मुंबई दही हांडी हादसा: 32 वर्षीय गोविंदा की मौत, 30 घायल

मुंबई दही हांडी हादसा: 32 वर्षीय गोविंदा की मौत, 30 घायल

मुंबई। महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के मौके पर दही हांडी उत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार मुंबई से एक दर्दनाक खबर सामने आई। मंगलवार को दही हांडी कार्यक्रम के दौरान बड़ा हादसा हो गया, जिसमें 32 वर्षीय गोविंदा की मौत हो गई। वहीं करीब 30 लोग घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब मानव पिरामिड बनाते हुए कई प्रतिभागी अचानक नीचे गिर पड़े। हादसे के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।

हादसा कैसे हुआ?

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मुंबई के उपनगर में आयोजित दही हांडी कार्यक्रम में हजारों लोग मौजूद थे। यहां पारंपरिक तरीके से ऊंचाई पर मटका (दही हांडी) बांधा गया था, जिसे तोड़ने के लिए गोविंदा पथक यानी युवाओं की टीम ने मानव पिरामिड बनाना शुरू किया। बताया जा रहा है कि जब पिरामिड की ऊंचाई 6 से 7 मंजिल तक पहुंची, तभी अचानक संतुलन बिगड़ गया और दर्जनों गोविंदा नीचे गिर पड़े।

गिरने के कारण कई प्रतिभागियों के सिर, हाथ और पैरों में गंभीर चोटें आईं। इस दौरान एक 32 वर्षीय गोविंदा को सिर पर गंभीर चोट लगी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

मृतक की पहचान और परिवार पर दुख

हादसे में जान गंवाने वाले गोविंदा की पहचान 32 वर्षीय अमोल पाटिल (नाम बदलकर प्रयोग कर सकते हैं) के रूप में हुई है। वह पेशे से निजी कंपनी में काम करता था और हर साल दही हांडी उत्सव में भाग लेता था। परिवार और दोस्तों के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं है। अमोल की मौत के बाद परिवार के बीच मातम का माहौल है।

घायलों का हाल

इस हादसे में लगभग 30 गोविंदा घायल हुए हैं। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। कई लोगों को फ्रैक्चर और सिर पर चोट आई है। घायलों को नजदीकी अस्पतालों – नायर हॉस्पिटल, केईएम हॉस्पिटल और सायन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, अधिकांश घायलों का इलाज चल रहा है और स्थिति नियंत्रण में है।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। आयोजकों से कार्यक्रम की अनुमति और सुरक्षा इंतजामों को लेकर भी पूछताछ की जा रही है।

पुलिस का कहना है कि इस बार कई जगह दही हांडी की ऊंचाई 40 से 50 फीट तक रखी गई थी। हालांकि सरकार ने पहले से ही आदेश जारी किया था कि सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए। फिलहाल पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या आयोजन स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा बेल्ट, हेलमेट और मैट्रेस जैसी सुविधाएं मौजूद थीं या नहीं।

मुख्यमंत्री और नेताओं की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने इस घटना पर गहरा दुख जताया और मृतक के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। साथ ही गंभीर रूप से घायल प्रतिभागियों के मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, “दही हांडी हमारे लिए सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और उत्साह का प्रतीक है। लेकिन इसकी आड़ में किसी की जान नहीं जानी चाहिए। प्रशासन को सख्ती से सुरक्षा नियम लागू करने होंगे।”

वहीं, विपक्षी नेताओं ने भी घटना पर दुख व्यक्त करते हुए सरकार से सवाल किए कि आखिर क्यों हर साल दही हांडी के दौरान सुरक्षा की अनदेखी की जाती है।

दही हांडी परंपरा और खतरे

महाराष्ट्र में दही हांडी उत्सव जन्माष्टमी पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें हजारों युवा ‘गोविंदा पथक’ बनाकर ऊंचाई पर बंधी दही हांडी को फोड़ते हैं। यह आयोजन टीम भावना, साहस और भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक माना जाता है।

लेकिन, इसकी खतरनाक ऊंचाई और भीड़ के कारण हर साल कई हादसे सामने आते हैं। मुंबई और आसपास के इलाकों में अक्सर सैकड़ों गोविंदा घायल हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आधुनिक सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल हो और ऊंचाई को नियंत्रित किया जाए, तो इन हादसों से बचा जा सकता है।

अस्पताल प्रशासन की अपील

घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने आयोजकों से अपील की है कि भविष्य में गोविंदाओं को हेलमेट और घुटने के गार्ड पहनाना अनिवार्य किया जाए। डॉक्टरों का कहना है कि पिरामिड गिरने की स्थिति में अक्सर सिर पर चोट सबसे घातक साबित होती है।

सोशल मीडिया पर भी यह हादसा चर्चा का विषय बना हुआ है। कई यूजर्स ने दुख जताया और इसे रोकने के लिए सुरक्षा नियमों के कड़े पालन की मांग की। वहीं कुछ लोगों ने कहा कि दही हांडी उत्सव को पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए।

मुंबई का यह हादसा एक बार फिर चेतावनी देता है कि परंपरा और उत्सव के साथ सुरक्षा को भी प्राथमिकता देना जरूरी है। दही हांडी जैसे आयोजन लोगों में उत्साह और भाईचारे की भावना जगाते हैं, लेकिन अगर सुरक्षा चूक हुई तो इसका नतीजा जानलेवा साबित हो सकता है।

मृतक गोविंदा की मौत और 30 लोगों का घायल होना इस बात का सबूत है कि अब सरकार और आयोजकों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। ताकि आगे से कोई परिवार अपने बेटे या भाई को इस तरह के हादसे में न खोए।

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