
सीतामढ़ी। बिहार की सियासत में इन दिनों बयानबाज़ी का दौर तेज़ हो गया है। जन सुराज अभियान के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) ने सीतामढ़ी में एक चुनावी सभा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता संजय जायसवाल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोला।
पीके ने अपने भाषण में कहा – “जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है। ठीक उसी तरह संजय जायसवाल और नीतीश कुमार जनता के बीच से भागकर सत्ता और पद की ओर भागते हैं।”
प्रशांत किशोर ने सीतामढ़ी की सभा में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि नीतीश कुमार की राजनीति अब आख़िरी दौर में पहुँच चुकी है। वे न तो जनता का भरोसा बचा पाए हैं और न ही सरकार चलाने का दम।
उन्होंने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि “सीएम कुर्सी पर टिके रहने के लिए हर बार नए गठबंधन का सहारा लेते हैं। पहले बीजेपी के साथ, फिर राजद के साथ और अब फिर से नई कहानी गढ़ रहे हैं। यह राजनीति नहीं बल्कि अवसरवाद है।”
संजय जायसवाल को घेरा
पीके ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर भी करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि “जायसवाल जी जब सत्ता में होते हैं तो जनता की याद नहीं आती, लेकिन जैसे ही पद जाता है, जनता के बीच आने की कोशिश करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि जनता सब देख रही है। बार-बार छल करने वाले नेताओं को लोग इस बार सबक सिखाने का मन बना चुके हैं।
नीतीश कुमार की राजनीति पर सवाल
नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार की राजनीति के केंद्र में रहे हैं। परंतु अब विपक्ष से लेकर जनता तक उनके खिलाफ़ असंतोष बढ़ता जा रहा है। प्रशांत किशोर ने सभा में दावा किया कि “नीतीश कुमार का राजनीतिक अध्याय खत्म होने की कगार पर है। वे जितना भी गठबंधन बदल लें, अब जनता उन्हें स्वीकार करने वाली नहीं है।”
जन सुराज अभियान का विस्तार
प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज अभियान की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि “बिहार के लोग बदलाव चाहते हैं। वे थक चुके हैं बार-बार के गठबंधन और राजनीतिक सौदों से। जन सुराज अभियान का लक्ष्य है जनता को सत्ता में हिस्सेदारी देना और एक मजबूत विकल्प खड़ा करना।”
पीके ने जनता से अपील करते हुए कहा कि वे अबकी बार जाति-धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर विकास और पारदर्शिता की राजनीति का समर्थन करें।
जनता की प्रतिक्रिया
सीतामढ़ी में हुई इस सभा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। लोग पीके के भाषण को ध्यान से सुनते रहे और कई बार तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साह बढ़ाया।
स्थानीय नागरिकों ने कहा कि बिहार में अब नई राजनीति की ज़रूरत है। नेताओं के गठबंधन बदलने और निजी स्वार्थ की राजनीति से जनता परेशान हो चुकी है।
प्रशांत किशोर की रणनीति
राजनीति में आने से पहले प्रशांत किशोर कई बड़े नेताओं और पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बना चुके हैं। वे नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस और ममता बनर्जी तक की रणनीति का हिस्सा रह चुके हैं।
अब वे खुद अपने अभियान जन सुराज के माध्यम से बिहार की राजनीति में नया विकल्प देने की कोशिश कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पीके का असर युवाओं और पहली बार वोट करने वाली पीढ़ी पर पड़ सकता है।
आने वाले चुनाव पर असर
बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव का बिगुल बज सकता है। ऐसे में प्रशांत किशोर का यह आक्रामक अंदाज़ चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
संजय जायसवाल और नीतीश कुमार पर किए गए इस बयानबाज़ी से साफ है कि पीके अब सीधी टक्कर के मूड में हैं।
भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का मूड किस ओर झुकता है और क्या वास्तव में प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में तीसरे विकल्प के रूप में उभर पाते हैं।