हिमाचल में कुदरत का कहर: 112 की मौत, 1221 करोड़ का नुकसान, बर्फबारी ने बढ़ाई मुश्किलें

हिमाचल में कुदरत का कहर: 112 की मौत, 1221 करोड़ का नुकसान, बर्फबारी ने बढ़ाई मुश्किलें

शिमला/मनाली। हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्रकृति के प्रकोप का सामना कर रहा है। राज्य में भारी बारिश और बर्फबारी ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। बारिश से जहां भूस्खलन और सड़कों के टूटने की घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी से लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। लाहौल-स्पीति जिले के शिंकुला, बारालाचा और तंगलंगला दर्रों में ताजा हिमपात दर्ज किया गया है, जिससे कई रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में राहत के संकेत दिए हैं, लेकिन अब तक का नुकसान राज्य सरकार और आमजन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

मौत का आंकड़ा 100 पार, भारी नुकसान

हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन की शुरुआत से अब तक 112 लोगों की जान जा चुकी है। अलग-अलग घटनाओं में यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, भारी बारिश, भूस्खलन, और सड़कों पर मलबा आने जैसी घटनाओं में राज्य को अब तक करीब 1221 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

कई जिलों में पुल बह गए हैं, मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और सैकड़ों वाहन सड़कों पर फंसे हैं। 250 से अधिक सड़कों के अवरुद्ध होने की सूचना है, जबकि 137 पेयजल योजनाएं बंद हो चुकी हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में जल संकट उत्पन्न हो गया है।

बर्फबारी ने और बिगाड़ी स्थिति

लाहौल-स्पीति जिले के ऊंचाई वाले दर्रों – शिंकुला, बारालाचा और तंगलंगला – में हालिया बर्फबारी ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। यह क्षेत्र पहले से ही कठिन भौगोलिक परिस्थितियों से जूझते हैं, लेकिन बर्फबारी के चलते स्थिति और जटिल हो गई है। इन दर्रों पर फिसलन और दृश्यता कम होने से यातायात पूरी तरह बंद है। पर्यटक और स्थानीय लोग दोनों प्रभावित हुए हैं।

राज्य के कई पर्यटन स्थल जैसे मनाली, कुफरी और रोहतांग पास पर भी बर्फबारी और बारिश ने आवाजाही को बाधित कर दिया है। स्थानीय प्रशासन ने इन इलाकों में गैर-जरूरी यात्रा से बचने की अपील की है।

शिमला, मंडी, कुल्लू सबसे ज्यादा प्रभावित

राजधानी शिमला समेत मंडी, कुल्लू, चंबा और सिरमौर जिलों में बारिश और भूस्खलन ने आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। मंडी जिले में कई स्थानों पर मलबा गिरने से सड़कों पर आवाजाही बंद हो गई है। शिमला में भी कई जगह पानी भर गया, जिससे यातायात बाधित हुआ।

हाईवे और ग्रामीण सड़कें प्रभावित हैं। राज्य की करीब 60 मुख्य सड़कें पूरी तरह बंद हैं, जबकि कई मार्गों पर ट्रैफिक डायवर्जन लागू किया गया है।
राहत-बचाव कार्य जारी
राज्य सरकार और जिला प्रशासन की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। भारी मशीनों की मदद से मलबा हटाया जा रहा है और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने आपातकालीन चिकित्सा दल तैनात किए हैं, जबकि पुलिस और होमगार्ड की टीमें सड़कों पर मुस्तैद हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त सहायता की मांग की है। राज्य सरकार ने अब तक प्रभावित परिवारों के लिए राहत राशि जारी करने की घोषणा की है।
मौसम का पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में राज्य के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। हालांकि बर्फबारी में कुछ हद तक कमी आने की उम्मीद है, लेकिन लौटते हुए बादलों के कारण फिर से भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।
मौसम विभाग ने मंडी, कुल्लू, चंबा और किन्नौर में येलो अलर्ट जारी किया है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे पहाड़ी इलाकों की यात्रा न करें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
आमजन की अपील
स्थानीय निवासी और किसान इस प्राकृतिक आपदा से काफी प्रभावित हुए हैं। खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो रही हैं, जबकि पशुपालन पर भी संकट गहराया है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति ठप है। प्रभावित लोग सरकार से जल्द राहत पहुंचाने की गुहार लगा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश इस समय एक कठिन दौर से गुजर रहा है। प्राकृतिक आपदाएं राज्य के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं। बारिश और बर्फबारी ने न केवल जनजीवन को ठप कर दिया है, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर डाला है। राज्य सरकार को जहां त्वरित राहत कार्य पर ध्यान देना होगा, वहीं दीर्घकालिक समाधान और आपदा प्रबंधन की मजबूत नीति की भी आवश्यकता है।

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