
“मसूरी: क्यों कहलाती है ‘क्वीन ऑफ हिल्स’, जानिए इसके पीछे की कहानी”
उत्तराखंड की वादियों में बसी मसूरी को यूं ही ‘क्वीन ऑफ हिल्स’ यानी ‘पहाड़ों की रानी’ नहीं कहा जाता। यह उपाधि न केवल इसके नैसर्गिक सौंदर्य की गवाही देती है, बल्कि इसके ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व को भी रेखांकित करती है। मसूरी की कहानी सिर्फ एक पर्यटन स्थल की नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह की है, जिसने वर्षों से सैलानियों, लेखकों, कलाकारों और इतिहासकारों को अपनी ओर खींचा है।
मसूरी का नाम और उत्पत्ति
मसूरी नाम की उत्पत्ति ‘मंसूर’ नामक एक पौधे से हुई है, जो कभी इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाया जाता था। स्थानीय लोग इसे ‘मंसूरी’ के नाम से पुकारते थे, और यही नाम धीरे-धीरे ‘मसूरी’ बन गया। 1820 के दशक में ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन यंग और एफ.जे. शॉ इस क्षेत्र की सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने यहां एक निवास स्थान बनाया और यहीं से मसूरी का आधुनिक इतिहास शुरू हुआ।
ब्रिटिश काल का प्रभाव
ब्रिटिश शासन के दौरान मसूरी ने एक विशिष्ट पहचान बनाई। यह जगह अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन छावनी और अवकाश स्थल बन गई थी। देहरादून से महज 38 किलोमीटर दूर स्थित यह शांत हिल स्टेशन अंग्रेज अफसरों और उनके परिवारों का पसंदीदा स्थल बन गया। उन्होंने यहां स्कूल, चर्च, होटल और क्लब बनाए, जिनमें से कई आज भी मौजूद हैं और ब्रिटिश आर्किटेक्चर की छाप लिए हुए हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और मौसम
मसूरी की पहचान इसकी हरियाली, पहाड़ी ढलानों, झरनों और बर्फ से ढके हिमालयी नज़ारों से है। यहां का मौसम वर्ष भर सुहावना रहता है। गर्मियों में जब देश के मैदानी इलाकों में लू चलती है, तब मसूरी की ठंडी हवाएं पर्यटकों को राहत देती हैं। सर्दियों में यहां बर्फबारी का आनंद लेने लाखों लोग आते हैं।
लोकप्रिय पर्यटन स्थल
मसूरी में कई दर्शनीय स्थल हैं जो इसे ‘क्वीन ऑफ हिल्स’ की उपाधि दिलाने में सहायक रहे हैं।
1. केम्प्टी फॉल्स – ये झरना मसूरी से 15 किमी दूर स्थित है और पर्यटकों की पहली पसंद होता है।
2. गन हिल – मसूरी की दूसरी सबसे ऊंची चोटी, जहां से हिमालय पर्वतमाला का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
3. लाल टिब्बा – लैंढौर में स्थित इस जगह से सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य अत्यंत मनोहारी होते हैं।
4. कैमल्स बैक रोड – यह 3 किमी लंबी सड़क ऊंट की पीठ जैसी आकृति के कारण प्रसिद्ध है, जो वॉकिंग और साइक्लिंग के लिए आदर्श है।
5. मसूरी झील, भट्टा फॉल्स, और मसूरी हेरिटेज सेंटर भी दर्शनीय स्थल हैं।
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साहित्य और मसूरी
मसूरी का नाम साहित्यिक दुनिया में भी प्रमुखता से आता है। प्रसिद्ध लेखक रसकिन बॉन्ड मसूरी में रहते हैं और उन्होंने इस शहर को अपनी कहानियों में बार-बार जीवंत किया है। यहां की शांत वादियों और छोटे शहर का वातावरण रचनात्मकता को बढ़ावा देता है।
शिक्षा और संस्थान
मसूरी में कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हैं, जैसे लॉरेंस स्कूल, वुडलैंड्स स्कूल, और विनबर्ग एलन स्कूल, जो देशभर से विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) भी यहीं स्थित है, जहां देश के शीर्ष सिविल सेवक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।
कब और कैसे जाएं
मसूरी वर्ष भर घूमने योग्य है, लेकिन मार्च से जून और फिर अक्टूबर से दिसंबर तक का मौसम सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। देहरादून निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। देहरादून से टैक्सी या बस के ज़रिए मसूरी आसानी से पहुँचा जा सकता है।
स्थानीय संस्कृति और व्यंजन
मसूरी की स्थानीय संस्कृति में गढ़वाली परंपराएं प्रमुख हैं। यहां के लोग बेहद मिलनसार होते हैं। गढ़वाली और कुमाऊंनी व्यंजन जैसे आलू के गुटके, झंगोरे की खीर, और फाणू का स्वाद यहां जरूर लेना चाहिए।
मसूरी सिर्फ एक हिल स्टेशन नहीं, एक अहसास है। इसके प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक विविधता और साहित्यिक माहौल ने इसे ‘क्वीन ऑफ हिल्स’ का दर्जा दिलाया है। अगर आपने अभी तक मसूरी की वादियों का आनंद नहीं लिया है, तो अगली छुट्टियों में इसे अपनी सूची में जरूर शामिल करें। यहां का हर मोड़, हर गली, हर पेड़-पौधा एक कहानी कहता है — जो सिर्फ महसूस की जा सकती है।
“5 कारण क्यों मसूरी बनी Queen Of Hills”
ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक महत्व
हिमालय की बर्फीली चोटियों का नज़ारा
हरे-भरे पहाड़ और झरने
साहित्यिक धरोहर
शांत और ठंडा वातावरण