नई दिल्ली, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली-लाल किला के पास हुए घातक कार ब्लास्ट मामले में एक और अहम कार-साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी आतंकी नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने की दिशा में बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि आरोप है कि सिर्फ कार धमाका ही नहीं, बल्कि ड्रोन और रॉकेट हमले की भी योजना बनाई जा रही थी।

कौन है नया गिरफ्तार आरोपी?
NIA ने जासिर बिलाल वानी (उर्फ दानिश) को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से गिरफ्तार किया है। जासिर अनंतनाग के काज़ीगुंड का रहने वाला बतलाया गया है। जांच एजेंसी के मुताबिक, उसके और आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी के बीच गहरा संबंध था।
क्या सामने आया है आरोप-पत्र में?
NIA की जांच में पता चला है कि जासिर ने तकनीकी सहायता प्रदान की — वह ड्रोन में बदलाव करने की कोशिश कर रहा था ताकि उसे आतंकवादी हमलों के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
इसके अलावा, उस पर रॉकेट जैसी प्रणालियाँ विकसित करने की कोशिश करने का भी आरोप है।
एजेंसी के मुताबिक, वो नेटवर्क का “तकनीकी सपोर्ट सिस्टम” था — न केवल हमले की योजना बनाना, बल्कि उसे भौतिक तौर पर अंजाम देने में मदद करना उसकी जिम्मेदारी थी।
पिछला घटनाक्रम:
10 नवंबर 2025 को लाल किला के पास एक कार में बड़ा धमाका हुआ था, जिसमें कम-से-कम 10 लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए।
NIA की प्राथमिक जांच में यह सामने आया था कि यह कार-बोर्न आत्मघाती हमले की साजिश थी — आत्मघाती हमलावर की पहचान उमर उन नबी के रूप में की गई थी।
कार जिसमे धमाका हुआ था, वह जासिर या उसके सहयोगियों द्वारा ही खरीदी-पंजीकृत की गई थी — यह योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
गिरफ्तारी की रणनीति और उसकी अहमियत
NIA की टीम ने गुप्त सूचना और जासिर की मॉड्यूल में भूमिका के आधार पर उसकी लोकेशन ट्रेस की और श्रीनगर में उसे धर दबोचा। यह गिरफ्तारी आतंकी साजिश की तकनीकी जटिलता को उजागर करती है — यह साफ संकेत है कि आतंकवादी अब पारम्परिक हथियारों से आगे बढ़कर उन्नत तकनीकी रास्ते (जैसे ड्रोन और रॉकेट) अपना रहे हैं।
इस कदम से न सिर्फ इस एक हमले का नेटवर्क टूटेगा, बल्कि यह अन्य संभावित खतरों की रोकथाम में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।
एनआईए की आगे की कार्रवाई
एजेंसी कथित अन्य सहयोगियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए सक्रिय छापेमारी कर रही है।
जासिर से पूछताछ जारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ड्रोन-रॉकेट साजिश कहां तक गहरी थी और किन और शहरों या आतंकवादियों को इसमें जोड़ने की योजना थी।
NIA की टीम विभिन्न राज्यों में फैले संभावित नेटवर्क की जाँच कर रही है — रिपोर्टों में कहा गया है कि जांच जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और अन्य राज्यों में विस्तारित हो सकती है।
साथ ही, एजेंसी गवाहों और संदिग्धों के बयान दर्ज कर रही है और फॉरेंसिक विश्लेषण से यह समझने की कोशिश कर रही है कि योजना का पूरा पैमाना क्या था।
विश्लेषण और संभावित खतरे
यह गिरफ्तारी संकेत करती है कि आतंकवादी संगठन अब परंपरागत हमलों से ऊपर उठकर उच्च स्तर की तकनीकी साजिशों की ओर बढ़ रहे हैं। ड्रोन और रॉकेट जैसी प्रणालियाँ सस्ते और कतिपय मामलों में कम पकड़े जाने वाले हथियार बन गए हैं।
अगर जासिर जैसे तकनीकी विशेषज्ञों को मुक्त छोड़ दिया जाए, तो वे भविष्य में और अधिक जटिल हमले आयोजित करने में सक्षम हो सकते हैं। इसलिए, एनआईए की यह कार्रवाई न केवल वर्तमान धमाके की साजिश को नाकाबू करने की दिशा में है, बल्कि यह देश की सुरक्षा के मद्देनज़र आने वाले खतरों की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
जन-सुरक्षा पर प्रभाव
इस खुलासे के बाद, राजधानी में सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ सकती है, विशेषकर सार्वजनिक और ऐतिहासिक स्थलों के आसपास।
नागरिकों के बीच डर और चिंता बढ़ सकती है, लेकिन यह कार्रवाई यह भरोसा भी देती है कि भारत की खुफिया और जांच एजेंसियाँ तेजी से और गहराई से काम कर रही हैं।
मीडिया और जनता द्वारा इस मामले पर निगरानी बनाए रखने से सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह सुनिश्चित करना आसान होगा कि जांच पूरी पारदर्शिता से हो और जिम्मेदारों को कड़ी सजा मिले।
NIA की इस नवीन गिरफ्तारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लाल किला धमाके की साजिश सिर्फ एक साधारण आतंकी हमले की कहानी नहीं है। इसमें तकनीकी विशेषज्ञता, उच्च स्तरीय योजनाएं, और भव्य आतंकवादी नेटवर्क शामिल हैं। जासिर बिलाल वानी की भूमिका उजागर होने से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह नेटवर्क सिर्फ ब्लास्ट तक सीमित नहीं था — वह ड्रोन और रॉकेट हमलों तक जा रहा था।
जाँच अब एक नए मोड़ पर है — अगर एजेंसी इस जाल को पूरी तरह unravel कर सके, तो यह भारत में आतंकी साजिशों के खिलाफ बड़ी जीत साबित होगी।
