
भारत सरकार लगातार उन बड़े आर्थिक अपराधियों को वापस लाने की कोशिश में जुटी है, जो देश छोड़कर विदेश भाग गए थे। इसी कड़ी में ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की एक विशेष टीम ने हाल ही में दिल्ली की तिहाड़ जेल का दौरा किया। माना जा रहा है कि यह कदम नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण से जुड़ा हुआ है।
तिहाड़ जेल में ब्रिटिश टीम का दौरा
दिल्ली की तिहाड़ जेल का नाम देश की सबसे सुरक्षित जेलों में लिया जाता है। यहीं पर कई हाई-प्रोफाइल कैदी बंद हैं। बताया जा रहा है कि ब्रिटिश टीम ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था, बंदियों के रहने की सुविधा, मेडिकल सेवाओं और कैदियों के मानवाधिकारों से जुड़े पहलुओं का बारीकी से निरीक्षण किया।
सूत्रों के मुताबिक, इस दौरे का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि प्रत्यर्पण के बाद अगर नीरव मोदी को भारत लाया जाता है, तो उसे मानवाधिकारों के मुताबिक सुविधाएं मिलेंगी।
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर आरोप
2018 में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले ने पूरे देश को हिला दिया था। लगभग 13,500 करोड़ रुपये के इस घोटाले में नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी मुख्य आरोपी हैं।
नीरव मोदी: फिलहाल लंदन की जेल में बंद है और भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण की कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
मेहुल चोकसी: एंटीगुआ और बारबुडा में रह रहा है और कानूनी पेचीदगियों की वजह से अब तक भारत नहीं आ पाया है।
दोनों पर आरोप है कि उन्होंने बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग कर देश से अरबों रुपये बाहर भेज दिए और फिर विदेश भाग गए।

प्रत्यर्पण प्रक्रिया में भारत सरकार की कोशिशें

प्रत्यर्पण प्रक्रिया में भारत सरकार की कोशिशें
भारत सरकार पिछले कई सालों से इन दोनों को वापस लाने की कोशिश कर रही है। नीरव मोदी को ब्रिटेन में गिरफ्तार किया गया था और उसके प्रत्यर्पण को लेकर भारत ने अदालत में ठोस सबूत दिए। अदालत ने प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, लेकिन नीरव मोदी ने इस फैसले के खिलाफ अपील कर दी।
इसी तरह, मेहुल चोकसी ने भी कानूनी दांव-पेंच का इस्तेमाल कर भारत आने से बचने की कोशिश की। उसने स्वास्थ्य और नागरिकता से जुड़े कारणों का हवाला दिया।
तिहाड़ का निरीक्षण क्यों अहम?
अंतरराष्ट्रीय प्रत्यर्पण मामलों में अक्सर मानवाधिकारों और जेल की परिस्थितियों का मुद्दा उठाया जाता है। विदेशी अदालतें यह देखती हैं कि प्रत्यर्पण के बाद आरोपी के साथ किसी तरह का अमानवीय बर्ताव तो नहीं होगा।
इसी वजह से ब्रिटेन की CPS टीम ने तिहाड़ जेल का निरीक्षण किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नीरव मोदी को सुरक्षित और मानवीय परिस्थितियों में रखा जाएगा।
सरकार का रुख
भारत सरकार का कहना है कि आर्थिक अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। हाल ही में गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों में तेजी लाई जाएगी ताकि आरोपी कानून के कटघरे में खड़े हो सकें।
केंद्रीय एजेंसियां भी लगातार इस दिशा में काम कर रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का कहना है कि उनके पास ठोस सबूत हैं, जिससे नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को दोषी साबित किया जा सकता है।
जनता की उम्मीदें
देश की जनता लंबे समय से यह सवाल पूछ रही है कि आखिर कब ये दोनों भगोड़े भारत लाए जाएंगे। सोशल मीडिया पर भी अक्सर यह मुद्दा ट्रेंड करता है। लोगों का कहना है कि जब तक इन आरोपियों को वापस लाकर सजा नहीं दी जाती, तब तक न्याय अधूरा है।
क्या वाकई लौटेंगे नीरव मोदी और मेहुल चोकसी?
हालांकि तिहाड़ जेल का निरीक्षण इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। ब्रिटेन की अदालत में नीरव मोदी की अपील लंबित है, और मेहुल चोकसी के मामले में भी कई कानूनी बाधाएं मौजूद हैं।
फिर भी, भारत सरकार की सक्रियता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते सहयोग को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में ये दोनों भारत लौट सकते हैं और कानून का सामना करेंगे।
तिहाड़ जेल में ब्रिटेन की CPS टीम का दौरा भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि माना जा रहा है। इससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी और भगोड़े आर्थिक अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने की कोशिशें और तेज होंगी। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि कब तक नीरव मोदी और मेहुल चोकसी भारत लौटते हैं और देश की अदालत में पेश होते हैं।