
नई दिल्ली। डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने वाले भारत के सबसे लोकप्रिय पेमेंट सिस्टम UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) से जुड़ी एक अहम खबर सामने आ रही है। आगामी 1 अगस्त 2025 से UPI इस्तेमाल करने वालों को कुछ नई शर्तों और पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की सिफारिश पर यह बदलाव लागू किए जाने की तैयारी है।
क्या-क्या बदल जाएगा?
1. ट्रांजैक्शन की संख्या और लिमिट पर पाबंदी:
अब UPI के माध्यम से किए जाने वाले ट्रांजैक्शन की दैनिक संख्या और राशि पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।
एक दिन में अधिकतम 20 ट्रांजैक्शन या 1 लाख रुपये तक की सीमा तय की जा सकती है (वर्तमान सीमा के भीतर बदलाव संभव)।
बार-बार ट्रांजैक्शन करने वालों को अतिरिक्त सत्यापन की प्रक्रिया से गुजरना होगा।
2. नए यूजर्स के लिए ट्रांजैक्शन लिमिट:
जो यूजर्स नया UPI अकाउंट खोलेंगे, उनके लिए शुरुआती 7 दिनों तक ट्रांजैक्शन लिमिट 5,000 रुपये प्रति दिन रखी जा सकती है। इससे धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा।
3. व्यापारी और बिजनेस UPI अकाउंट पर नजर:
व्यापारियों के लिए UPI लेन-देन की प्रक्रिया में अतिरिक्त दस्तावेज और KYC अनिवार्य किया जाएगा। यदि वे तय नियमों का पालन नहीं करते, तो उनका UPI ID अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सकता है।
4. थर्ड पार्टी UPI ऐप्स पर निगरानी:
PhonePe, Google Pay, Paytm जैसे थर्ड पार्टी UPI ऐप्स पर भी ट्रांजैक्शन की सीमा तय हो सकती है। इन प्लेटफॉर्म्स को NPCI के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा।
क्यों किए जा रहे हैं ये बदलाव?
इन बदलावों का उद्देश्य UPI सिस्टम को और अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और संगठित बनाना है। बढ़ती डिजिटल धोखाधड़ी, फर्जी ट्रांजैक्शन और स्पैम से यूजर्स को बचाने के लिए RBI और NPCI मिलकर ये सख्ती कर रहे हैं।
हालांकि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के दौर में ये बदलाव आम लोगों के लिए असुविधा का कारण बन सकते हैं। छोटे व्यापारियों, छात्रों और डिजिटल ट्रांजैक्शन पर निर्भर लोगों में इसे लेकर चिंता देखी जा रही है।
NPCI की सफाई
NPCI का कहना है कि यह कदम उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए है और इससे आम जनता का भरोसा डिजिटल लेनदेन पर और मजबूत होगा। आने वाले समय में इन बदलावों के प्रभाव की समीक्षा की जाएगी।