
नेपाल इन दिनों राजनीतिक संकट और जन-आंदोलन के बीच लगातार उथल-पुथल का सामना कर रहा है। हाल ही में रामेछाप जिला जेल से कैदियों के भागने की कोशिश ने पूरे देश को हिला दिया। सेना को हालात काबू करने के लिए गोलियां चलानी पड़ीं, जिसमें 12 से ज्यादा कैदी घायल हो गए। यह घटना ऐसे समय हुई है जब नेपाल पहले से ही Gen-Z आंदोलन की वजह से तनाव में है और जगह-जगह प्रदर्शन जारी हैं।
जेल तोड़ने की कोशिश और सेना की कार्रवाई
रामेछाप जिला जेल में सोमवार देर रात अफरा-तफरी का माहौल तब पैदा हुआ जब कुछ कैदियों ने आंतरिक ताले तोड़ दिए और मुख्य गेट की ओर बढ़ने लगे। सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन स्थिति बेकाबू हो गई। कैदियों की भीड़ ने मुख्य दरवाजे को तोड़ने का प्रयास किया।
हालात बिगड़ते देख सेना को बुलाया गया। चेतावनी देने के बावजूद कैदी पीछे नहीं हटे, जिसके बाद सैनिकों ने भीड़ को काबू करने के लिए फायरिंग की। इस गोलीबारी में 12 से ज्यादा कैदी घायल हो गए। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
नेपाल में क्यों बढ़ रही हैं जेल तोड़ने की घटनाएं?
नेपाल इस समय Gen-Z आंदोलन से गुजर रहा है। यह आंदोलन युवाओं द्वारा राजनीतिक व्यवस्था और सरकारी नीतियों के खिलाफ चलाया जा रहा है।
लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन और दंगों की वजह से जेलों पर सुरक्षा दबाव बढ़ गया है।
कई जिलों में जेल तोड़ने और कैदियों के भागने की घटनाएं सामने आई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा बलों की थकान की वजह से कैदी मौके का फायदा उठा रहे हैं।
सरकार और सेना का बयान
नेपाल सरकार ने इस घटना के बाद जेल सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश दिया है। गृह मंत्रालय ने साफ किया कि कैदियों की जान बचाने की हर संभव कोशिश की गई थी, लेकिन हालात काबू से बाहर हो जाने पर फायरिंग करनी पड़ी।
सेना के प्रवक्ता ने कहा—
“कैदियों ने बार-बार चेतावनी के बावजूद हिंसक तरीका अपनाया। गेट तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश हो रही थी। यदि उन्हें भागने दिया जाता तो हालात और गंभीर हो सकते थे।”

घायलों की हालत और अस्पताल में अफरा-तफरी

घायलों की हालत और अस्पताल में अफरा-तफरी
स्थानीय अस्पताल में एक साथ दर्जनों कैदियों के पहुंचने से भारी अफरा-तफरी मच गई। डॉक्टरों के मुताबिक कुछ कैदियों की हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं, प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से अस्पताल के बाहर अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता
नेपाल में लगातार हो रहे विरोध और जेल से भागने की घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चिंतित कर दिया है। पड़ोसी देशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थान भी नेपाल में बढ़ती हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता पर नजर रखे हुए हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो नेपाल में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा सकती है।
Gen-Z आंदोलन और जेल विद्रोह का कनेक्शन
नेपाल में Gen-Z आंदोलन के कारण युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर रहे हैं। यह आंदोलन पारदर्शिता, बेरोजगारी और राजनीतिक सुधार की मांग को लेकर चल रहा है।
आंदोलन के बीच कई जेलों में कैदियों ने भी प्रशासनिक कमजोरी का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की है।
जेल विद्रोह को भी इस आंदोलन से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि कैदी भी सरकार के खिलाफ माहौल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
विपक्ष का आरोप
नेपाल की विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार जनता और कैदियों दोनों को काबू करने में नाकाम साबित हो रही है। विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे को उठाने का ऐलान किया है।
आगे की चुनौतियां
नेपाल सरकार के सामने अब दोहरी चुनौती है—
1. Gen-Z आंदोलन को शांत करना।
2. जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना।
अगर इन दोनों मोर्चों पर विफलता मिलती है, तो देश और गहरे संकट में जा सकता है।
रामेछाप जिला जेल की घटना नेपाल की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का साफ संकेत है। गोलीबारी में घायल कैदियों की संख्या बढ़ सकती है, लेकिन फिलहाल हालात काबू में बताए जा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या नेपाल सरकार और सेना लंबे समय तक इस संकट से निपट पाएंगे या फिर हालात और बिगड़ेंगे? आने वाले दिनों में इसका जवाब मिलेगा।