New Delhi: कल से शुरू होगा मानसून सत्र ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार चुनाव पर गरमाएगा माहौल।

New Delhi: कल से शुरू होगा मानसून सत्र ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार चुनाव पर गरमाएगा माहौल।

देश की संसद का मानसून सत्र सोमवार, 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, जो कई मामलों में बेहद अहम माना जा रहा है। यह सत्र न केवल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले को लेकर विपक्ष के तीखे तेवरों का गवाह बनेगा, बल्कि इसमें आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति की भी हलचल दिखाई देगी। सत्र से पहले ही राजनीतिक तापमान तेज़ हो चुका है, और सभी दल अपने एजेंडे के साथ तैयार नजर आ रहे हैं।

क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से चर्चित यह मामला हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जुड़ा है, जिसमें अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया गया। इस हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था, खुफिया एजेंसियों की नाकामी और सरकार की रणनीति पर कई सवाल उठे हैं। विपक्ष ने इसे संसद में उठाने का एलान कर दिया है और सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।

विपक्ष का प्लान

कांग्रेस, RJD, TMC, AAP और अन्य विपक्षी दलों ने संकेत दिए हैं कि वे सत्र की शुरुआत से ही राष्ट्रीय सुरक्षा, महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर संकट, और कृषि से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाएंगे। साथ ही, बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए विपक्ष केंद्र सरकार को जनता के सामने कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करेगा।

भाजपा का जवाब

वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष के हमलों का जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। पार्टी प्रवक्ताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने साफ कर दिया है कि वे हर सवाल का जवाब तथ्यों के साथ देंगे। बीजेपी का दावा है कि सरकार ने हर मोर्चे पर ठोस काम किया है, और सत्र के दौरान यह बात देश के सामने लाई जाएगी।

सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक

सत्र से एक दिन पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें सरकार ने सभी दलों से सहयोग की अपील की। स्पीकर, प्रधानमंत्री, और संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है और यहां सार्थक चर्चा होनी चाहिए, न कि केवल हंगामा।

चुनावी रंग भी चढ़ेगा

इस बार मानसून सत्र पर बिहार चुनाव की भी गहरी छाया रहेगी। केंद्र और राज्य की सत्ताधारी पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज़ करेंगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र सिर्फ विधायी कामकाज तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह चुनावी जमीन तैयार करने का मंच भी बन सकता है।

इस प्रकार, मानसून सत्र 2025 ना सिर्फ कानून निर्माण बल्कि राजनीतिक रणनीति, सुरक्षा नीति और सार्वजनिक मुद्दों पर सरकार बनाम विपक्ष की कड़ी टक्कर का साक्षी बनेगा। आने वाले दिनों में संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह तेज बहस, तीखी टिप्पणियाँ और बड़ी घोषणाएं देखने को मिल सकती हैं।

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