
जयपुर में बसी ‘फ्रोजन सीमन बैंक’ में नई लैब: अमेरिका से आई दो अत्याधुनिक मशीनें, बस्सी में जल्द शुरू होगा उच्च-गुणवत्ता की गायों का उत्पादन
परिचय और मुख्य तथ्य
जयपुर (बस्सी) की फ्रोज़न सीमन बैंक में स्थापित की जा रही नवीनतम लैब प्रमुख कृषि और पशु पालन पहल का केंद्र बनेगी। इस लैब में भारत–अमेरिका सहयोग से लाई गईं दो अत्याधुनिक मशीनें आधुनिक प्रविधि (Technology) के ज़रिए गायों की उच्च नस्ल का उत्पादन सुनिश्चित करेंगी। खास बात यह है कि लैब में नर पशुओं की संख्या को नियंत्रित कर, केवल उच्च गुणवत्ता की मादा (गाय) ही विकसित की जाएगी। फ्रोजन सीमन बैंक की यह नई दिशा, जयपुर तथा आस–पास क्षेत्रों में डेयरी और व्यवसायिक पशुपालन को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का संकेत है।
लैब की पृष्ठभूमि
बस्सी में स्थित फ्रोज़न सीमन बैंक की स्थापना सन 1977 में हुई थी। यह बैंक लंबे समय से स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर नस्ल सुधार के लिए फ्रोजन सीमन उपलब्ध कराता आ रहा है। लेकिन अब आधुनिक लैब के जोड़ से यह संस्था एक नए युग में कदम रख रही है। लैब के माध्यम से अब ‘सेक्स-सॉर्टेड’ सीमन (sex-sorted semen) तकनीक लागू की जा रही है, जिससे केवल मादा ही जन्म लें—इससे डेयरी व्यवसायियों की आर्थिक संभावनाएँ बढ़ेंगी, क्योंकि मादा-गाय दूध उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं।
तकनीकी विवरण
इस लैब में जो दो मशीनें अमेरिका से आयी हैं, उनमें सेंसर-बेस्ड सेक्स-सॉर्टिंग तकनीक शामिल है। यह तकनीक शुक्राणु (semen) को X-chromosome (मादा) या Y-chromosome (नर) के अनुसार विभाजित करती है और केवल X-chromosome वाले शुक्राणु का चयन करती है। इस पद्धति से कई फ़ायदे हैं:
मादा-गायों की संख्या बढ़ाना (जो दूध देने में सक्षम हैं)
नर पशुओं की संख्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर, संसाधनों का बेहतर उपयोग करना
डेयरी फार्मिंग की आर्थिक क्षमता बढ़ना
इस लैब का उद्देश्य केवल नस्ल सुधार नहीं है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से टिकाऊ और लाभप्रद पशुपालन भी सुनिश्चित करना है।
लाभ और प्रभाव
1. उच्च-गुणवत्ता वाली गायों का उत्पादन – मादा-गायों की संख्या वृद्धि से दूध उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव।
2. आर्थिक दक्षता – अनावश्यक नर पशुओं की संख्या में कमी से संसाधनों (खाना, स्थान, स्वास्थ्य सेवाएँ) की बचत होगी।
3. टेक्नोलॉजी-ड्रिवन पशुपालन – आधुनिक तकनीक के उपयोग से परंपरागत अभ्यासों में सुधार संभव।
4. क्षेत्रीय डेयरी उद्योग को बढ़ावा – राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों में डेयरी व्यवसाय में निवेश और विकास की संभावना।
प्रशासनिक दृष्टिकोण और पहल
एनडीडीबी (NDDB) जैसी संस्थाओं की पहल से लैब स्थापित करने में सहयोग मिला है। वर्तमान में यह प्रयास यह दर्शाते हैं कि सरकारी-गैर-सरकारी हरीत (public–private) साझेदारी से कैसे कृषि और पशुपालन क्षेत्र में नवाचार संभव है। प्रदेश सरकार और कृषि विभाग की सहमति तथा लोक-हित-सम्मत दृष्टिकोण ने भी इस पहल को सम्भव बनाया है।
संभावित चुनौतियाँ और सुझाव
तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता: किसान और तकनीकी स्टाफ को मशीनों की संचालन और रख-रखाव पर प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
लागत विकास और
अफोर्डेबिलिटी: उच्च तकनीकी व्यवस्था की लागत को कम करने हेतु सब्सिडी या आर्थिक सहायता की आवश्यकता।
नैतिक और जैव-सुरक्षा पहलू: सेक्स-सॉर्टिंग तकनीक के नैतिक, जैव-सुरक्षा एवं आनुवंशिक विविधता पर प्रभाव पर सोचने की ज़रूरत।
सामुदायिक जागरूकता: स्थानीय किसानों को इस पहल के लाभों और कार्यप्रणाली से अवगत कराना आवश्यक है।
जयपुर की बस्सी में स्थापित हो रही यह अध्यव moderne लैब आधुनिक पशुपालन में मील का पत्थर साबित हो सकती है। अमेरिका से आयी मशीनों द्वारा संचालित यह लिट लैब न केवल गायों की श्रेष्ठ नस्ल का उत्पादन सुनिश्चित करेगी, बल्कि यह आर्थिक रूप से दक्ष, टिकाऊ और टेक्नोलॉजी आधारित डेयरी क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। इससे क्षेत्रीय डेयरी उद्योग को नई पहचान मिलेगी, किसानों को आय में बढ़ोत्तरी होगी और राजस्थान का पारंपरिक वनस्पति-भवन पशुपालन स्वरूप गर्वपूर्ण व अग्रणी बनेगा।