
हिंदू धर्म में नवरात्रि एक विशेष पर्व है, जो शक्ति की उपासना और देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का प्रतीक है। नवरात्रि के अंतिम दिनों में विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि कन्याएं देवी दुर्गा का रूप होती हैं और उन्हें पूजकर भक्त मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
लेकिन सवाल यह है कि कन्या पूजन में क्या खिलाना चाहिए और क्या देना चाहिए? आइए विस्तार से जानते हैं—
कन्या पूजन का महत्व
1. कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की बालिकाओं को देवी का रूप मानकर आमंत्रित किया जाता है।
2. उन्हें विधिपूर्वक पूजा करके चरण धोए जाते हैं और तिलक लगाया जाता है।
3. मान्यता है कि इससे घर में सुख, शांति, धन और समृद्धि आती है।
4. यह परंपरा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है—क्योंकि इसमें बेटियों के सम्मान और उनके महत्व को दर्शाया गया है।
कन्या पूजन में क्या खिलाना चाहिए?
कन्या पूजन का सबसे बड़ा सवाल यही है कि भोजन में क्या परोसा जाए। परंपरा और मान्यता के अनुसार—
1. पूड़ी और काला चना
यह प्रसाद का मुख्य हिस्सा होता है।
काले चने को शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है।
2. हलवा
मीठा प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
इसे सौभाग्य और मंगल का प्रतीक माना जाता है।
3. फल
मौसमी फल जैसे केला, सेब, अमरूद देना शुभ होता है।
4. मिठाई
खासकर बूंदी, लड्डू या खीर प्रसाद के रूप में दी जा सकती है।
ध्यान रखें कि भोजन सात्विक हो और उसमें प्याज-लहसुन का प्रयोग न हो।
कन्या पूजन में क्या देना चाहिए?
कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें उपहार और दान दिया जाता है।
1. लाल चुनरी या दुपट्टा
देवी स्वरूप कन्या को चुनरी ओढ़ाना शुभ माना जाता है।
2. वस्त्र या रुमाल
छोटी-छोटी लड़कियों को नए कपड़े या रुमाल दिए जा सकते हैं।
3. कंघी, बिंदी, चूड़ी
यह स्त्री सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
4. सिक्का या दक्षिणा
कन्याओं को भोजन कराने के बाद 10, 20 या 50 रुपए तक दक्षिणा देना शुभ है।
5. पढ़ाई का सामान
पेंसिल, कॉपी, किताबें देना भी उत्तम माना जाता है।
मान्यता है कि कन्याओं को प्रसन्न करके दिया गया दान कई गुना फल देता है।
शास्त्रों और परंपरा के अनुसार नियम
1. 2 से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं और एक लंगूर (छोटा लड़का) को बुलाना चाहिए।
2. पूजा से पहले कन्याओं के चरण धोकर तिलक लगाएं।
3. सबसे पहले भोजन कराएं, फिर उपहार दें।
4. कन्याओं का आशीर्वाद लेकर ही उन्हें विदा करें।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कन्या पूजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि बेटियों के महत्व को पहचानने का संदेश भी है।
भोजन कराने और उपहार देने से बच्चों में खुशियां और सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है।
यह परंपरा समाज में लैंगिक समानता और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का भी संदेश देती है।
नवरात्रि में कन्या पूजन एक पवित्र परंपरा है, जिसमें देवी स्वरूप बालिकाओं को भोजन और उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
कन्या पूजन में पूड़ी, काले चने और हलवे का प्रसाद खिलाना और चुनरी, वस्त्र, चूड़ी, दक्षिणा या पढ़ाई का सामान देना सबसे शुभ माना जाता है।