
New Delhi: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा? जानिए प्रक्रिया, मतदाता और विवाद निपटाने की संपूर्ण व्यवस्था।
हाल ही में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है। अब देश में यह सवाल उठ रहा है कि अगला उपराष्ट्रपति कैसे चुना जाएगा, चुनाव प्रक्रिया क्या होती है, कौन लोग वोट डालते हैं और यदि कोई विवाद हो तो उसे कौन सुलझाता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 तक उपराष्ट्रपति पद और उससे जुड़ी चुनाव प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। आइए जानते हैं उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया, उससे जुड़े नियम और नियमावली के अनुसार आगे की प्रक्रिया किस प्रकार होगी।
उपराष्ट्रपति का चुनाव: संविधान में क्या प्रावधान है?
अनुच्छेद 63 कहता है कि भारत में एक उपराष्ट्रपति होगा।
अनुच्छेद 66 उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को निर्धारित करता है।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, लेकिन नए उपराष्ट्रपति के चुने जाने तक वह पद पर बना रह सकता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रमुख बातें:
1. चुनाव का आयोजन – चुनाव का आयोजन भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) करता है।
2. मतदान की प्रक्रिया – यह प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होता। आम जनता इसमें भाग नहीं लेती।
3. मतदाता कौन होते हैं – उपराष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य मिलकर चुनते हैं।
4. मतदान प्रणाली – इसमें रैन्किंग आधारित मतदान प्रणाली (प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन) का प्रयोग होता है और गोपनीय मतपत्र (secret ballot) का इस्तेमाल होता है।
5. प्रथम वरीयता मत (First Preference Vote) के आधार पर गणना की जाती है।
उपराष्ट्रपति बनने की योग्यता:
भारतीय संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं आवश्यक हैं:
भारतीय नागरिक होना चाहिए।
न्यूनतम 35 वर्ष आयु होनी चाहिए।
राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए।
किसी लाभ के पद (Office of Profit) पर नहीं होना चाहिए (कुछ अपवाद को छोड़कर)।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है?
1. चुनाव अधिसूचना जारी – निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीख तय करता है और अधिसूचना जारी करता है।
2. नामांकन दाखिल करना – उम्मीदवारों को निर्धारित प्रारूप में नामांकन दाखिल करना होता है, जिसमें कम से कम 20 सांसद प्रस्तावक और 20 सांसद अनुमोदक के रूप में हस्ताक्षर करते हैं।
3. नामांकन की जांच – रिटर्निंग ऑफिसर नामांकन पत्रों की जांच करता है और वैध उम्मीदवारों की सूची जारी की जाती है।
4. मतदान – संसद भवन में विशेष मतदान केंद्र बनाए जाते हैं, जहां सांसद गोपनीय वोट डालते हैं।
5. मतगणना और परिणाम – प्रथम वरीयता के आधार पर मतगणना होती है और बहुमत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में विवाद की स्थिति में कौन निर्णय लेता है?
अगर चुनाव प्रक्रिया या परिणाम को लेकर कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो उसकी सुनवाई का अधिकार केवल उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) को होता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद क्या होता है?
यदि उपराष्ट्रपति इस्तीफा दे देता है, तो वह राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपता है।
इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कार्यवाहक उपराष्ट्रपति की व्यवस्था नहीं होती।
जब तक नया उपराष्ट्रपति निर्वाचित नहीं होता, तब तक राष्ट्रपति, राज्यसभा की कार्यवाही को किसी अन्य वरिष्ठ सदस्य से संचालित करवा सकते हैं।
60 दिनों के भीतर नया उपराष्ट्रपति चुनना संवैधानिक रूप से आवश्यक होता है।
उपराष्ट्रपति का पद भारतीय लोकतंत्र की दृष्टि से अत्यंत गरिमामयी और संवैधानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है। इसके चुनाव की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, लोकतांत्रिक और संविधान सम्मत होती है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति (Chairman) के रूप में भी कार्य करता है, इसलिए उसका चुनाव राष्ट्र के संसदीय कार्यों के संचालन में अहम भूमिका निभाता है।
अब देश की नजरें निर्वाचन आयोग की ओर हैं, जो जल्द ही उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकती है।