
नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की साधना और आराधना का पावन समय होता है। इस दौरान भक्त पूरे नौ दिनों तक मां की पूजा-अर्चना और व्रत रखते हैं। नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि बिना कन्या पूजन और कन्या भोज के यह व्रत अधूरा रह जाता है। इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें विशेष भोजन कराया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
कन्या पूजन क्यों है आवश्यक
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, कन्याओं में मां दुर्गा के नौ रूपों का वास माना जाता है। अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसी कारण हर श्रद्धालु अपनी क्षमता और श्रद्धा के अनुसार 7, 9, 11 या 21 कन्याओं को आमंत्रित करके भोजन कराता है।
कन्या पूजन के दौरान परोसे जाने वाले भोजन
कन्याओं को परोसने के लिए पारंपरिक रूप से पूड़ी, चने और हलवा बनाए जाते हैं। यह प्रसाद मां दुर्गा को अर्पित करने के बाद कन्याओं को खिलाया जाता है। इसके साथ ही मौसमी फल, मिठाई या अन्य साधारण भोजन भी दिया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि भोजन सात्विक होना चाहिए।
कन्या भोज में किन चीजों से बचें
कन्या पूजन के समय तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब या नशे से जुड़ी चीजों का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। साथ ही भोजन अधिक मसालेदार या अत्यधिक तैलीय भी नहीं होना चाहिए। यह दिन सात्विकता और शुद्धता का प्रतीक है, इसलिए प्रसाद और भोजन को शुद्ध वातावरण में तैयार करना चाहिए।
कन्या पूजन का महत्व
मान्यता है कि कन्या पूजन और कन्या भोज करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। मां दुर्गा की कृपा से सभी दुखों का निवारण होता है और जीवन में खुशहाली आती है। कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर उनका सम्मान करना और आशीर्वाद प्राप्त करना नवरात्रि के इस पर्व का सबसे बड़ा फल माना जाता है।
यह लेख धार्मिक आस्था और परंपराओं पर आधारित जानकारी प्रदान करता है। पाठकों से निवेदन है कि इसे केवल सामान्य जानकारी के रूप में लें। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले अपने परिवार की परंपरा, स्थानीय रीति-रिवाज और योग्य विद्वान की सलाह को प्राथमिकता दें।