मुंबई में गुरुवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक व्यक्ति ने स्थानीय स्टूडियो में 17 मासूम बच्चों को बंधक बना लिया। आरोपी की पहचान रोहित आर्या के रूप में हुई है, जो पिछले कुछ समय से मानसिक रूप से अस्थिर बताया जा रहा था। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इलाके को चारों ओर से घेर लिया और करीब चार घंटे की लंबी बातचीत और तनावपूर्ण स्थिति के बाद जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में रोहित आर्या को पुलिस की गोली लग गई, जिसके बाद उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
कैसे शुरू हुई घटना
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे रोहित आर्या नाम का व्यक्ति अंधेरी इलाके के एक डांस स्टूडियो में घुसा। स्टूडियो में उस समय बच्चे रिहर्सल कर रहे थे। आरोपी ने अचानक दरवाजा बंद कर लिया और वहां मौजूद 17 बच्चों को बंधक बना लिया। बताया जा रहा है कि वह लगातार चिल्ला रहा था और किसी “अनजान साजिश” का जिक्र कर रहा था।
पुलिस को मिली सूचना और तुरंत एक्शन
घटना की जानकारी मिलते ही मुंबई पुलिस की स्पेशल टीम, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस मौके पर पहुंच गईं। इलाके को पूरी तरह से सील कर दिया गया ताकि कोई बाहरी व्यक्ति भीतर न जा सके। पुलिस ने पहले आरोपी से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था। करीब दो घंटे तक चली बातचीत के दौरान, पुलिस ने आरोपी को शांत कराने की कोशिश की। मौके पर एनएसजी की क्विक रेस्पॉन्स टीम और क्राइम ब्रांच के अधिकारी भी पहुंचे।
जवाबी कार्रवाई में लगी गोली
जब बातचीत के सारे प्रयास विफल हो गए, आरोपी ने अचानक एक हथियार निकालकर पुलिस टीम की ओर फायरिंग कर दी। इस जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की, जिसमें रोहित आर्या को गोली लगी। घायल अवस्था में उसे कूपर अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सभी बच्चे सुरक्षित निकाले गए बाहर
पुलिस की त्वरित कार्रवाई की वजह से सभी 17 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। बच्चों के माता-पिता और परिजनों ने पुलिस का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने समय रहते घटना को नियंत्रित किया। कई बच्चे इस घटना से डरे और सदमे में हैं, जिन्हें फिलहाल काउंसलिंग के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद दी जा रही है।
कौन था रोहित आर्या?
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रोहित आर्या पेशे से फ्रीलांस वीडियोग्राफर था और कुछ साल पहले इसी स्टूडियो में काम करता था। हाल के महीनों में वह बेरोजगारी और निजी परेशानियों से गुजर रहा था। उसके परिवार ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों से वह मानसिक रूप से अस्थिर था और “किसी के पीछे पड़े होने” की बात करता था।
पुलिस कर रही है मामले की जांच
मुंबई पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। डीसीपी (जोन-9) ने बताया कि प्राथमिक जांच में यह मामला मानसिक अस्थिरता का लग रहा है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश थी या नहीं।
पुलिस ने मौके से एक हथियार, कुछ दस्तावेज़ और मोबाइल फोन बरामद किए हैं, जिन्हें फॉरेंसिक टीम ने अपने कब्जे में ले लिया है।
राज्य सरकार ने दिए जांच के आदेश
महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों को सुरक्षित बचा लेना पुलिस की बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए सरकार मनोवैज्ञानिक सहायता और निगरानी तंत्र को मजबूत करेगी।
मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट कर कहा —
“मुंबई पुलिस ने समय रहते बच्चों की जान बचाकर मानवता की मिसाल पेश की है। मृतक आरोपी की मंशा की गहराई से जांच की जाएगी।”
सोशल मीडिया पर छाया मामला
जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर आई, लोगों ने मुंबई पुलिस की तारीफ की। ट्विटर (X) और इंस्टाग्राम पर #MumbaiHostageRescue और #RohitArya ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने लिखा कि अगर पुलिस ने देर की होती, तो एक बड़ी त्रासदी हो सकती थी।
सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
इस घटना के बाद मुंबई पुलिस ने सभी पब्लिक स्टूडियो, स्कूल और आर्ट सेंटरों की सुरक्षा जांच शुरू कर दी है। सभी संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे CCTV, सुरक्षा गार्ड और इमरजेंसी एग्जिट सिस्टम की समीक्षा करें।
मुंबई में हुई यह घटना न केवल एक मानसिक अस्थिर व्यक्ति के खतरनाक रूप का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि पुलिस की तत्परता से कितनी बड़ी त्रासदी टल सकती है। रोहित आर्या की मौत के साथ ही यह मामला भले खत्म हो गया हो, लेकिन समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल जरूर खड़े कर गया है।
