, लेकिन यही सबसे ज़रूरी है।”

देश भर में शोक की लहर

असरानी के निधन की खबर फैलते ही बॉलीवुड से लेकर राजनीतिक गलियारों तक शोक की लहर दौड़ गई।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा:

> “गोवर्धन असरानी जी ने दशकों तक अपने अभिनय से लोगों को हँसाया, गुदगुदाया और सिनेमा के जरिए समाज को आईना दिखाया। उनका योगदान अमूल्य है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”

अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, परेश रावल, जॉनी लीवर, राजपाल यादव और रणबीर कपूर सहित कई कलाकारों ने उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी और उनके साथ बिताए पलों को याद किया।

अंतिम संस्कार मुंबई में

उनका पार्थिव शरीर आज मुंबई स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा और शाम को विले पार्ले श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके परिवार में पत्नी माणिका असरानी और एक बेटा है।

अभिनय का युग समाप्त, स्मृतियाँ शेष

गोवर्धन असरानी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम, उनके संवाद और उनका चेहरा हमेशा भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज रहेगा।

वे उन गिने-चुने कलाकारों में से हैं जिन्होंने बिना किसी बनावटीपन के, अपनी सादगी और अभिनय से दर्शकों का दिल जीता।

आज जब हम उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं, तो हर cine-lover के मन में बस यही भाव है—

“असरानी जी, आपने हमें हँसी दी, अब हमारी आँखें नम हैं। आपकी यादें सदा हमारे साथ रहेंगी। ओम शांति।”

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